किशनगंज/बिहार : नदियों के जल स्तरों में इजाफा होने से जिले के बहादुरगंज प्रखंड पानी-पानी हो गया है । हालत ये है कि लोगों के घर के आंगन में पानी घुस गया है । बावजूद इसके अब तक किसी भी सरकारी तंत्र के पहुंचने की सूचना नहीं मिली है ।
मालूम हो कि बहादुरगंज प्रखंड का महेशबथना पंचायत, जहाँ के दोगच्छी, मसानगांव एवं सटे गांवों में अचानक आई बाढ़ से लोगों में हाहाकार मचा है । दोगच्छी से आगे मसानगांव जाने के रास्ते के कट जाने से लोग जहाँ के तहां फंसे पड़े हैं । रास्ता के कटे जगह पर पानी का तेज बहाव देखकर राहगीर पानी घटने के इन्तजार में बैठे हैं।
बताते चलें कि झिंगाकाटा हाट से उतर निकलते हीं लोगों को उफनाई नदी के घुटने से लेकर कमर तक के पानी से होकर गुजरना पड़ रहा है । जबकि अभी इसी पंचायत के मसानगांव जाना मुश्किल लगता है। ऐसे में यहाँ की मुखिया इन्द्रावती के प्रतिनिधि मदन लाल और उप मुखिया के .पी .दास से किसी तरह सम्पर्क साधा गया तो इन्होने बताया कि एक तरफ कौल और दूसरी तरफ से मरिया कंकई में पानी का स्तर काफी बढ़ जाने से गॉंव और यहाँ के आंगन पानी से भरे पड़े हैं । वहीं बहादुरगंंज के सी ओ को फोन कर सूचना दी गई तो वे यहाँ आने में असमर्थता जताई ।
गौरतलब है कि दो दिनों से बहादुरगंज के बी डी ओ और सी ओ सतमेढ़ी गांव में हो रहे नदी कटाव को लेकर अपनी पूरी ताकतें लगा रखी है । फिर जिला में बैठक आदि को लेकर उनकी परेशानी बढ़ी हुई है, इसलिये उनका आना संभव नहीं लगता है। खासकर इस गांव के पच्छिम तकरीबन आधे किलोमीटर पर कौल नदी के कटाव और बाढ़ से यहाँ का टप्पूटोला हमेशा से प्रभावित रहा है । जिससे यहां के ग्रामीण विस्थापित होकर सड़क के किनारे आ बसे हैं । कौल की उफनती धाराओं एवं पूरब के ग्वालटोली से सटकर भाया मसानगांव होकर झिंगाकाटा से निकलने बाली मरिया कंकयी नदी, दोनों की उफनती धाराओं ने इस गांव के ग्रामीणों को फिलवक्त अपने आगोश में कर रखा है। जहाँ प्रशासनिक उदासीनता के कारण कोई भी पहल नहीं किये जाने की सूचना है । जिससे बाढ़ आने पर प्रशासनिक तैयारियाँ ज्यों की त्यों धरे रहने की सूचनाऐं मिल रही है। मुखिया प्रतिनिधि और उप मुखिया गांव में घुसे पानी में जाकर लोगों को आपातकाल में सुरक्षित रखने की कोशिशों में लगे दिखते हैं । कहना गलत नहीं होगा कि महेशबथना पंचायत के निवासी दो नदियों की चपेट में अब तक अपना सब कुछ गवां कर भी यहाँ जीवन गुजार रहे हैं । जबकि झिंगाकाटा हाट से आगे बर्षों से क्षतिगस्त पुल पर से दो से तीन फीट पानी का बहाव सहज हीं देखने को मिल रहा है ।
सुरक्षा की दृष्टिकोण से यहाँ ग्रामीण पुलिस की नियुक्ति की गई है जो पानी की तेज धारों से निकलने पर लोगों को रोकने में लगी है। हलॉकि दूरभाष पर सम्पर्क साधने पर जल स्तर में कमी आने की सूचना मिली है। जहाँ प्रशासन तंत्रों का जाना उचित ठहराया जा रहा है ।