मधेपुरा/बिहार : प्रकृति हमारी मां है, प्रकृति के सानिध्य में बिताया गया एक पल मनुष्यों के साथ बिताए गए सैकड़ों पल से श्रेयष्कर है। अतः हमें अपना अधिकाधिक समय प्रकृति-पर्यावरण के सानिध्य में बिताना चाहिए। यह बात ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय के प्राचार्य डा केपी यादव ने कही।
वे मंगलवार को ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना के तत्वावधान में आयोजित प्रथम जल-जीवन-हरियाली दिवस की अध्यक्षता कर रहे थे। यह कार्यक्रम शिक्षा विभाग बिहार सरकार पटना के पत्र के आलोक में आयोजित किया गया। इस अवसर पर सौर ऊर्जा के उपयोग को प्रोत्साहन एवं उर्जा की बचत पर बल, विषय पर परिचर्चा हुई। प्राचार्य ने कहा कि महाविद्यालय पूर्व से ही जल-संरक्षण, हरियाली एवं सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। बिहार सरकार के निदेशानुसार प्रत्येक माह के प्रथम मंगलवार को जल-जीवन-हरियाली दिवस मनाने का निर्णय लिया गया है। कार्यक्रम का प्रतिवेदन दो-तीन हाई रिजोल्यूसन फोटो के साथ विहित प्रपत्र में राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा परिषद् कार्यालय को प्रत्येक माह के चार तारीख तक भेजा जाएगा।
चुनौतियों से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास : प्राचार्य ने बताया कि जल-जीवन-हरियाली अभियान जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास है, इसके कई अवयव हैं। इनमें सार्वजनिक जल संचयन संरचनाओं यथा- तलाब, पोखर, कुआं आदि को अतिक्रमण मुक्त करना, इनका जीर्णोद्धार, इनके किनारे सोख्ता, रिचार्ज या अन्य जल संचयन संरचना का निर्माण शामिल है। इसके अलावा पहाड़ी क्षेत्रों के जल संग्रहण क्षेत्रों में चेक डैम एवं जल अन्य संस्थाओं का निर्माण, नए जल स्रोतों का सृजन एवं अधिशेष नदी जलक्षेत्र से जल की कमी क्षेत्रों में जल ले जाना तथा भवनों में वर्षा जल संचयन करना है। साथ ही पौधशाला सृजन एवं पौधारोपण, जैविक खेती एवं अन्य तकनीकों का उपयोग एवं सौर ऊर्जा उपयोग को प्रोत्साहन एवं ऊर्जा की बचत जरूरी है।
पारंपरिक ऊर्जा के स्थान पर अक्षय ऊर्जा के प्रयोग को दें बढ़ावा : इस अवसर पर राष्ट्रीय सेवा योजना के विश्वविद्यालय कार्यक्रम समन्वयक डा अभय कुमार ने सौर ऊर्जा के उपयोग को प्रोत्साहन एवं ऊर्जा की बचत पर बल से संबंधित बिंदुओं की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सौर ऊर्जा उपयोग को प्रोत्साहन एवं ऊर्जा की बचत जल-जीवन-हरियाली अभियान का एक महत्वपूर्ण अंग है। इसका उद्देश्य पारंपरिक ऊर्जा के स्थान पर अक्षय ऊर्जा के प्रयोग को बढ़ावा देना है। हमें सौर ऊर्जा का अधिकतम उपयोग करना है एवं ऊर्जा की खपत में कमी लाना है। सरकार द्वारा सरकारी भवनों में सौर ऊर्जा की व्यवस्था करने एवं निजी भवनों में सौर ऊर्जा के उपयोग के लिए जागरूकता लाई जा रही है।
महाविद्यालय में राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष सह सिंडीकेट सदस्य डा जवाहर पासवान ने कहा कि हमें वृक्षों से प्रेरणा लेनी चाहिए, वृक्ष हमेशा दूसरों के लिए जीते हैं, वे हमसे कुछ नहीं लेते हैं, वे हमें जीवन भर कुछ-न-कुछ देते रहते हैं। इसलिए हमें पेड़-पौधों को बचाने एवं प्रकृति-पर्यावरण के संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक करने की जरूरत है।
प्रकृति-पर्यावरण नहीं बचेगा, तो हम भी नहीं बचेंगे : हिंदी विभाग के अध्यक्ष डा बीके सिंह ने कहा कि हमें प्रकृति-पर्यावरण के संरक्षण के लिए क्या करना है, यह पता होना चाहिए। अबोध बनकर रहने से काम नहीं चलेगा। प्रकृति-पर्यावरण नहीं बचेगा, तो हम भी नहीं बचेंगे। हिंदी विभाग की शिक्षिका डा वीणा कुमारी ने कहा कि पेड़ रहेंगे, तभी हम रहेंगे, इसलिए प्राकृतिक हरियाली की रक्षा होनी चाहिए। पेड़-पौधे हमें जीवनदायी आक्सीजन देते हैं, इसी पर हमारा जीवन निर्भर है।
कार्यक्रम का संचालन जनसंपर्क पदाधिकारी डा सुधांशु शेखर ने की। धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम पदाधिकारी डा विजया कुमारी ने किया।
इस अवसर पर अशोक कुमार अमर, बीएड विभागाध्यक्ष डा जावेद अहमद, डा खुशबू शुक्ला, महेंद्र नारायण यादव, मिथिलेश कुमार मिथुन, उदय कुमार सिंह, चंदेश्वरी प्रसाद यादव, अवधेश कुमार यादव, जितेंद्र कुमार, डा एनके निराला, सलीम, डा अरुण कुमार यादव, सुनील कुमार यादव, नरेंद्र प्रसाद ठाकुर, शमशेर सिंह, नरेश कुमार भारती, अरविंद प्रसाद यादव, देवेंद्र कुमार, मुकेश कुमार गुप्ता, संजय प्रसाद यादव, सुभाष कुमार, बाल कृष्ण नंदन, चंद्रदीप कुमार, नागेंद्र कुमार सिंह, कृष्णा कुमार सिंह, प्रमोद कुमार भगत, राजकुमार शाह, सुमित कुमार यादव, राम कृष्ण यादव, महेंदर, राजकिशोर प्रसाद यादव, विमल यादव, विरेंद्र कुमार यादव, सत्येंद्र कुमार, राकेश रोशन, शेखर झा, राजीव कुमार, संजय कुमार यादव, हरेराम यादव, विजय कुमार, देवेंद्र प्रसाद यादव, रामेश्वर यादव, कृष्ण यादव, जवाहर यादव, युगल किशोर, सत्यनारायण समेत अन्य शिक्षक-शिक्षकेतर कर्मचारी एवं छात्र छात्राएं उपस्थिति थे।