छातापुर/सुपौल/बिहार : प्रखंड के मधुबनी पंचायत स्थित मदरसा जमीयत-उल-कासिम दार-उल-उलूम-अल-इस्लामिया के प्रांगण में मंगलवार को सलाना इख़्ततामि इजलास का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मुफ़्ती मो अलीमुद्दीन एवं संचालन हेड मदररिस मुफ़्ती अंसार कासमी ने की। कार्यक्रम में मदरसा में पढ़ाई कर रहे छात्रों को कुरआन हिफ़्ज़ करने और वार्षिक परीक्षाओं में उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त करने के लिए छात्रों को पुरुस्कृत किया गया। जिसजे बाद आलिमों द्वारा हाफिजे कुरआन को अपने जिम्मेदारी का दर्स दिया गया।
इजलास को संबोधित करते हुए मुफ़्ती अलीमुद्दीन ने कहा कि जमीयत-उल-कासिम दार- उल-उलूम-उल-इस्लामिया पिछले 33 वर्षों से इस क्षेत्र में इल्म की शमाँ जला रहा है। जिसके संस्थापक हज़रत मौलाना डॉ महफूज़-उर-रहमान उस्मानी के निधन के बाद भी मदरसा के बगल में विश्वविद्यालय निर्माण को लेकर अपने मिशन और लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अभी भी कड़ी मेहनत की जरूरत है। एक साथ वे अपने मिशन की ओर बढ़ रहे हैं । वे अपनी बौद्धिक और धार्मिक विरासत के अस्तित्व और संवर्धन के लिए प्रयास कर रहे हैं। इसकी स्थापना के बाद भी, यह धार्मिक, शैक्षिक और प्रशिक्षण संस्थान विकास की ओर बढ़ रहा है और इसके शिक्षक और अन्य इच्छुक मुफ्ती की विद्वानों की विरासत की रक्षा के लिए दिन-रात लगातार प्रयास कर रहे हैं। सभा को संबोधित करते हुए, मुफ्ती अरशद फारूकी ने कहा कि यह मनुष्य का विशेषाधिकार नहीं बल्कि उसकी शक्ति है, कुरान आपस में मोहब्बत करना, एक-दूसरे का सम्मान करना सिखाता है।
मौलाना मुहम्मद आरिफ कासमी ने कहा कि वास्तव में आज की बैठक मदरसा के संस्थापक महफूज-उर-रहमान उस्मानी द्वारा लगाए गए समर की याद में है, जो गतिशील और विचारशील थे। मौलाना अब्दुल वाहिद रहमानी पहले मुफ्ती महफूज-उर-रहमान उस्मानी की याद से भावुक हो गए। फिर उन्होंने कहा कि जिस तरह से मौलाना महफूज-उर-रहमान उस्मानी ने इस क्षेत्र के लिए सेवाएं दी हैं, वो काबिले तारीफ है, जिसको कभी भुलाया नहीं जा सकता है।
मौलाना सगीर रहमानी, मौलाना अब्दुल रहमान कासमी, मौलाना शाहनवाज़ बद्र कासमी, मौलाना अब्दुल मतीन रहमानी ने संयुक्त रूप से कहा कि मदरसा प्रांगण में बनाए गए अजीमुश्शान मस्जिद अल्लाह की इबादत के लिए बनी है। इस मौके पर मौलाना जियाउल्लाह जिया रहमान ने बच्चों से कहा कि कुरान है तो हम हैं और मुफ्ती अहमद नादिर कासमी ने कहा सभी पुस्तकों में से पवित्र कुरान को ईश्वर का वचन और ईश्वर की पुस्तक होने का सौभाग्य प्राप्त है। इस मौके पर अतिथियों का स्वागत करते हुए संयोजक कारी जफर इकबाल मदनी ने कहा कि वह अपने पिता द्वारा छोड़ी गई विरासत को आगे बढ़ाएंगे और अपने पिता की योजनाओं और इरादों को पूरा करने के लिए प्रयास करेंगे।
मौके पर मुफ्ती अलीमुद्दीन, मौलाना हमीदुद्दीन मजाहेरी, अल्हाज मौलाना अब्दुल मतीन रहमानी, मौलाना यूसुफ अनवर, शाहजहाँ शाद, नूरुल्लाह जावेद, मौलाना मो रिजवानुल हक कासमी, मुफ्ती अंसार कासमी, मौलाना जियाउल्लाह जिया रहमानी, मौलाना अली अहमद कासमी, जहूर आलम, खलिकुल्लाह अंसारी, डॉ मुमताज आलम, गुलाम मुस्तुफा, मो0फिरोज, हाजी सब्बीरआदि मौजूद थे।