मधेपुरा/बिहार : दस जनवरी को अपनी स्थापना के 32 साल पूरा होने पर वाम युवा संगठन एआईवाईएफ जिला अध्यक्ष हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने बीएनएमयू परिवार से जुड़े सभी सदस्यों को को स्थापना दिवस की बधाई देते हुए निरंतर विकास की कामना की है, वहीं राठौर ने स्थापना के 32 साल के सफर की उपलब्धि पर असंतोष व्यक्त किया है और विगत महीनों से प्रभारी कुलपति के लगातार गायब रहने और औपचारिकता पूर्वक स्थापना दिवस मनाने पर वाम युवा नेता राठौर ने कड़ी नाराजगी जताई और इसे औपचारिकता की प्रकाष्ठा करार देते हुए कहा कि स्थापना के 32 साल बाद भी पहले एकेडमिक सीनेट, हॉस्टल, जर्नल, पीठ स्थापित का सपना अधूरा रहना बीएनएमयू के 32 सालों के सफर को मानों मुंह चिढ़ाता नजर आता है।
32साल में 26 कुलपतियों के नेतृत्व में भी स्थापना के मूल उद्देश्य समय पर नामांकन, परीक्षा परिणाम से बीएनएमयू दूर : राठौर ने कहा कि 10 जनवरी 1992 को स्थापित 2005 में यूजीसी बारह (बी)से मान्यता प्राप्त 32साल के सफर में बीएनएमयू ने 26 कुलपतियों के नेतृत्व मे भी स्थापना के मूल उद्देश्य समय पर नामांकन, परीक्षा और परिणाम के लक्ष्य को सही ढंग से प्राप्त नहीं कर सका ।एकेडमिक कैलेंडर लागू करवाना हमेशा से पहुंच से दूर नजर आया।
हॉस्टल का सपना इर्द और दूज के चांद दर्शन से भी ज्यादा जटिल : एआईवाईएफ जिला अध्यक्ष राठौर ने बीएनएमयू पदाधिकारियों की हठधर्मिता और कार्यशैली पर तंज कसते हुए कहा कि भाषणों में बड़ी बड़ी बात कहने वाले पदाधिकारी तीन दशक से अधिक के बीएनएमयू में अब तक एक भी गर्ल्स अथवा ब्वॉयज हॉस्टल सुचारू रूप से शुरू नहीं करा पाए। आलम यह है कि हॉस्टल के संबंध में पंद्रह अगस्त और छब्बीस जनवरी पर कुलपति के भाषण पर अब मीम बनने लगा है।
बीएनएमयू को टैलेंट सेंटर बनाने की नहीं हुई पहल : राठौर ने बीएनएमयू के संकल्प पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि तीन दशक बाद भी रोजगार परक विषयों में पढ़ाई को लेकर बीएनएमयू ईमानदार पहल नहीं दिखा पाया। लगातार मांग विभिन्न स्तरों पर मंजूरी के बाद भी पत्रकारिता, एमसीए, एमबीए, नाट्य आदि की पढ़ाई की शुरुआत नहीं हो सकी। जानकारों की मानें तो इन विषयों की शुरुआत होने से शैक्षणिक परिसर की हलचल ही नहीं बढ़ेगी बल्कि विश्वविद्यायल की छवि को भी फायदा होगा।
एससी, एसटी निशुल्क शिक्षा नहीं हो पाया शत प्रतिशत लागू : बीएनएमयू कार्यशैली की पोल खोलते राठौर ने कहा कि बीएनएमयू अंतर्गत यूजी व पीजी में निशुल्क फॉर्म भराई का लाभ छात्रों को तीस साल से नहीं दिया जा रहा। सूत्रों की मानें तो बीएनएमयू ने तीस सालों से सरकार से लॉस ऑफ एग्जाम फीस का दावा भी नहीं किया है वहीं साल 2015 से लागू निशुल्क एससी, एसटी व छात्रा एडमिशन में भी बड़े स्तर पर शिकायत मिलती रहती है। सरकार के आदेश के बाद भी समान शुल्क को लागू नहीं किया जा सका।
स्वास्थ्य केंद्र,कैंटीन, जिम साबित हो रहे हाथी के दांत : वाम युवा नेता राठौर ने बीएनएमयू की व्यवस्था के अंदर की कुव्यवस्था पर भी स्थापना दिवस के दिन चोट किया और कहा कि मूलभूत सुविधा बहाल करने में बीएनएमयू तीन दशक बाद भी सफल नहीं हो पाया। शिक्षक,कर्मचारियों के अतरिक्त बाहर से आने वाले छात्र अभिभावक की सुविधा को लेकर बना कैंटीन कुछ समय खुलने के बाद वर्षों से ही बंद हो गया, जिसका मूल कारण परिसर के ही कुछ पदाधिकारियों द्वारा उधारी की बड़ी रकम अदा नहीं करने के कारण संचालक का भाग खड़ा होना कहा जाता है। दूसरी तरफ लाखो की लागत से बना व बहुत धूमधाम से शुरू स्वास्थ्य केंद्र व जिम खाना, पार्क, सुलभ शौचालय अब शोभा की वस्तु बन कर रह गया है।
ईमानदार पहल से बीएनएमयू को बनाया जा सकता है इस क्षेत्र का विश्वकर्मा : वहीं दूसरी ओर राठौर ने यह भी कहा कि तीन दशक बाद भी अगर ईमानदारी से पहल हो और सब मिलकर पहल करें तो बीएनएमयू की सूरत बदल सकती है और यह कैंपस इस क्षेत्र के विकास का विश्वकर्मा बन सकता है। इस क्षेत्र में उच्च शिक्षा की सबसे बड़ी उम्मीद बीएनएमयू में कई बिंदुओं पर योजनाबद्ध तरीके से काम करने की जरूरत है, तीन दशक बाद भी अपनी पत्रिका, जर्नल, सुव्यवस्थित पुस्तकालय, बॉयज या गर्ल्स हॉस्टल, अपना सम्मान नसीब नहीं हो सका, दूसरी तरफ एकेडमिक सीनेट का इंतजार अभी भी जारी है। अब तक मात्र एक बार हो सका छात्र संघ का चुनाव। विगत कई वर्षों से स्मारिका का प्रकाशन बंद सा है, किसी भी विलक्षण प्रतिभा के नाम पर है पीठ शुरू नहीं हुआ जो शैक्षणिक व शोध परक माहौल की जरूरत है, विगत कुछ वर्षों में कई कॉलेजों व संस्थाओं की मान्यता पर रोक बीएनएमयू की प्रतिष्ठा पर प्रश्न चिन्ह बना। स्थापना के तीन दशक बाद बीएनएमयू के लिए जरूरी है सत्र नियमित करने में लगातार प्रयासरत विश्वविद्यालय अन्य क्षेत्रों में भी योजनाबद्ध तरीके से प्लानिंग कर ईमानदार पहल कर बीएनएमयू के स्थापना के मूल उद्देश्य को प्राप्त करे साथ ही कुछ ऐसी योजनाओं पर भी काम करे जो इस क्षेत्र की दशा दिशा बदलने वाली हो।