नालंद/बिहार : जिले के हड़ताली नियोजित शिक्षकों का धैर्य जवाब दे दिया और 5 हजार से अधिक शिक्षक हड़ताल के 18वें दिन सड़कों पर उतर गए। एक साथ इतने लोगों के सड़क पर आ जाने से पूरा शहर ठप होकर रह गया। दो पहिया और चार पहिलया की कौन कहे। पैदल आदमी भी जहां था, वहीं पर थम गया।
हड़ताली शिक्षकों की पहले से निर्धारित आक्रोश मार्च की शुरुआत श्रम कल्याण केन्द्र के मैदान से हुई। यहां से निकल कर सभी शिक्षक कलेक्ट्रेट पहुंचकर मुख्यमंत्री के नाम का ज्ञापन डीडीसी राकेश कुमार को सौंपा। मार्च के दौरान शिक्षकों का आक्रोश साफ दिखाई दे रहा था। हजारों शिक्षक एक साथ सरकार के खिलाफ व अपनी मांगों के समर्थन में नारे लगाते रहे। आक्रोश मार्च में सभी प्रखंडों के शिक्षकों ने शिरकत की। हाथों में प्ले कार्ड व सिर पर टोपी पहने सभी शिक्षक एतवारी बाजार, डीईओ कार्यालय कागजी मोहल्ला होते हुए कलेक्ट्रेट पहुंचा। कलेक्ट्रेट पहुंच कर करीब आधा घंटा तक सभी शिक्षक मुख्य द्वारा को घेरे रखा। इस दौरान कोई भी अधिकारी, कर्मी या आमजन बाहर नहीं निकल सका।सड़क के दोनों ओर आवागमन पूरी तरह ठप रहा।
शिक्षक संघर्ष समिति के संयोजक राणा रणजीत कुमार, अध्यक्ष मंडल सदस्य संजीत कुमार शर्मा, रौशन कुमार, मदन कुमार, प्रकाश चंद्र भारती, कुमार अमिताभ, प्रियंका गांधी व अन्य ने कहा कि हड़ताली शिक्षक सरकार के किसी भी कार्रवाई से डरने वाला नहीं है। जब तक सरकार नहीं मानेगी, तब तक हम लोकतांत्रिक व गांधीवादी तरीके से अपनी लड़ाई महाभारत की तरह लड़ते रहेंगे। क्योंकि न्यायालय ने साफ कह दिया है कि पंचायती राज्य के शिक्षकों पर सरकार के द्वारा किसी भी प्रकार से किसी भी तरह की कार्रवाई का अधिकार नहीं। ऐसे में नियोजित शिक्षकों के वाजिब मांगों को और बल मिला है। शिक्षकों ने कहा कि हमारी बाजी मांगों को सरकार मानने से कतरा रही बिहार सरकार हड़ताली शिक्षकों से आज तक बात करने के लिए भी नहीं कदम बढ़ाया है। नेताओं ने कहा कि राज्य सरकार जल्द बातों के लिए पहल करें, नहीं तो नियोजित शिक्षक व उसके परिवार सरकार को आगामी चुनाव के दीए में जलाकर दीपावली मनाएंगे। जलूस के कारण पूरे शहर में सड़कों पर आवागमन बिल्कुल ही ठप रहा जिससे पूरी शहर की ट्रैफिक व्यवस्था चरमरा कर रह गई।
इस दौरान जिले के सभी प्रखंडों के समन्वय समिति के नेतृत्व मंडल अपने-अपने प्रखंड का प्रतिनिधित्व करते रहे। इसमें बिहारशरीफ, करायपरसुराय, हिलसा, एकंगरसराय, इस्लामपुर, चंडी, हरनौत, सरमेरा, रहुई, राजगीर, परवलपुर, बेन, आस्थवा, कतरीसराय, गिरियक सहित हजारों शिक्षक मौजूद थे।