मधेपुरा : कोरोना वायरस को लेकर सदर अस्पताल प्रशासन गंभीर नहीं,  मरीजों को “होम क्वॉरेंटाइन” का मतलब भी समझाने वाला कोई नहीं

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ऋषि सिंह

मधेपुरा सदर से ऋषि सिंह की रिपोर्ट :

मधेपुरा/बिहार : जहां कोरोनावायरस को लेकर भारत देश ही नहीं बल्कि अन्य देश भी दहशत में है । वही इस वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए बिहार सरकार तथा केंद्र सरकार द्वारा कई कार्य किए जा रहे हैं । बिहार सरकार तथा केंद्र सरकार द्वारा लॉक डाउन भी कर दिया गया है । साथ ही सभी जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, अस्पताल प्रशासन को इसे लेकर सख्त निर्देश दिए गए हैं । अस्पतालों को निर्देश दिया गया है कि कोई भी अगर संदिग्ध व्यक्ति पाया जाता है तो उसकी तुरंत जांच की जाए । जांच के उपरांत अगर वह व्यक्ति वायरस से पीड़ित नहीं होता है तो उसे घर जाने दिया जाए तथा होम क्वॉरेंटाइन के नियमों का पालन करें । लेकिन मधेपुरा जिला में इन निर्देशों का पालन होता नहीं दिख रहा है ।

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 सदर अस्पताल में रोजाना कई लोग स्वयं पहुंचकर अपना जांच करवा रहे हैं । सदर अस्पताल में कम बेड होने के कारण संदिग्ध लोगों को जननायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में बने आइसोलेशन वार्ड में भेजा जा रहा है, लेकिन वहां से भी लोगों को वापस भेज दिया जाता है । जिससे लोग परेशान दिख रहे हैं । लोगों का कहना है कि अस्पताल बनने के बाद मधेपुरा जिला के साथ-साथ आसपास के जिलों में एक आस जगी थी कि अब जिले की स्वास्थ्य विधाएं बेहतर होगी, लेकिन फिलहाल ऐसा होता नहीं दिख रहा है ।

लोगों को होम क्वॉरेंटाइन का मतलब समझाने की है जरूरत : सदर अस्पताल में भी कोरोना वायरस को लेकर अस्पताल प्रशासन गंभीर नहीं है, लोग वायरस को लेकर चिंतित हैं और अस्पताल जांच के लिए पहुंच रहे हैं, जहां मरीजों को जांच कर दवाएं लिखकर पुर्जे पर होम क्वॉरेंटाइन का मुहर मार कर भेज दिया जा रहा है । जांच कराने पहुंचे कई लोग ऐसे हैं जिन्हें ऊर्जा पर लगाए गए मुहर का मतलब नहीं समझ में आता है । उन्हें सदर अस्पताल प्रशासन एवं उनके कर्मियों के द्वारा समझाने की जरूरत है । ऐसी स्थिति में ऐसे लोगों को कोई समझाने वाला नहीं मिल रहा है, जिसके कारण लोग भी “होम क्वॉरेंटाइन” का मतलब नहीं समझ पाते हैं और बेफिक्र अपने घरों में लोगों के साथ रहते हैं । ऐसी स्थिति में वायरस फैलने की संभावनाएं बढ़ जाती है । रविवार को कॉलेज चौक पर सदर प्रखंड के तुलसीबाड़ी निवासी रामविलास साह लोगों से पुर्जा दिखाकर जानकारी लेने की कोशिश कर रहे थे, वे पुर्जा पर लगे लाल कलर से “होम क्वॉरेंटाइन” मुहर को दवाई का नाम समझ रहे थे और लोगों से वह दवाई कहां मिलेगी, यह पूछते नजर आये ।


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