मधेपुरा/बिहार : बिहार पंचायत नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ मूल के राजव्यापी आह्वान पर शुक्रवार को जिला मुख्यालय स्थित कला भवन के समक्ष शिक्षकों ने माथे पर काली पट्टी बांधकर धरना-प्रदर्शन किया. धरना प्रदर्शन को संबोधित करते हुये बिहार पंचायत नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ मूल के प्रदेश उपाध्यक्ष सह जिलाध्यक्ष रणधीर कुमार ने कहा कि यह नियमावली बिहार के नियोजित शिक्षकों को धोखा देने के समान है. साथ ही सेवा से हटाने के समान है. उन्होंने कहा कि सरकार ने 20 वर्षों में अनगिनत बार नियमावली बनाई, लेकिन बार-बार शिक्षकों को आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक रूप से प्रताड़ित कर, बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ खिलवाड़ करता रहा है और बच्चों का पठन-पाठन भी प्रभावित होता है. शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य में लगाकर समाज के बच्चों के साथ खिलवाड़ एवं पठन-पाठन को बाधित कराना सरकार की नियति बन चुका है.
शिक्षकों का समायोजन व राज्य कर्मी का दर्जा नहीं देकर छीना जा रहा है हक : जिलाध्यक्ष रणधीर कुमार ने कहा कि सरकार के सभी कार्यों को बिहार के शिक्षक समय पर निष्पादित करते रहते हैं, लेकिन 20 वर्षों से सेवा कर रहे शिक्षकों का समायोजन और राज्य कर्मी का दर्जा नहीं देकर उनके हक को छीना जा रहा है. साथ ही सेवा से हटाने की गहरी साजिश रची जा रही है. शिक्षक दक्षता पात्रता परीक्षा दे चुके हैं और प्रशिक्षण प्राप्त कर सेवा दे रहे हैं, लेकिन सरकार ने शिक्षक व शिक्षा का राजनीतिकरण कर शिक्षकों को प्रताड़ित करने और बार-बार नियमावली बनाने से शिक्षकों को असमंजस की स्थिति में डालने का काम किया है. सरकार नई नियमावली में सुधार करते हुए 20 वर्ष से कार्यरत चार लाख शिक्षकों को राज्य कर्मी के रूप में समायोजित करें, अन्यथा संघ शांतिपूर्ण तरीके से सरकार के विरुद्ध लगातार आंदोलन करती रहेगी.
सरकार ने शिक्षकों को 20 वर्षों से किया है अपमानित करने का कार्य : जिलाध्यक्ष रणधीर कुमार ने कहा कि यह नियमावली शिक्षक इतिहास में काला अध्याय है. आजादी के बाद जितनी सरकार बनी शिक्षक और शिक्षा हित में बेहतर कार्य किया, लेकिन वर्तमान सरकार ने राष्ट्र निर्माता शिक्षकों को 20 वर्षों से लगातार अपमानित करने का कार्य किया है. यह बुद्ध-महावीर की धरती है, जहां शांति के साथ समय-समय पर शिक्षा व्यवस्था में शिक्षकों के साथ सहयोग किया जाता रहा है. महागठबंधन सरकार ने विधानसभा चुनाव 2020 के घोषणा पत्र में समान काम समान वेतन, राज्य कर्मी का दर्जा एवं पुरानी पेंशन लागू करने का वादा किया था, लेकिन सरकार ने शिक्षकों के साथ जो रवैया अपनाया है. वह आने वाली पीढ़ी एवं शिक्षकों के इतिहास में अन्यान्य पूर्ण शब्दों में लिखा जायेगा. जिला सचिव हरेराम कुमार ने कहा कि सरकार तुगलकी फरमान वापस कर, शिक्षकों को राज्य कर्मी के पद पर समायोजित करें. धरना प्रदर्शन के बाद प्रदेश उपाध्यक्ष सह जिला अध्यक्ष रणधीर कुमार के नेतृत्व में जिला पदाधिकारी को मुख्यमंत्री के नाम नौ सूत्री मांग पत्र समर्पित किया गया.
शिक्षकों की मृत्यु उपरांत आश्रितों को दिया जाये 20 लाख रुपये का अनुदान : मांग पत्र के माध्यम से संघ ने सरकार से मांग किया कि बेसिक ग्रेड के शिक्षक को स्नातक ग्रेड में समायोजन की जाये. 10 वर्षों के सेवा उपरांत एसीपी का लाभ दिया जाये. सेवा अवधि में शिक्षकों की मृत्यु के उपरांत उनके आश्रितों को 20 लाख रुपये का अनुदान दिया जाये. शिशु देखभाल के लिए शिक्षिकाओं को दो वर्षों का अवकाश दिया जाये. मातृत्व अवकाश व चिकित्सा अवकाश की अवधि में वेतन बंद नहीं किया जाये. शिक्षकों की सेवानिवृत्ति की उम्र सीमा 65 वर्ष की जाये.
धरना प्रदर्शन को संयुक्त सचिव ऋषि कुमार, जिला उपाध्यक्ष सुभाष कुमार, दिनेश कुमार, शैलेश चौरसिया, संतोष कुमार, अनिल भास्कर, नंदन कुमार, दिलीप कुमार, राजेश ठाकुर, संजीव कांत कुमार, संजीव कुमार, संजय कुमार मेहता, राजेश सिंह, मुन्ना कुमार, अरविंद कुमार, सच्चिदानंद कुमार, प्रियरंजन कुमार, मुकेश कुमार, गुलाब कुमार, पंकज कुमार, अनिता कुमारी, मीनाक्षी कुमारी, बिंदु कुमारी, सुनीता कुमारी समेत कई शिक्षक प्रतिनिधि ने संबोधित किया.
अमित अंशु की रिपोर्ट