दरौंदा के रण में कैसे रणवीर बन गए हैं राजद के उमेश सिंह

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अनूप ना. सिंह
स्थानीय संपादक

सिवान के दरौंदा विधानसभा उपचुनाव में अब महज 3 दिनों का समय बचा हुआ है यह 3 दिन काफी निर्णायक साबित होने वाले है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सभा के बाद दरोदि की लड़ाई पूरी तरह से राजद के उमेश सिंह के पक्ष में जाती दिख रही है भाजपा के बागी उम्मीदवार व्यास सिंह को टारगेट पर लेने के बाद एक जाति विशेष के लोगों का बड़ा तबका व्यास सिंह के तरफ और गोलबंद हुआ है उसके बाद अजय सिंह जो कि जदयू के उम्मीदवार है कि आधार गत वोट भी दरक गए है, जबकि राजद के उमेश सिंह को मुस्लिम, यादव, राजपूत, पिछड़ा, अति पिछड़ा वर्ग का एकमुश्त वोट मिलता दिख रहा है गुटबाजी से परेशान जदयू को इस बार यह सीट निकालने में कुछ ज्यादा ही पसीना बहाना पड़ रहा  है

 यह लड़ाई इसलिए भी रोचक है कि यहां की विधायक सांसद बनी है और सांसद के पति विधायक बनने के लिए जोर आजमाइश में लगे हुए है सिवान जिले के सभी दिग्गज नेता अजय हराओ अभियान के तहत सिवान जिले में सांसद पति अजय सिंह के बढ़ते वर्चस्व को भी रोकना चाहते है व्यास सिंह के निर्दलीय होने के कारण वोट कटवा के रूप में ही उनकी पहचान बनती दिख रही है जबकि उमेश सिंह को राजद के उम्मीदवार होने का जबरदस्त फायदा मिलता दिख रहा है

राजद का आधार गत वोट विधानसभा क्षेत्र में मजबूत हैं हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में यहां से राजद को 50,000 जबकि जदयू को 70000 वोट मिले थे राजनीतिक जानकार मानते हैं कि राजद का वोट बैंक तो एकजुट रह गया है, जबकि जदयू के वोट बैंक से एक बड़ा हिस्सा भाजपा के बागी उम्मीदवार व्यास सिंह की तरफ जाता  दिख रहा हैं यही समीकरण इस बार यहां हार और जीत का फैसला करेगात्रिकोणीय लड़ाई में तीन उम्मीदवार सबसे आगे हैं जो राजपूत जाति से ही आते हैंउमेश सिंह को यहां अवध बिहारी चौधरी, परमात्मा राम, हिना साहेब, रणधीर सिंह जैसे दिग्गज नेताओं का साथ मिला है, जबकि दूसरे खेमे में पूर्व सांसद ओमप्रकाश यादव लगातार बयानबाजी कर अजय हराओ व्यास जिताओ अभियान में लगे है उनके खिलाफ अभी तक पार्टी ने कोई कार्रवाई भी नहीं की है पिछले विधानसभा चुनाव में दूसरे नंबर पर रहने वाले भाजपा के कद्दावर नेता तथा पूर्व सांसद उमाशंकर सिंह के पुत्र जितेंद्र स्वामी इस बार खामोश हैं उनकी खामोशी को भी उनके समर्थक अच्छी तरह समझ रहे हैं जबकि जदयू से टिकट के दावेदारों में सबसे आगे रहने वाले प्रोफ़ेसर बीके सिंह खेमा भी इस बार यहां पर बदलाव के लिए आतुर दिख रहा है

अंतिम समय में सभी प्रत्याशियों ने चुनाव प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोक दी है पर लालटेन के लौ के आगे सभी धूमिल दिख रहे हैं


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