मधेपुरा/बिहार : भूपेंद्र नारायण मंडल विश्विद्यालय के उतरी परिसर में स्नातकोत्तर उर्दू विभाग में उर्दू साहित्य के प्रख्यात साहित्यकार एवं विद्वान् शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी के देहांत पर एक शोक सभा का आयोजन किया गया.
इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी एक भारतीय उर्दू भाषा के कवि, लेखक, आलोचक और सिद्धांतकार थे. उन्हें उर्दू साहित्य के लिए आधुनिकता की शुरुआत करने के लिए जाना जाता है. उनके कुछ उल्लेखनीय कार्यों में शेर-ए-शोर अंगरेज़ (1996), कै चांद द सर-ए असमान (2006), द मिरर ऑफ ब्यूटी (2013) और द सन द रोज़ फ्रॉम द अर्थ (2014) शामिल हैं. वे उर्दू साहित्यिक पत्रिका शबखून के संपादक एवं प्रकाशक भी थे. फ़ारूक़ी को 2009 में भारत का चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री मिला. वे 1996 में अपने काम शेर-ए-शोर अंगरेज़ के लिए सरस्वती सम्मान एवं 1996 में तंकीदी के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार भी प्राप्त कर चुके थे.
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वक्ताओं ने कहा कि शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी के देहांत से उर्दू साहित्य का बड़ा नुकसान हुआ है.
शोक सभा में विभागाध्यक्ष डा आबिद हुसैन उस्मानी, पूर्व विभागाध्यक्ष डा मुमताज़ आलम, डा फसिहुद्दिन अहमद, डा सलमान, डा नेजामउद्दीन अहमद, शोधार्थी शाहनवाज़ आलम, शबनम परवीन, सऊद आलम, शाहीन कौसर, सद्दाम हुसैन, गुलनावज रब्बानी, रहमतुल्लाह, मलिका निसार, रौशन परवीन, ग़ुलाम अख्तर रज़ा, शब्बीर रज़ा, अनायतुल्लह, फारुक, शमीमा खातून, अदनान अनवर, वालीउल्लाह, ज़फरुल्लाह अंसारी, वासिमुद्दीन, हसन रज़ा, मोसाविर आलम आदि मौजूद थे.