बिहार : कोरोना संकट के बीच कारगिल युद्ध का हीरो अब बन गया है समाज का रक्षक

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अनूप ना. सिंह
स्थानीय संपादक

पटना/बिहार : कोरोना संकट के बीच देश मे एक सुनियोजित साजिश के तहत धार्मिक उन्माद पैदा किया जा रहा है। मरकज जमात के नाम पर देश में मौत बाँटा जा रहा है, देश के नवनिर्माण में अपने खून का कतरा कतरा देने वाले मुसलमानों के खिलाफ साजिश रची जा रही है, कुछ लोग मुसलमानों के रहनुमा बनने के नाम पर देश के लिए खतरा बनते जा रहे हैं । ऐसे दौर मे हम आपको एक ऐसे मुस्लिम समाजिक अग्रदूतसे मिलाने जा रहे है जो न सिर्फ देश भक्ति की मिसाल पेश कर रहे हैं बल्कि सामाजिक क्रांति के अग्रदूत भी बने  है।

 बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के औराई विधानसभा में जहां एक अवकाश प्राप्त सैनिक डा सादात ख़य्याम ऐसा अलख को जगा रहे हैं, जो हमें कौमी एकता के साथ ही साथ ग्रामीण विकास की भी एक अनूठी मिसाल दे रहा है। औराई विधानसभा क्षेत्र में विगत 18 दिनों से इनके द्वारा गरीब और लाचार लोगों के बीच अनाज सब्जियां दवाइयां मास्क वितरित किया ही जा रहा है। साथ ही साथ लोगों को सोशल डिस्टेंस का पालन करने घरों के अंदर रहने अफवाहों से बचने के लिए भी जागरूक किया जा रहा है। अभी तक इनके द्वारा औराई विधानसभा क्षेत्र में हजारों लोगों को मदद पहुंचाई गई है। टीवी डिबेट में जो लोग मुंह फाड़ फाड़ कर मुस्लिमों के रहनुमा बनने के स्वांग रच रहे हैं, उन्हें डा सादात ख़य्याम  से सीख लेनी चाहिए कि सही मायने में एक सच्चा मुसलमान और एक हिंदुस्तानी होने का फर्ज अदा कर रहे हैं।

 प्रगतिशील व विकास परक राजनीति के तहत औराई विधानसभा क्षेत्र में स्वरोजगार का अलख जगाकर लोगों के आर्थिक पक्ष को मजबूत करने में जुटे हैं, वे कहते हैं कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है और देश के आजादी के बाद चाहे जितनी भी सरकारी योजनाएं बनी हो गांव पहले से बदहाल हुए अगर ऐसा नहीं होता तो बिहार जैसे पिछड़े प्रांत में पलायन की इतनी बड़ी पीड़ा भी नहीं होती। इसी कारण से उन्होंने अपने औराई विधानसभा क्षेत्र में कृषि गत व्यवसायिक कार्यों को मूर्त रूप देकर एक मिसाल कायम की है। बिहार के ग्रामीण इलाकों में कृषि गत स्वरोजगार को बढ़ावा देने में जिन युवाओं ने साहसिक प्रयास किया है। उनमें मुजफ्फरपुर जिले के रहने वाले डा सादात ख़य्याम का नाम काफी प्रमुख है । बिहार में मछली पालन, अंडा उत्पादन, औषधीय पौधों की खेती केला उत्पादन के साथ ही साथ ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार के प्रति लोगों में जनजागृति लाने का जन आंदोलन चला रहे समाजसेवी व युवा उत्प्रेरक संजीव कुमार श्रीवास्तव के सहकर्मी है डा सादात, इनके पिता का नाम मोहम्मद ख़य्याम है।

