प्रेस विज्ञप्ति :
फुलवारी शरीफ/पटना : नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के विरुद्ध विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों की एक साझा सम्मेलन अमीर—ए- शरीयत हज़रत मौलाना मोहम्मद वली रहमानी की अध्यक्षता में इमारत शरिया फुलवारी शरीफ के कान्फ्रेंस हॉल में आयोजित हुई, जिस में उपस्थित सभी प्रतिनिधियों ने एकजुट हो कर सी ए ए , एन आर सी एवं एन पी आर का विरोध किया एवं कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 भारतीय संविधान की आत्मा एवं उस की बुनियादी धाराओं के विरुद्ध है।
प्रतिनिधियों ने कहा कि संविधान की धारा 14 एवं 15 में भारत के सभी नागरिकों को बराबर अधिकार दिये गए हैं एवं उस में धर्म के आधार पर किसी विभाजन एवं भेद भाव को सही नहीं करार दिया गया है। नागरिक्ता संशोधन अधिनियम 2019 में बिना किसी दस्तावेज़ के गैर कानूनी तौर पर आने वाले हिन्दू, सिख , बौद्ध, जैन, पारसी एवं ईसाई समुदाय के लोगों को नागरिकता दी गई है । इस लिस्ट से केवल मुसलमानों को अलग रखा गया है जो सरासर धर्म के आधार पर विभाजन एवं भेदभाव है। इस लिए केंद्र सरकार से हमारी मांग है कि वह तुरंत इस कानून को वापिस ले । दूसरी बात यह है कि सरकार ने इस कानून मे धार्मिक आधार पर प्रताड़णा को आधार बनाया है अगर यह बात सही है और प्रताड़णा ही आधार है तो भारत के पड़ोसी देश केवल पाकिस्तान, बंगलादेश एवं अफगानिस्तान ही नहीं है बल्कि नेपाल, श्रीलंका, तिब्बत, चीन एवं मयांमार इत्यादि भी हैं जहां से धार्मिक आधार पर प्रताड़ित होने वालों ने पलायन किया है कानून में उन का भी उल्लेख होना चाहिए।
उन्होंने ने कहा कि श्रीलंका में हजारों की संख्या में तमिल प्रताड़ित हुए हैं , मायांमार में रोहंगिया मुसलमानों को धर्म के आधार पर प्रताड़ित किया गया, तिब्बत में दलाई लामा एवं उन के अनुयाइयों को प्रताड़ित किया गया जिस की वजह से वह आज भी भारत में शरण लिए हुए हैं। नेपाल से सैकड़ों गोर्खा पलायन कर के आए हैं। उन का उल्लेख न करना यह बतलाता है कि यह कानून बड़े पैमाने पर त्रुटियों एवं धार्मिक पक्षपात से भरा हुआ है एवं संविधान की मूल भावना के विरुद्ध है ।
इस मीटिंग में एन पी आर को ले कर भी विस्तारपूर्वक चर्चा हुई और इस पर भी चिंता प्रकट करते हुए कहा गया कि केंद्र सरकार ने अप्रैल से एनपीएआर का ऐलान किया है । हम समझते हैं कि यह सरकार का धोका है और वह एन आर सी के प्रावधानों को ए पी आर में सम्मिलित कर के अपनी पालिसी लागु करना चाहती है , इस लिए एन पी आर भी देश के लिए सही नहीं है क्योंकि एनपीआर भी एन आर सी का ही पहला चरण है। इस लिए हम एनपीआर का भी विरोध करते हैं और केंद्र सरकार से मांग करते हैं कि एनपीआर को भी वापिस लिया जाए । इसी प्रकार हम बिहार सरकार से भी मांग करते हैं कि व एन पी आर की मौजूदा शक्ल के बायकाट का स्पष्ट ऐलान करे।
इस मीटिंग में सर्व सहमति से निम्नलिखित प्रस्ताव भी पारित हुए :
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केंद्र सरकार की ओर से बार बार यह कहना कि यह कानून नागरिकता देने का कानून है नागरिकता छीनने का कानून नहीं है । यह सरासर धोका है क्यूंकी सी ए ए को एन आर सी से जोड़ कर देखने की आवश्यकता है । केंद्र सरकार की पालिसी है कि जो लोग कागज के द्वारा अपनी नागरिकता साबित नहीं कर सकेंगे उन को सरकार द्वारा प्रताड़ित किया जाएगा।
