एल्सटॉम ने मधेपुरा सहित आसपास के क्षेत्रों की 3,000 से अधिक महिलाओं और युवाओं को लाभान्वित करने के लिए बढ़ाया कदम

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मधेपुरा/बिहार : स्मार्ट और सस्टेनेबल मोबिलिटी में ग्लोबल लीडर, एल्सटॉम (Alstom) ने तीन प्रमुख पहलों की शुरुआत की है। इनका उद्देश्य मधेपुरा, बिहार और उसके आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले स्थानीय बच्चों, युवाओं और महिलाओं को शिक्षा प्रदान करना, उनके कौशल विकास का समर्थन करना और स्वास्थ्य देखभाल प्रथाओं की उनकी जागरूकता में सुधार करना है। इन प्रोजेक्ट्स का क्रियान्वयन द अमेरिकन इंडिया फाउंडेशन ट्रस्ट (एआईएफ), सीड्स इम्पैक्ट और लर्निंग लिंक्स फाउंडेशन (एलएलएफ) के साथ साझेदारी में किया जा रहा है, जो कि जुलाई 2023 से प्रभावी हैं। एल्सटॉम सात गाँवों के अंतर्गत ग्रामीण समुदायों की 3,300 से अधिक महिलाओं और युवाओं की बेहतरी हेतु कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध है।

मधेपुरा में समुदायों की बेहतरी के लिए कार्य करने की एल्सटॉम की प्रतिबद्धता पर टिप्पणी करते हुए, ओलिवियर लोइसन, मैनेजिंग डायरेक्टर, एल्सटॉम इंडिया, ने कहा, “मधेपुरा भारत की एलोको राजधानी है, क्योंकि यह हमारी विश्व स्तर की इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव मैन्युफैक्चरिंग सुविधा का केंद्र है। हम सिर्फ मधेपुरा ही नहीं, बल्कि इसके आसपास के कस्बों और गाँवों में भी समुदाय की जरूरतों को समझते हैं। इसे प्रखर रखते हुए विगत कुछ वर्षों में, हमने अपने सीएसआर के लिए लगातार योगदान दिया है। इस वर्ष, हमने स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और कौशल विकास में सुधार की दिशा में दृढ़ता से कदम उठाए हैं, ऐसे में हमारे प्रोजेक्ट्स स्थानीय लोगों के जीवन पर और भी अधिक सकारात्मक प्रभाव डालेंगे। हम लाभार्थियों के लिए एक उज्जवल भविष्य का निर्माण करने के साथ ही एक सुदृढ़ और अधिक टिकाऊ समाज की नींव भी रख रहे हैं।”

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महिलाओं के स्वास्थ्य और स्वच्छता के बारे में किशोर बालिकाओं को सर्वोत्तम जानकारी प्रदान करना ग्रामीण भारत में कई किशोर बालिकाएँ एनीमिया और मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता प्रथाओं की कमी से प्रभावित हैं। द अमेरिकन इंडिया फाउंडेशन ट्रस्ट (एआईएफ) के साथ साझेदारी के माध्यम से, 2500 से अधिक बालिकाओं को मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता की सर्वोत्तम जानकारी देने विशेष प्रयास किए जाएँगे। इस पहल में किशोर बालिकाओं का संवेदीकरण और उन्हें दिशानिर्देश देने के साथ ही रियूजेबल सैनिटरी नैपकिन्स और एक लकी आयरन लीफ का वितरण शामिल होगा, जिसे विशेष रूप से भोजन पकाते समय आयरन को बढ़ाने के लिए विकसित किया गया है। इससे बालिकाओं में एनीमिया के मामलों को कम करने में मदद मिलेगी, और साथ ही उनकी मानसिक एवं शारीरिक क्षमता में सुधार होगा। परिणामस्वरूप, उनके काम और शैक्षिक प्रदर्शन में भी वृद्धि होगी।

युवाओं के कौशल को बढ़ाने के लिए इंडस्ट्री के अनुकूल व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करना विगत कुछ वर्षों में, मधेपुरा और आसपास के गाँवों में इंडस्ट्री के अनुकूल कौशल विकास की आवश्यकता प्रमुख रूप से उभरी है। सीड्स इम्पैक्ट कम शिक्षित युवाओं को सिलाई मशीन संचालन, सोलर पीवी इंस्टॉलेशन और इलेक्ट्रीशियन जैसे व्यवसायों पर इंडस्ट्री के अनुकूल व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करेगा। इसके बाद उन्हें औपचारिक सर्टिफिकेट और रोजगार दिया जाएगा, जिससे उनके करियर का मार्ग प्रशस्त होगा और वे सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त हो सकेंगे। सीड्स का लक्ष्य लगभग 270 ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षित करने के साथ ही कम से कम 70% प्रमाणित युवाओं को रोजगार देना है।

छात्रों को नवाचार को अपनाने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए सरकारी स्कूलों में एसटीईएम शक्ति कार्यक्रम लागू करना एसटीईएम शिक्षा विज्ञान, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और गणित पर केंद्रित पाठ्यक्रम है। भारत में एसटीईएम शिक्षा की अपार सम्भावनाएँ हैं। एल्सटॉम मधेपुरा के सरकारी स्कूलों में एसटीईएम शक्ति कार्यक्रम लागू करने के लिए लर्निंग लिंक्स फाउंडेशन (एलएलएफ) के साथ मिलकर काम कर रहा है, जिसका उद्देश्य 600 से अधिक छात्रों को लाभान्वित करना है। शैक्षणिक दृष्टिकोण में एसटीईएम प्रथाओं को एकीकृत करते हुए, यह प्रोजेक्ट सिर्फ नवाचार मानसिकता और वैज्ञानिक स्वभाव को ही बढ़ावा नहीं देगा, बल्कि शिक्षकों की क्षमताओं को बढ़ावा देते हुए ग्रामीण छात्रों के समग्र विकास के लिए आधुनिक जीवन-कौशल को भी विकसित करेगा।

एल्सटॉम, अपने प्रोजेक्ट्स के आसपास समुदायों के रहन-सहन के तौर-तरीकों और आर्थिक संभावनाओं में सुधार करने वाली पहलों को बढ़ावा देने और वित्त पोषण के माध्यम से उनका समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है। एल्सटॉम, अपने लगातार प्रयासों के माध्यम से स्कूलों में बेहतर इंफ्रास्ट्रक्टर और बच्चों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रदान करने, साथ ही स्वच्छता पर जागरूकता फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इन पहलों को सफल बनाने में उन स्थानीय या अंतर्राष्ट्रीय गैर सरकारी संगठनों का विशेष योगदान होता है, जिनके पास जमीनी स्तर पर संबंधित पहलों को सफलतापूर्वक लागू करने का ट्रैक रिकॉर्ड उपलब्ध है।


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