डा सादात खय्याम ने बिहार से ही इंटर तक कि पढ़ाई करने के बाद भारतीय वायुसेना की परीक्षा 1994 में दी, जिसमे ये अपने ग्रुप में टॉप आये। वायु सेना में अपनी सेवा के दौरान इन्होंने देश भर में भ्रमण किया। जिसमे अंडमान निकोबार, द्वीप समूह और इलाहाबाद जो अब प्रयागराज है, यादगार रहे। 20 साल की सेवा के बाद 2014 में ये सेवानिवृत्त हुआ। सेवा काल के दौरान 1999 के कारगिल की लड़ाई में भी शामिल हुए और इन्हे ऑप्स विजय मेडल से अलंकृत किया गया। 26 जनवरी 2001 में गुजरात भूकम्प में जामनगर में इनकी पोस्टिंग थी, भुज में राहत कार्य के  दौरान इनके टीम के तीन सदस्यों को शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया जो गर्व की बात है। 13 दिसम्बर में जब संसद पर आक्रमण हुआ था तब भी इन्हे छुट्टी से रिकाल किया गया था। 2002 के गुजरात दंगों में इनकी पोस्टिंग जामनगर, गुजरात मे थी जिसमे इन्होने कानून व्यवस्था को पटरी पर लाने में प्रशासन का पूरा सहयोग किया। 2004 में इनका विवाह एक दन्त चिकित्सक से हुआ। सेवाकाल के दौरान इन्होंने इग्नू से उच्च शिक्षा हासिल की। सामाजिक गतिविधियों में भी इनका योगदान अनुकरणीय है। मोतियाबिंद मुक्त बिहार  कार्यक्रम के अंतर्गत मुज़फ़्फ़रपुर आई हॉस्पिटल के साथ मिलकर मुफ्त में मोतियाबिंद का चेक-अप, दवा, चश्मा और अगर आपरेशन की, ज़रूरत हो तो हॉस्पिटल तक गाड़ी में लेकर जाना, आपरेशन, रहना, खाना-पीना, काला चश्मा, दवा आदि उपलब्ध कराना  भी इनके सेवा मे शामिल है।  बिहार के बड़े अस्पतालों से सामाजिक गतिविधि समन्वय के साथ टाईअप कर के ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य शिविर का आयोजन भी करवाते हैं तथा गरीब लाचार मरीजों के इलाज में रियायत करने के लिए भी अस्पतालों को बाध्य करते हैं। शिक्षित बिहार कार्यक्रम के तहत किए उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों को निजी कॉलेजों तक पहुंचाने में भी मदद करते हैं तथा आर्थिक रूप से भी उन्हें रियायत व अन्य सुविधाएं प्रदान करवाते हैं।

बिहार में कृषि क्रांति काला जगा रहे युवा प्रेरक अंडर क्रांति के जनक संजीव श्रीवास्तव के संग मिलकर यह मुजफ्फरपुर जिले के औराई प्रखंड में अंडा उत्पादन फार्म बकरी पालन औषधीय पौधों की खेती मछली पालन के लिए न सिर्फ लोगों को प्रेरित कर रहे हैं बल्कि इनकी प्रेरणा है से सैकड़ो लोग स्वरोजगार भी प्रारंभ कर चुके हैं। अपनी कर्मठता और अदम्य साहस के बल पर इन्होंने जो सशक्त पहचान बनाई है उस के बल पर क्षेत्र के लोग इन्हें आने वाले विधानसभा चुनाव में अपने जनप्रतिनिधि के रूप में भी देखना चाहते हैं। यह बताते हैं कि जनतंत्र में जनता ही मालिक है कि यह सेना में रहे हैं, इसलिए अनुशासन के महत्व को समझते हैं। उनका कहना है कि देश में अशिक्षा गरीबी स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव बिहार तो और भी पिछड़ा हुआ है दूसरे पर दोषारोपण करने से बेहतर है कि बेहतर विकल्पों के लिए लोगों को जागृत किया जाए। सबसे पहले शिक्षा स्वास्थ्य रोजगार जरूरी है जिसे लेकर पूरी ईमानदारी से काम कर रहे हैं।

आओ रोज़गार करें कार्यक्रम  द्वारा किसानों को 1) बकरी पालन 2) Bio-flock विधि द्वारा मछली पालन3) Aura एवं Medicinal plants की खेती4) सहजन की खेती 5) G9 Cavendish केला की खेती की जानकारी के साथ ही साथ इनकी और उनकी टीम के द्वारा प्रशिक्षण बैंक लोन में सहायता तथा उत्पादित माल के लिए बाजार भी उपलब्ध करवाया जाता है।


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