मधेपुरा : एक आदर्श शिक्षक थे डा सर्वपल्ली राधाकृष्णन्

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अमित कुमार अंशु
उप संपादक

मधेपुरा/बिहार : डा सर्वपल्ली राधाकृष्णन् एक आदर्श शिक्षक थे। उन्होंने एक शिक्षक के रूप में पूरी दुनिया में भारत का नाम रौशन किया। हम अपने-अपने कर्तव्यों का निर्वाहण करें, यही उनके प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

 यह बात बीएनएमयू कुलपति प्रो डा अवध किशोर राय ने कही। वे गुरूवार को ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय के विशाल प्रशाल में आयोजित शिक्षक सम्मान समारोह में उद्घाटनकर्ता के रूप में बोल रहे थे। इसके पूर्व कुलपति ने निर्माणाधीन भवन का भी शिलान्यास किया। कुलपति ने कहा कि राधाकृष्णन् राष्ट्रपति बनने के बाद भी शिक्षक बने रहे। यही कारण है कि हम उनके जन्मदिवस को शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हैं। राधाकृष्णन् चाहते थे कि शिक्षक हमेशा अपने कर्तव्यों का पालन करें और कक्षा को सर्वोच्च प्राथमिक दें। हम राधाकृष्णन् के बताए रास्ते पर चलें, यही उनके प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

ज्ञान की प्राप्ति के लिए कक्षा में आना जरूरी : कुलपति ने सभी छात्र-छात्राओं एवं शिक्षकों से अपील की कि नियमित रूप से कक्षा संचालन में सक्रिय सहयोग करें। उन्होंने जोर देकर कहा कि जो लोग कक्षा से भागते हैं, उन्हें छात्र एवं शिक्षक कहलाने का कोई अधिकार नहीं है। कुलपति ने कहा कि ज्ञान की प्राप्ति के लिए नियमित रूप से कक्षा में आना जरूरी है। यदि बिना कक्षा में आए ही ज्ञान मिलता, तो देश में आठ सौ से अधिक विश्वविद्यालय एवं 40 हजार से अधिक महाविद्यालय नहीं होते। कुलपति ने कहा कि युवावस्था सीखने का अवसर है। सभी छात्र-छात्राएं हर हमेशा सीखने को उत्सुक रहें. ज्ञान के सागर गोता लगाएं। हममें चीजों को जानने-समझने की धुन होनी चाहिए। विश्वविद्यालय को आगे ले जाने के लिए दिल से प्रयास करें।

शिक्षक होना अपने आपमें एक गौरव की बात : कुलपति ने कहा कि भारतीय परंपरा में शिक्षक को आचार्य कहते हैं। आचार्य का अर्थ है, आचरण के द्वारा शिक्षा देने वाला। वास्तविक शिक्षक वही है, जो अपने आचरण से शिक्षा देता है। शिक्षक होना अपने आपमें एक गौरव की बात है। शिक्षकों को पूरे जीवन ज्ञानार्जन के प्रति समर्पित रहना चाहिए। उनके ऊपर समाज एवं राष्ट्र के निर्माण की महती जिम्मेदारी है। शिक्षकों को इस जिम्मेदारी को ध्यान में रखकर हमेशा ऐसा आचरण करना चाहिए जो अनुकरणीय हो।

 कुलपति ने कहा कि उन्होंने हमेशा विश्वविद्यालय के विकास के लिए कार्य किया है। बहुत कुछ परिवर्तन हुआ है। उन्होंने दीक्षांत समारोह, रजत जयंती समारोह और कई अन्य कार्यों की चर्चा की. साथ ही कहा कि उनकी एक ही तमन्ना है कि विश्वविद्यालय की एक पहचान बने। अब उनके सामने विश्वविद्यालय का नैक मूल्यांकन कराने का लक्ष्य है। विश्वविद्यालय के साथ-साथ सभी महाविद्यालयों का भी नैक से मूल्यांकन का प्रयास किया जा रहा है। कुलपति ने कहा कि टीपी काॅलेज नैक मूल्यांकन के लिए तैयार है। उन्हें विश्वास है कि इस काॅलेज को ए ग्रेड मिलेगा।

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में निभाई अपनी भागीदारी : प्रति कुलपति प्रो डा फारूक अली ने कहा कि राधाकृष्णन ने अपने जन्मदिन को शिक्षकों के लिए समर्पित कर दिया। वे युगद्रष्टा और समाज निर्माता थे। प्रति कुलपति ने कहा कि शिक्षक समाज-निर्माता होता है। शिक्षक को समाज के नवनिर्माण में योगदान देना चाहिए। यदि शिक्षक समाजोन्मुखी नहीं होगा, तो समाज का विकास बाधित हो जाएगा। अतः शिक्षकों को अध्ययन-अध्यापन के साथ सामाजिक दायित्वों का भी निर्वहण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम आत्मचिंतन करें. सभी सुविधाएं दी जा रही हैं। इसके बावजूद कक्षा से छात्र एवं शिक्षक नदारद हैं। प्रति कुलपति ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से ही बदलाव आएगा। सभी शिक्षक एवं छात्र-छात्राएं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में अपनी-अपनी समुचित भागीदारी निभाएं।

ज्ञान नहीं छोड़ता है मनुष्य का साथ : पूर्व प्रति कुलपति डा केके मंडल ने कहा कि संपूर्ण विश्व एक शिक्षालय है। ज्ञान की सीमा अनंत है. शिक्षा वह सूर्य है, जिसकी किरणें पूरे ब्रह्माण्ड को आच्छादित करती हैं। उन्होंने कहा कि हम क्या थे, क्या हैं और क्या होंगे। अभी आओ विचारें सभी मिलकर।

 सिंडीकेट सदस्य डा परमानंद यादव ने कहा कि ज्ञान किसी भी परिस्थिति में मनुष्य का साथ नहीं छोड़ता है। हमें निरंतर ज्ञान की साधना करते रहनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि शिक्षक सही से कक्षा का संचालन करेंगे, तो कक्षा में छात्र-छात्राएं जरूर आएंगे। उन्होंने कहा कि कुलपति एक आदर्श शिक्षक हैं। इनके कार्यालय में काफी काम हुआ है।

सामान्य पाठ्यक्रमों में कक्षाएं चलाने की जरूरत : कुलसचिव डा कपिलदेव प्रसाद ने कहा कि हमारे पूरे विश्वविद्यालय और खासकर टीपी काॅलेज के शिक्षक कर्मचारी एवं छात्र-छात्राएं कुलपति का हृदय से सम्मान करते हैं। इनके दर्शन से सबों को उर्जा मिलती है। उन्होंने कहा कि वोकेशनल एवं प्रोफेशनल कोर्स में कक्षाएं हो रही है। लेकिन सामान्य पाठ्यक्रमों में कक्षाएं चलाने की जरूरत है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधानाचार्य डा केपी यादव ने की। संचालन डा उदय कृष्ण ने किया।

 इस अवसर पर वरिष्ठतम शिक्षक डा केएन ठाकुर, सिंडीकेट सदस्य डा जवाहर पासवान, कुलसचिव डा कपिलदेव प्रसाद, सिनेटर डा नरेश कुमार, पीआरओ डा सुधांशु शेखर, डा श्यामल किशोर यादव, डा सच्चिदानंद यादव, डा अमोल राय, डा जगदीश नारायण प्रसाद, डा योगेन्द्र प्रसाद यादव, शैलेन्द्र कुमार, डा मिथिलेश कुमार अरिमर्दन, गुड्डु कुमार, छात्र नेता रंजन कुमार सहित कई गणमान्य अतिथि और बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।


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