प्रेस विज्ञप्ति : फुलवारीशरीफ/पटना/बिहार : ऑल इंडिया मिल्ली कोंसिल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और अबुल-कलाम रिसर्च फ़ाउंडेशन के चेयरमैन ने अपने प्रेस बयान में कहा कि कोरोना के नाम पर कुछ लोग और मीडीया तब्लीग़ी जमात और मुस्लमानों को बदनाम कर रहे हैं और उनकी छवि को बिगाड़ने का काम कर रहे हैं। ऐसा जाहीर होता है कि आने वाली ख़बरों से शायद देश में सांप्रदायिक फ़साद करवाने की साज़िश रची जा रही है और अगर ऐसा नहीं है तो फिर आख़िर देश के कई हिस्सों से लड़ाई झगड़ों की ख़बरें क्यों आ रही हैं? हालाँकि भारत सरकार और डब्लयू ऐच ओ की गॉड लाईन भी मौजूद है फिर भी ग़लत रिपोर्टिंग से देश का माहौल ख़राब करने से लोग बाज़ नहीं आ रहे हैं और ग़लत रिपोर्टिंग और ख़बरों की वजह से देश के अमन-ओ-अमान और आपसी भाई चारा को ख़तरा है।
मौलाना क़ासिमी ने कहा कि इस तरह की एक ग़लत रिपोर्ट बिहार के ज़िला पछमी चंपारण की है जहां जिलाधिकारी को ४७ वीं वाहिनी बटालियन, सरहदी सुरक्षा इकाई, पनटोका, राम गढ़वा के ज़रीये दी गई है कि नेपाल का रहने वाला ज़ालिम मुखिया भारत में कोरोना वाइरस फैलाने की साज़िश कर रहा है और चालीस से पच्चास भारतीय मुस्लमान जो कि कोरोना से प्रभावित हैं, उनके भारत में आने की ख़बर दी। हालाँकि ये रिपोर्ट ग़लत और झूटी है।
स्पष्ट हो कि ज़ालिम मुखिया नेपाल के गणमान्य शहरीयों में शुमार किया जाता है और इस तरह नेपाल के किसी शहरी के ख़िलाफ़ ग़लत रिपोर्टिंग भारत नेपाल रिश्तों को प्रभावित करने का कारण बन सकती है। इसी तरह का एक मामला यूपी का है जहां एक तब्लीग़ी जमात के लोगों में कोरोना वाइरस नहीं पाया गया और उन्हें करोंटाईन अस्पताल से जेल भेज दिया गया जबकि इस में कुछ ग़ैर मुल्की शहरी भी हैं, ये भी अजीब बात है कि अमरीकी शहरीयों को तो बिहार से अमरीका भिजवा दिया गया और तब्लीग़ी जमात के लोगों को जेल। एक तरफ़ हमारे प्रधान मंत्री पूरी दुनिया में घूम कर दूसरे मुल्कों से रिश्ता बनाने की कोशिश कर रहे हैं और कुछ लोग हैं जिनकी ग़लत हरकतों से उन मुल्कों से रिश्ते खराब होंगे जिन मुल्कों के शहरीयों को जेल में डाला गया है। एक और मामला बिहार के सहरसा का है जहां तब्लीग़ी जमात के ख़िलाफ़ ग़लत रिपोर्टिंग और प्रोपेगंडा के तहत तब्लीग़ी जमात को बदनाम किया गया। हालाँकि सहरसा सदर अस्पताल के डाक्टरों और नर्सों ने तब्लीग़ी जमात के ख़िलाफ़ फैलाई गई ख़बर को झूटा बताया। उस के साथ देश और सूबा बिहार के कई इलाक़ों से ख़बरें और फ़ोन काल्ज़ आ रहे हैं जिनमें ये शिकायत आम है कि लॉकडान में फंसे ग़रीबों में खाने पीने की ज़रूरी चीज़ें बांटने गए और ठेले पर सब्ज़ी बेचने वाले लोगों को ये कह कर पीटा गया कि तुम मुस्लमान हो और हमारे मोहल्लों में कोरोना फैलाने आए हो, इस तरह के वाक़ियात लगातार बढ़ रहे हैं बावजूद उस के कि सरकार ऐलानात कर रही है कि आपसी भाई चारा और अमन-ओ-अमान बनाए रखें।
इसलिए हमने इस सिलसिले में राष्ट्रपति, प्रधानमन्त्री, गृह मंत्री, मानवाधिकार आयोग, अल्पसंख्यक आयोग, बिहार के मुख्यमंत्री, गृह सचिव और डीजीपी को ख़त भेजा है कि एक विशेष संप्रदाय, विशेष रूप से मुसलमानों और और तब्लीग़ी जमात वालों का नाम लेकर नफ़रत ना फैलाया जाये और जो दहश्त का माहौल और सांप्रदायिक उन्माद पैदा की जा रही है। अगर वक़्त रहते उसे नहीं रोका गया तो देश और बिहार में व्यापक हिंसा हो सकती है। इस लिए देश और सूबा का प्रसाशन इस पर ध्यान दे।