मधेपुरा/बिहार : जिला मुख्यालय के बड़ी दुर्गा मंदिर, बांग्ला दुर्गा मंदिर, रेलवे परिसर स्थित दुर्गा मंदिर एवं गौशाला परिसर स्थित दुर्गा मंदिर में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी दुर्गा पूजा को भव्य रूप से मनाने की तैयारी चल रही है। हालांकि इस वर्ष कोरोना को लेकर सरकार के द्वारा कई निर्देश भी जारी किये गये हैं, इन निर्देशों के तहत ही समिति के द्वारा पूजा पाठ एवं मैया के दर्शन का कार्य किया जायेगा। मंदिर में एक बार में एक सौ से अधिक लोगों की प्रवेश की अनुमति नहीं दी जायेगी तथा मैया के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को सोशल डिस्टेंसिंग समेत मास्क का उपयोग करना आवश्यक होगा। इन सभी के बीच लोगों को मंदिर के आसपास फैली गंदगी एवं जलजमाव की समस्या सताने लगी है। जिला मुख्यालय के लगभग चारों पूजा पंडालों की स्थिति ऐसी है कि श्रद्धालुओं को कचरा, जलजमाव एवं उससे उठने वाली बदबू से होकर गुजरना पड़ेगा तथा इन सबों के बीच से गुजर कर, इन्हें पूजा के लिए मंदिर तक पहुंचना होगा।
जल जमा होने से समिति तथा श्रद्धालुओं को हो रही है परेशानी : जिले में लगभग सभी पूजा पंडालों के आसपास कचरों का अंबार लगने, जलजमाव होने एवं उससे उठने वाली बदबू से श्रद्धालुओं तथा समिति के लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। समिति द्वारा पानी निकासी का भी कार्य किया जा रहा है। जिला मुख्यालय के रेलवे परिसर स्थित रेलवे दुर्गा मंदिर के परिसर में भारी जलजमाव एवं एवं आसपास के दुकानों से दुकानों का कचरा फेकने एवं पानी बहाव करने के कारण मंदिर परिसर में पानी जमा होने से होने वाली परेशानी होने के कारण समिति तथा श्रद्धालु काफी नाखुश हैं। परिसर में बाजार के चारों ओर का सारा गंदा पानी बहकर आ रहा है। लोग उस पानी होकर जाने से कतराते हैं। उन्हें डर लगा है कि इस पानी से होकर गुजरने में बीमारी का भी शिकार होना पड़ सकता है।
नाक पर रूमाल रखकर पूजा को जाते हैं श्रद्धालु : मंदिर समिति के सदस्यों ने कहा कि बाजार का सारा कचरा इसी परिसर में फेंका जाता है और हर वर्ष पूजा के समय समिति द्वारा साफ करवाया जाता है, रास्ता चलने लायक नहीं है, इसके लिए अधिकारियों को कहा गया था लेकिन किसी ने सुध नहीं ली। लगातार जिला प्रशासन एवं संबंधित अधिकारियों को परेशानियों से अवगत कराने के बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं होता देख समिति के लोग एवं स्थानीय लोगों द्वारा तत्काल नवरात्रि तक श्रद्धालुओं किसी तरह की परेशानी न हो इसके लिये रास्ते में मिट्टी डलवा दिया गया है, लेकिन रास्ते के बगल में लोगों को शोच एवं मूत्र त्याग करते है। रविवार को रेलवे दुर्गा मंदिर परिसर में पूजा करने जा रही महिला श्रद्धालुओं ने बताया कि एक हाथ में पूजा की सामग्री एवं दुसरा हाथ नाक पर रखना यहां के लोगों की आदत सी बन गयी है।
पूजा के लिए गंदगी से होकर नंगे पैर गुजरेगी महिलाएं : 17 अक्टूबर से नवरात्र शुरू है। नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के मंदिरों में दीप जलाने के लिए हर रोज महिलाएं नंगे पैर पहुंचती है, लेकिन गंदगी का आलम यह है कि मुख्य दो पूजा पंडालों के इर्द-गिर्द गंदगी का अंबार लगा हुआ है। इसकी सफाई अब तक शुरू नहीं हो सकी है. यह स्थिति इस वर्ष की नहीं है। श्रद्धालुओं को इन कचरों एवं दुर्गंध से हर वर्ष गुजर कर ही पूजा की विधि संपन्न करनी पड़ती है। मंदिर पहुंचने वाली महिलाओं को इन कचरा पर अपने नंगे पैरों को रखकर मजबूरन इधर से गुजरना पड़ता है। सभी मंदिरों में मां दुर्गा के प्रतिमा बनाने का कार्य चल रहा है तथा कई मंदिरों में पंडाल बनाने का भी कार्य शुरू हो चुका है. ऐसी स्थिति में मंदिर समिति के कार्यकर्ताओं एवं कार्य कर रहे मजदूरों को कई परेशानियों से गुजरना पड़ रहा है। कचरों से उठने वाली बदबू बर्दाश्त करने के लायक नहीं है, साथ ही इन कचरों से बीमारियों का भी डर बना हुआ है।
रेलवे परिसर के दुर्गा मंदिर के पास गाद से निकलती है बदबू : रेलवे स्टेशन परिसर स्थित बने दुर्गा मंदिर का अभी हाल यह है कि यहां मंदिर के आगे होटलों का कचरा एवं गाद पड़ा हुआ है। श्रद्धालु नाक पर रूमाल रख कर मंदिर परिसर पहुंचना पड़ता हैं। गाद से इतनी बदबू निकल रही है कि लोगों का आवागमन मुश्किल हो गया है। कलश स्थापना के अब सिर्फ सात दिन शेष रह गए हैं, लेकिन इन सब समस्याओं से अवगत होने के बावजूद भी संबंधित विभाग द्वारा मंदिर परिसर सहित आसपास में साफ-सफाई का कोई प्रबंध नहीं दिख रहा है। मंदिर की सजावट के लिए मंदिर के आसपास बांस लगाने की आवश्यकता प्रति है, लेकिन स्थिति ऐसी है कि चारों तरफ बड़ी बुरी तरह से गंदगी फैली हुई है। जिसके कारण कोई भी मजदूर वहां कार्य करना नहीं चाहते हैं। स्थानीय लोगों की माने तो हर वर्ष जिला प्रशासन से लेकर सभी संबंधित अधिकारियों को इन समस्याओं से अवगत कराया जाता है, लेकिन नवरात्रि के दौरान ही विभाग द्वारा रास्ते को ठीक-ठाक कर काम चलाने लायक बना दिया जाता है, उसके बाद स्थिति जस की तस बनी रहती है।