मधेपुरा (बिहार) : सृजन दर्पण के युवा रंग कर्मियों द्वारा ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय में बीएनएमयू कुलपति प्रो डा आरकेपी रमण कुलपति के सम्मान समारोह के अवसर पर विद्यापति की रचना उगना रे मोर कते गेला का नाट्य मंचन किया गया. मौजूद दर्शक देखते-देखते भाव विह्वल हो गये. अंत में जब विद्यापति वेसुध होकर गिर गये तब सबकी आंखें नम हो गयी और कुछ देर के लिए तालियां बजती रह गयी. प्रस्तुत नाटक के जरिए मिथिला की संस्कृति की महान परम्परा जीवंत हो उठी. भाषा ने परिवेश बनाया तो भाव ने मानव चिंतन की ऊंचाई का दर्शन कराया. मौके पर उपस्थित बीएनएमयू कुलपति प्रो डा आरकेपी रमण ने कहा कि कला हृदय को बंधन मुक्त करता है. यह व्यक्ति को नई ऊर्जा प्रदान करता है. विद्यापति हमारी संस्कृति के प्रदीप्त मणि है. अपने मंचन से रंगकर्मियों ने उन्हें प्रत्यक्ष कर दिया. ये कलाकार की सार्थकता है. वहीं मौके पर उपस्थित बीएनएमयू कुलसचिव डा कपिलदेव प्रसाद यादव ने कहा की भक्त के वश भगवान होते हैं, की पंक्ति का सार्थक दृश्य इस मंचन से प्रकट हुआ. बेशक यह रंगकर्मी समाज के लिए उपयोगी है. ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय के प्राचार्य डा केपी यादव ने कहा मैथिली एवं विद्यापति का रिश्ता अभिन्न है. दोनों एक दूसरे के पयार्य हो गए हैं. रंगकर्मी विकास एवं इसके साथियों ने अच्छा मंचन किया. ऐसा लगा कि हम लोग उसी कालखंड में पहुंच गये हैं. दर्शकों में इच्छा अनुसार भाव पैदा कर देने में ही कला एवं कलाकार की उपयोगिता है. विद्यापति की जीवत भूमिका में युवा रंगकर्मी सह नाट्य निर्देशक विकास कुमार, भगवान शंकर की भूमिका में सुमन कुमार ने अपनी प्रस्तुति दी. वहीं कोरश का किरदार सौरभ कुमार ने निभाया. साथ ही नाटक को सफल बनाने में सुशील कुमार एवं शंभू शंरण सिंह ने अहम भूमिका निभायी. इस अवसर पर डा वीणा कुमारी, डा बीएन विवेका, डा जवाहर पासवान, डा सुधांशु शेखर, डा उदय कृष्ण आदि उपस्थित थे.