पटना/बिहार : मार्च में करोना संकट के कारण प्रारंभ हो चुके लॉक डाउन में जहां पूरे देश दुनिया के लोगों को प्रभावित किया है। उसमें कुछ ऐसे लोग हैं, जिन लोगों ने भूख मिटाने के लिए अपनी परंपरागत कला को छोड़कर मेहनत मजदूरी करना शुरू किया। जिनके हुस्न के जलवे पर हजारों लाखों रुपए लोग लुटाते थे, वे अब तपती दुपहरी में किसानों के खेतों में गेहूं काट रही है। जो हुस्न की साक्षात देवी थी उनके पसीने से तरबतर चेहरे अब रंगीन से श्वेत श्याम हो चुके हैं।
जी हां चलिए हम आपको लिए चलते हैं छपरा और सिवान व गोपालगंज जिले के कुछ ऐसे इलाकों में जो इलाके आर्केस्ट्रा वालों के कारण आज पूरे बिहार जाने जाते हैं। सिवान के जनता बाजार महाराजगंज समेत तमाम चौक चौराहे पर लगभग साढे 500 से ज्यादा पंजीकृत आर्केस्ट्रा ग्रुप इन 3 जिलों में है। इन मंडलियों में काम करने वाली लड़कियां पश्चिम बंगाल और दूसरे प्रदेशों से आती है। उनके साथ उनके परिजन भी होते हैं तथा शादी ब्याह में नृत्य कर पैसा कमाती है।
इस बार बिहार में लग्न का माहौल शुरू नही हो सका। जिन लोगों ने इनकार तो शादियों में बुक करवाया था उन लोगों ने भी कोरोना संकट में इन्हें एडवांस देने से मना कर दिया। कोरोना शादियों पर ब्रेक लगा दिया ऐसे में छपरा सीवान गोपालगंज में आकर फंसे हजारों आर्केस्ट्रा की नर्तकीयो के सामने भुखमरी की स्थिति पैदा हो गई। मेकअप के चेहरे तेज संगीत साथ जगमगाती रोशनी में अपना जलवा दिखाने वाली इन कलाकारों को हालात से समझौता करते हुए अपना पेट भरने के लिए तपती दुपहरी में खेतों में मेहनत मजदूरी करना पड़ रहा है।
स्थानीय लोगों ने शुरुआत में थोड़ी बहुत इन लोगों की मदद भी की पर किसी को नहीं पता था कि स्थिति इतनी विकराल हो जाएगी। कोई कर्ज देने को भी तैयार नहीं है । जनता बाजार पर डेढ़ सौ से ज्यादा ऐसे आर्केस्ट्रा ग्रुप है, इनमें से तो सैकड़ो की तादाद में लड़कियों ने अपना स्थाई बसेरा तक बना रखा है । महाभारत कालीन मंदिर के कारण कभी जाने जाने वाला जनता बाजार अब इन बार बालाओं हुस्न के जलवे के कारण ही जाना जाता है। जानकार सूत्र बताते हैं कि लॉक डाउन के शुरुआती दिनों में किसी तरह इनका गुजारा हुआ। कुछ स्थानीय लोगों ने इनकी मदद की और बाद में सब लोग खुद विपन होने लगे और सब ने हाथ खींच लिया। ऐसे में इन लोगों के सामने भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई और इन लोगों ने गांव-गांव में घूमकर गेहूं काटना शुरू कर दिया।
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि छपरा सिवान और गोपालगंज में चलने वाले आर्केस्ट्रा ग्रुप ही यूट्यूब का खेल शुरू होने से पहले भोजपुरी के जितने भी अश्लील गाने बनते थे। उन्हें हिट और सुपरहिट बनाते थे। आज भी इन आर्केस्ट्रा ग्रुप के कार्यक्रम में बार-बार बजने वाले गानो से तय होता है कि कौन हिट है कौन सुपरहिट है। साथ ही जिन जिन बाजारों पर इनका बसेरा है, वहां गुंडा बैंक अर्थात सूद ब्याज का कारोबार भी काफी व्यापक होता है । इलाके के सभी रईसों का जमवाड़ा भी यही होता है। लेकिन हालात बदलते हैं सभी ने इन्हें इनके हालात पर छोड़कर कन्नी काट लिया।
छपरा जिले के सोनपुर नया गांव परमानंदपुर, दिघवारा, नगरा, ईश्वर पुर, मढ़ौरा, तरैया, मसाला, खानापुर, डुमर्सन, राजापट्टी, हाजीपुर, बनियापुर, अनापुर, सिवान के मदारपुर जामो, मलमलिया, बसंतपुर, महाराजगंज, तरवारा, इकमा, माझी, गोपालगंज के कटरा पूरे कुचायकोट माझा, बरौली, बैकुंठपुर समेत सभी भीड़भाड़ वाले बाजारों पर दो से तीन चार ऐसे आर्केस्ट्रा ग्रुप संचालित होते हैं। जिनमें काम करने वाली लड़कियां वही रहती थी। बदले हालात में कोई भी मदद के लिए आगे नहीं आ रहा है।
यह लोग अपने घर वापस लौटना चाहते हैं। पर खाली हाथ यहां तो पेट भरना ही मुश्किल हो रहा है जाए तो जाए कैसे। शासन प्रशासन के द्वारा भी ने कोई मदद नहीं मिल रही है। हाल के कुछ वर्षों में जिला प्रशासन में अब तक क्यों और हरकेशटा ग्रुपों का निबंधन अनिवार्य हो गया है।
प्राप्त आंकड़ों के अनुसार सबसे ज्यादा पश्चिम बंगाल की लड़कियां इन जिलों में अपनी कला का प्रदर्शन करने आती हैं। फिलहाल ऐसी 850 लड़कियों का आंकड़ा उपलब्ध है।