किसी भी देश की तरक्की और शान देश के युवाओं से जुड़ी होती है। देश के युवा वर्ग को ज़िन्दगी के हर एक पल को जीने की इच्छा होती है। युवा वर्ग नशे को अपनी शान और समस्या का समाधान समझते है। आज कल सरेआम नौजवानों को तो छोड़िए, हमारे यहां के छोटे-छोटे बच्चे भी शराब, गुटखा, तम्बाकू, बीड़ी, सिगरेट का नशा करते है। उनकी जश्न की पार्टी शादी-विवाह हो या बर्थ-डे पार्टी से लेकर पूजा तक नशा के बगैर अधूरी समझा जाता है।
आजकल युवा से लेकर बच्चे बूढ़े लोग भी सिगरेट या शराब का सेवन करते हुए नज़र आते है। लेकिन साहब को यह समझ नहीं आता कि यह उनके लिए आगे चलकर मौत का कारण बन सकता है। आज के दौर में नशा एक फैशन बन गया है।
भारत में शराब और सिगरेट बनाने वाले कंपनी की वजह से कई सौ करोड़ रुपये मिलते है। लेकिन फिर भी नशीली पदार्थ पर ”नो स्मोकिंग” लिखा रहता है। इसके बावजूद युवा पीढ़ी इसका भरपूर सेवन करते है।
धूम्रपान या शराब का सेवन स्वस्थ के लिए हानिकारक होता है। ये जुमला तो आप लोगों ने कई बार सुना होगा या फिर न्यूज पेपर से लेकर दीवारों पर लिखा देखा होगा, लेकिन फिर भी लोग अनसुना कर देते है। जबकि नशे से आर्थिक, मानसिक, सामाजिक और पारिवारिक स्तर पर बुरा असर पड़ता है। नशा करने वाले ज्यादातर लोग पत्नी को अक्सर मार-पीट करते है, यह घिनौना अपराध है। अभी के समय में ज्यादातर लोग सड़क दुर्घटना में इसलिए मारे जाते हैं क्योंकि वो शराब पीकर गाड़ी चलाते है। छोटे उम्र में बच्चों को नशा की लत लग जाने के कारण मानसिक स्थिति भी बिगड़ने का खतरा बना रहता है और साथ ही अपराधिक प्रवृति के लोगों के संपर्क में जाने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है।
नशा करने वाला व्यक्ति के पास आर्थिक तंगी होने के कारण नशे की लत की वजह से अपनी हर एक चीज बेचने को तैयार हो जाते हैं, नशा करके मोहल्ला और चौक-चौराहे पर तमाशे करते हैं, जिससे समाज में उनकी इज़्ज़त धूमिल हो जाती है। हमारे समाज में जो गरीब तबके के लोग हैं, माना जाता है कि वही सब से ज्यादा शराब और धूर्मपान का प्रयोग करते हैं। अगर लोग अपनी इस खर्च को अपने बच्चे के पठन पाठन में इस्तेमाल करे तो बहुत बेहतर होगा, लेकिन अफसोस की बात यह है कि ऐसा कदापि नहीं होता है, दो पल के सुख और मज़े के लिए इंसान अपना सब कुछ गवां देता है। आज कल एक अजीब तरह का पागलपन हमारे समाज में देखने को मिला है कि लोग अक्सर प्यार मोहब्बत में धोखा खाने पर नशे की लत में डूब जाते है। इसके दुष्परिणाम इंसान को ही झेलने पड़ते है।
अब आप कहेंगे कि बिहार में पूर्ण शराब बंदी है, लेकिन बिहार में शारबबंदी का कुछ खास असर नहीं है जनाब। नशा हमारे समाज में इस तरह सरेआम हो गया है कि आने वाली पीढ़ी को समझा पाना बहुत मुश्किल हो सकता है। इतना ही नहीं समाज के हर वर्ग के बच्चे बड़ी तेजी से नशे के गिरफ्त में आ चुके हैं, हर गांव, गली-मुहल्ला में गांजा, सेनफिक्स, सुलेशन, फोट्वीन इंजेक्शन, कफ सिरप जैसे नशीली पदार्थ का सेवन करते हैं।
तो अपनी निचले पीढ़ी को बचाने के लिए इस नशा मुक्ति अभियान का हिस्सा बने, और आने वाली पीढ़ी को जागरूक कर एक स्वस्थ्य और स्वच्छ समाज बनाने में अपनी सहभागिता प्रदान करें। धन्यवाद् ।
✍️ साहिल राज (हसनैन)
यह लेखक के अपने विचार हैं