किशनगंज/बिहार : भारत-नेपाल की सीमाओं पर चायना से आने वाले सामानों की धरपकड़ एक बार फिर से सुर्खियों में है । चायनीज मटर, सेव एवं सूखे मेवों का सुरक्षाबलों के द्वारा की जा रही जब्तियाँ, थानों में दर्ज मुकदमें और कथित तस्करों की गिरफ्तारियां सवालों के आधार बनते जा रहे हैं । एक तरफ नेपाली सुरक्षाबलों की ओर से चलने वाली बंदूकों की गोलियाँ, तो दूसरी तरफ सीमा की पुख्ता सुरक्षा के लिए एसएसबी के दावे, मामले को पेचीदा बना जाता है। भारत नेपाल मित्रराष्ट्रों के बदल रहे हालातों और कोरोना संक्रमण के बीच नेपाल में प्रवेश पर रोक को लेकर अब तक कई घटनाएं लोगों के सामने आ चुके हैं। हलांकि एक बात तो साफ है कि भारत-नेपाल नोमेंस लेंड की अधिकतर जमीनें कहीं न कहीं से अतिक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। या फिर सीमाओं के दोनों ओर इसी नोमेंस लेंड के दोनों ओर काफी बस्तियाँ बसाई जा चुकी है। जिसका फायदा कथित असमाजिक तत्व उठाने से नहीं चूक रहे हैं। दूरियां इतनी कम हो चुकी है कि पलक झपकते हीं इस पार से उस पार का खेल बड़ा हीं आसान हुआ लगता है। जहाँ से प्रतिवंधित सामान इस पार या उस पार में जमा किया जाता है। जिसे मोटर साईकिल, ट्रेक्टर -ट्राली से ढोये जाने की बातें किसी से छुपी नहीं है।
बताना लाजमी होगा कि 2001 के दशक में उस समय के “स्पेशल सर्विसेज ब्यूरो और 2003 में बदले नाम सशस्त्र सीमाबल की इन खुली सीमाओं पर तैनातियों के बाद, सीमाओं की परिस्थितियों में बदलाव आने लगा। खुली सीमा और मित्रराष्ट्र नेपाल से रोटी-बेटी रिस्तों के बीच तथाकथितों के द्वारा सीमा पीलरों को नुकसान पहुंचाने, सीमा चिन्हों को मिटाने की कई कोशिशों से एसएसबी इन्कार नहीं कर पाऐगी। ऐसे तत्वों के द्वारा सीमा चिन्हों के तौर पर लगे पेड़ों को काटना, भारत नेपाल के नोमेंस लेंडों पर जबरन खेती करना, सब पीलरों को खिसकाना और सब पीलरों पर आघात कर उसे मिटाने की कई कोशिशें कर मित्रराष्ट्र से हमारे संवंधों में खटास पैदा करने की कोशिशें की गई।
इन्हीं परिस्थितियों के बीच काफी दिनों बाद दूर तो नहीं दिघलबैंक की सीमाओं से सटे क्षेत्रों में दो बार नेपाली सुरक्षा प्रहरियों ने फायरिंग की, जिसे दोनों तरफ के सुरक्षा बल अधिकारियों के प्रयास से निपटा लिया गया। इस बीच एस एस बी एवं जनप्रतिनिधियों की संयुक्त बैठकें भी आयोजित की गई जिसमें कई तरह के निर्णय भी लिये गये, पर लगातार सीमाओं पर से तस्करी की खबरों से लोग कई सबाल खड़े कर जाते हैं। जिसमें एक तरफ नेपाल आर्मफोर्स के द्वारा अनाधिकृत रुप से नेपाल में प्रवेश पर की जा रही फायरिंग, तो दूसरी ओर नेपाल की ओर से आरही चायनीज सामानों की तस्करी और भारतीय क्षेत्र में धरपकड़ से जुड़े मामले स्थानीयों के मन में उफाफोह एवं संशय में डाल रखा है, जिस पर विचार करना भी आवश्यक माना जाता है ।