मधेपुरा/बिहार : विगत दिनों बीएनएमयू में एक बैठक बुला विश्वविद्यालय के पुराने परिसर स्थित सेंट्रल लाइब्रेरी को पुराने कैंपस से नए कैंपस में शिफ्ट किए जाने के निर्णय पर वाम छात्र संगठन एआईएसएफ के बीएनएमयू प्रभारी हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने कड़ी नाराजगी जताई है और इसे अपरिपक्व व दूरदर्शिता से परे का निर्णय बताया है।
राठौर ने इस संबंध में कुलसचिव के माध्यम से कुलपति को पत्र लिख अविलंब इस फैसले पर पूर्ण विराम लगाते हुए सेंट्रल लाइब्रेरी को पुराने कैंपस में ही रहने देने की मांग की है। एआईएसएफ नेता राठौर ने कहा कि सेंट्रल लाइब्रेरी किसी विभाग यां कैंपस की नहीं बल्कि पूरे विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी है इसलिए इसे उस परिसर में रहनी चाहिए जहां सबको सुलभ हो। यह मूलतः दिन भर शिक्षण, शोध, राजनीति से जुड़े शिक्षक, छात्र, शोधार्थी, छात्रनेताओं के लिए बहुउपयोगी होती है जो इसके अतिरिक्त समय में भी सेंट्रल लाइब्रेरी का लाभ उठा अध्यन करते हैं, यही कारण है हर अच्छे विश्वविद्यालयों में सेंट्रल लाइब्रेरी देर रात अथवा चौबीस घंटे खुली रहती हैं। इसको लेकर बीएनएमयू प्रशासन ने कभी पहल नहीं की उल्टे नए कैंपस में शिफ्ट करने का तुगलकी फैसला ले लिया।
जब हर विभाग में होगी पुस्तकालय फिर सेंट्रल लाइब्रेरी शिफ्ट की जरूरत ही क्यों : विश्विद्यालय व नैक से जुड़े नियमों का हवाला देते एआईएसएफ नेता राठौर ने कहा कि जब स्पष्ट निर्देश है कि हर पीजी विभाग की अपनी स्वतंत्र लाइब्रेरी होगी जिसका उपयोग संबंधित विभाग के शिक्षक व छात्र लेंगे तो ऐसे विभागीय पुस्तकालयों को बनाने के बजाय सेंट्रल लाइब्रेरी को पुराने से नए कैंपस में ले जाने की बात समझ से परे है।
दूसरी तरफ राठौर ने कहा कि विश्वविद्यालय का नया कैंपस पूरी तरह सुनसान इलाके में है जहां शाम होने से पहले ही परिसर खाली होने लगता है हालात ऐसे की सुरक्षा के प्राथमिक जरूरत पुलिस चौकी, कैमरा तक की व्यवस्था नहीं और मेन रोड से एक डेढ़ किलोमीटर अंदर साधारण सवारी की सुविधा भी नहीं रहती प्रायः छात्र छात्राओं को पैदल ही जाना होता है ऐसे में यह साफ है कि इस फैसले में विश्वविद्यालय हित की नहीं बल्कि सेंट्रल लाइब्रेरी की आड़ में कोई और साजिश रची जा रही है।
राठौर ने साफ शब्दों में कहा कि नए कैंपस में सभी विभागों में लाइब्रेरी खोलने के साथ सेंट्रल लाइब्रेरी को पुराने कैंपस में ही रखते हुए इसे चौबीस घंटे खुलवाने की पहल की जाए और इसे उपयोगी व समृद्ध बनाने की भी पहल हो अन्यथा यह मुद्दा आमजन के बीच में ले जाकर संघर्ष का रूप लेगा।