मुरलीगंज/मधेपुरा/बिहार : मुरलीगंज प्रखंड मुख्यालय से सटे दिग्घी गांव में बीते शनिवार व रविवार की रात कथित तौर पर जहरीली शराब पीने से तीन लोगों की मौत हो गई थी। वहीं अन्य दर्जनों लोगों का इलाज सरकारी व निजी अस्पताल में चल रहा है। जिस वजह से अब सरकार और प्रशासन पर काफी ज्यादा सवाल उठ रहे हैं। हालांकि बिहार पुलिस ने दावा किया है कि होली के दौरान हुई अधिकतर मौतों की वजह जहरीली शराब नहीं बल्कि कुछ और हो सकती है। जबकि स्थानीय लोगों व विपक्ष के नेताओं ने होली के दौरान हुई मौतों के लिए जहरीली शराब को जिम्मेदार ठहराया है।
लोगों ने पुलिस की कार्यशैली पर उठाए सवाल : कथित जहरीली शराब से मौत का मामला जब मीडिया व सोशल मीडिया के माध्यम से तूल पकड़ा तो आनन-फानन में पुलिस प्रशासन एक्शन मोड में आ गई। मधेपुरा एसपी ने टीम गठित कर एक ही रात में कुल 08 शराब कारोबारियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। जिसमें तीन बड़े शराब माफियाओं का भी नाम है। तीन लोगों की मौत होने के बाद जब पुलिस के द्वारा यह कार्रवाई की गई तो अब प्रशासन पर सवाल खड़ा होना शुरू हो गया है। लोगों का आरोप है कि शराबबंदी कानून को रोज ताक पर रखा जा रहा है। कई लोगों ने कहा कि जब पुलिस को शराब कारोबारियों के बारे में पता था तो इतने दिनों से उनपर कोई ठोस कार्रवाई क्यों नहीं हो रही थी ? हर जगह लोगों ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। लोगों ने तो इतना कह दिया कि शराब कारोबारियों के साथ कहीं पुलिस की संलिप्तता तो नहीं ?
लीपापोती में जुटा प्रशासन ? जहरीली शराब के मामले में प्रशासन पर लापरवाही के आरोप लग रहे हैं। बताया जा रहा है कि जिला प्रशासन और विभाग मामले को दबाने में जुटा है। प्रशासन मामले में कार्रवाई ना करके पोस्टमार्टम नहीं कराने का मृत परिजनों पर दवाब बनाया था। लोगों का आरोप है कि प्रशासन दूसरी वजहों से मौतों को बता मामले की लीपापोती में जुटा है। जिस वजह से पुलिस की भूमिका सवालों के घेरे में है।