शिक्षण संस्थान बन्द करने के फैसले पर एआईएसएफ बिहार की बैठक, आंदोलन का होगा शंखनाद

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शादियां होंगी,बसें चलेगी फिर स्कूल,कोचिंग क्यों हो बन्द शिक्षा को अंतिम पायदान पर रखने के बजाय इसके माध्यम से कोरोना से निकलने के उपाय की हो तलाश 

 मधेपुरा/बिहार : रैली होंगी, रैलियों में नेताजी  के रोड शो भी होंगे,बसों में 50फीसदी(केवल कहने के लिए) लोग सवार होंगे। शादियों में 250 तो श्राद्ध में 50 लोग शामिल होंगे। सवाल यह भी है कि शादी और श्राद्ध में संख्या तय होंगी तो रैलियों में क्यों नहीं?

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         कोई चीज नहीं होगा तो वह है पढ़ाई।बंद होंगे तो स्कूल #कॉलेज,कोचिंग संस्थान।इस को बन्द करना किसी समस्या का निराकरण नहीं बल्कि समस्या को डरावना व विकराल बनाने की कोशिश है। अगर गाइड लाइन के अनुसार अन्य ऑफिस चल सकते हैं, बसें चल सकती हैं तो उसी गाइड लाइन पर स्कूल की बसें और क्लास क्यों नहीं चल सकती ?

उक्त बातें वाम छात्र संगठन एआईएसएफ नेता हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कोरोना के बढ़ते केस की बात कर शिक्षण संस्थान को बन्द करने के सरकार के फैसले पर आपत्ति जताते हुए कही।उन्होंने कहा कि कि सरकार ऑनलाइन शिक्षा की बात करती है, लेकिन लैपटॉप, मोबाइल, इंटरनेट जिन्हें नहीं उपलब्ध है उनका क्या होगा इस पर मौन धारण कर लेती है। इस महामारी को लेकर सरकार डर का माहौल बना रही है जो दुखद है। स्कूल, कॉलेज, कोचिंग बन्द करने के बजाय मजबूत तैयारी के साथ खोलने की जरूरत है।

             इन्हीं सवालों के साथ असेम्बली बम कांड दिवस पर आगामी 8 अप्रैल को जवाबदोसरकार” के चेतावनी पूर्ण नारे के साथ AISF के साथी पूरे बिहार के अंदर सड़कों पर उतरेंगे। वहीं शिक्षा-स्वास्थ्य एवं रोजगार के सवाल पर 1857 के अमर सेनानी बाबूकुंवरसिंह की पुण्यतिथि पर 26 अप्रैल को सभी जिला पदाधिकारियों के सामने रोषपूर्ण प्रदर्शन करेंगे। पटना में रविवार को  AISF की राज्य कार्यकारिणी की बैठक में संगठन ने उक्त आंदोलनात्मक फैसलों पर मुहर लगाई। जिसको बीएनएमयू के तीनों जिलों में विभिन्न रूपों में लागू किया जाएगा। राज्य नेतृत्व की बैठक में भाग लेकर लौटे छात्र नेता राठौर ने कहा कि संगठन किसी भी कीमत पर सरकार के तुगलकी फरमान को स्वीकार नहीं करेगी, जनता ने सरकार को राज्य के सफल संचालन के लिए चुना है न कि समस्या गिनाने और निदान के बजाय हाथ खड़े करने के लिए। कोरोना कि आड़ में शिक्षा को चौपट करने की साज़िश सफल नहीं होने दी जाएगी।

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एआईएसएफ के पूर्व संयुक्त जिला सचिव सौरभ कुमार ने कहा कि राज्य नेतृत्व के फैसले को लागू करवाने के लिए तीनों जिलों में विभिन्न स्तरों पर संगठन पहल शुरू कर चुका है। संगठन की मांग रहेगी कि सरकार कोरोना काल में शिक्षा को अंतिम पायदान पर रखने के बजाय शिक्षा के द्वारा समाज को जागरूक कर इससे निकलने के उपाय तलाशे।


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