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इस में केवल मुसलमान नहीं फसेंगे बल्कि सभी कमजोर, दलित, आदिवासी, पिछड़े, अनपढ़, गरीब किसान मजदूर , अनुसूचित जाती एवं जनजाति, बेघर , रास्तों एवं सड़कों के किनारे गुज़रा करने वाले अनाथ एवं बे सहारा लोग, आश्रमों में रहने वाली विधवा माता बहनें आदि इस कानून के चपेट में आएंगे वह लोग जो रोजाना कमाते खाते हैं और जिन के लिए बाप दादा के जन्म के पेपर लाना असंभव है ऐसे लोगों से उन की नागरिकता छीन कर उन को उन के बुनियादी हक से वंचित करना, उन के वोट के अधिकार को समाप्त करना एवं उन से जातिगत आरक्षण को समाप्त कर देना इस कानून का उद्देश्य है। इस लिए हम सभी लोग इस कानून को पूरी तरह रद्द करते हैं और ऐलान करते हैं कि हम किसी भी हाल में सी ए ए, एन पी आर एवं एन आर सी को कबूल नहीं करेंगे।
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हम सभी राजनीतिक पार्टियां आपे सभी कार्यकर्ताओं, जिला,ब्लॉक एवं पंचायत स्तर के जिम्मेदारों से अपील करते हैं कि वह अपनी पार्टी की ओर से प्रदर्शन में भाग लें एवं इस कानून के विरुद्ध उस समय तक आन्दोलन जारी रखें जब कि कानून वापिस न लिया जाए ।
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हम बिहार सरकार से इस मीटिंग के द्वारा मांग करते हैं कि बिहार सरकार एन पी आर का मुकम्मल बायकाट करे क्यूंकी एन पीआर एन आर सी का ही पहला चरण है ।
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हमारा एहसास है कि यह कानून हिन्दू समाज के लिए भी उसी प्रकार हानिकारक है जिस प्रकार अन्य वर्गों एवं धर्मों के लिए। देश के लोगों को अगर वह थोड़े भी संदेह के दायरे में आगाए तो अपने ही देश में बंगलादेशी, पाकिस्तानी या अफगानिस्तानी का सर्टिफिकेट ले कर रहना होगा गरचे वह यहाँ के असल नागरिक हों एवं किसी भी धर्म से संबंध रखते हों । यह देश के नागरिकों को दूसरे दर्जे का शहरी बनाने का नापाक मंसूबा है । इस लिए हिन्दू भाइयों को भी इस कानून की त्रुटियों से अवगत कराने की आवश्यक्ता है । हम सभी हिन्दू समाज के लोगों से आग्रह करते हैं कि सब लोग एकजुट हो कर इस कानून के विरोध में खड़े हों ।
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हम समझते हैं कि आसाम के उन हिंदुओं ने जिन्हों ने कल तक यह दावा किया था कि वह भारत के शहरी हैं फिर भी बारह लाख से अधिक को ए आर सी की सूसी से बाहर कर दिया गया उन्हें भी इस कानून का लाभ नहीं मिलेगा क्यूंकी वह अपना बंगलादेशी, पाकिस्तानी या अफगानी होना साबित नहीं कर पाएंगे जो कि एक बार भारतीय होने के सबूत पेश कर चुके हैं। इस लिए सरकार से हमारी मांग है कि वह आसाम एन आर सी से बाहर रह गए भारतियों के लिए कोई स्थायी समाधान निकाले न कि सी ए ए के द्वारा धोका दे ।
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पूरे देश में इस कानून के विरुद्ध जहां भी प्रदर्शन हो रहा है हम उस के साथ हैं एवं उस का सपोर्ट करते हैं ।
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यूपी में प्रदर्शनकारियों के विरुद्ध सरकार ने बहुत ज़्यादा ज़ुल्म का व्यवहार किया है ।भारत में हमेशा से ही महिलाओं, बच्चों, वरिष्ठ लोगों एवं विद्यार्थियों के सम्मान का रिवाज रहा है लेकिन उस के बावजूद यूपी पूलिस ने महिलाओं , विद्यार्थियों , बच्चों एवं वारीशह नागरिकों के खिलाफ़ अत्याचार किया और शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे लोगों के साथ विशेषकर महिलाओं एवं छात्राओं के साथ अमानवीय बरताव किया हम सब लोग उस की कड़ी निंदा करते हैं ।
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यह भी तै हुआ की 25 जनवरी को होने वाले मानव श्रिंखला और 29 जनवरी को भारत बंद का सब लोग समर्थन करते हैं एवं दोनों में बिहार के सभी वर्ग के लोग शरीक हों