मधेपुरा/बिहार : नेताजी सुभाष चन्द्र बोस स्वतंत्रता आंदोलन के अग्रणी नेताओं में से एक थे। जब देश अलग अलग स्तरों पर बटा हुआ था तब उन्होंने राष्ट्रप्रेम की वो परिभाषा गढ़ी कि आम आदमी भी व्यक्तिगत जरूरतों की जगह राष्ट्र की स्वतंत्रता प्राप्ति को सर्वोच्च प्राथमिकता देना शुरू किया। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद गांधी जी से वैचारिक मतभेद के कारण उन्होंने अपने रास्ते अलग कर लिए लेकिन उद्देश्य को नहीं बदला।
उक्त बातें वाम छात्र संगठन एआईएसएफ के राष्ट्रीय परिषद् सदस्य सह बीएनएमयू प्रभारी हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की 125 जयंती पर संगठन द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि विपुल प्रतिभा के धनी सुभाष ने ताउम्र राष्ट्रहित को पहली प्राथमिकता दी, यही कारण है कि उन्हें मुल्क के अग्रणी स्वतंत्रता सेनानियों में शुमार किया जाता है। छात्र नेता राठौर ने कहा कि यह दुखद है कि उनकी मृत्यु की अनसुलझी गुत्थी के रहस्यों को आज तक साफ नहीं किया गया जो उनके साथ अन्याय है। वहीं राठौर ने केंद्र सरकार द्वारा उनकी 125 वीं जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने के निर्णय को सकारात्मक पहल और श्रद्धांजलि बताया। राज्य परिषद् सदस्य सह संयुक्त जिला सचिव सौरभ कुमार ने कहा कि नेताजी का दिया गया नारा ‘ तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ वर्षों बाद भी युवाओं को अन्याय के खिलाफ न्याय की जंग छेड़ने का उमंग भरता है। उन्होंने कहा कि आज के दौर में युवा पीढ़ी को उनसे प्रेरणा लेने की जरूरत है। छात्रा आशा, काजल, पूजा छात्र अजय, मौसम, रूपेश ने कहा कि सुभाष चन्द्र बोस जैसे स्वतंत्रता सेनानियों के जज्बे का ही फल था कि अंग्रेजों के नाक में दम हो गया था और वो मुल्क छोड़ने को विवश थे। वर्तमान पीढ़ी और सरकार को उनके सपने के राष्ट्र बनाने में अपनी भूमिका निभानी चाहिए।
इस अवसर पर संगठन के 85 वीं वर्षगांठ को समर्पित संगठन द्वारा विशेष रूप से जारी जयंती व पुण्यतिथि पर वृक्षारोपण के अन्तर्गत पेड़ लगा कर उन्हें नमन किया गया।
मौके पर दर्जनों की संख्या में उपस्थित छात्र, छात्राओं ने नेताजी की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें याद किया और उन्हें युवाओं का आदर्श बताते हुए कहा कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस हर दौर में युवाओं के प्रेरणास्त्रोत रहेंगे।

ब्यूरो, मधेपुरा