मधेपुरा/बिहार : “सुपर 30” भारत में बनी अपनी तरह की पहली फ़िल्म है जिसमें विज्ञान के व्यावहारिक प्रयोग, गणित की रोचकता और मेहनत से पढ़ाई करने के महत्व को बहुत खूबसूरती, बहुत गम्भीरता तथा बहुत ही संवेदनशीलता से दिखाया है। यही वजह है कि मधेपुरा जैसे छोटे जिले में भी इस फिल्म को जबरदस्त रिस्पोंस मिल रहा है, खासकर छात्र-छात्राओं में इस फिल्म को देखने को लेकर काफी उत्साह देखने को मिल रहा है।
मधेपुरा में तकनीकी और उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने वाली शिक्षण संस्थान “फ्यूचर क्लासेस” की ओर से भी संस्था के सभी टॉपर बच्चों को आनंद कुमार “सुपर थर्टी” के जीवन पर आधारित, प्रेरणादायक फिल्म “सुपर थर्टी”, मधेपुरा के मोना सिनेमाहाल में दिखाया गया।
फ्यूचर क्लासेस के संस्थापक कुंदन कुमार ने बताया कि “सुपर थर्टी”, एक प्रेरणादायक फिल्म है। “सुपर थर्टी” ने सभी बच्चों को ऊर्जा देने का काम किया। उन्होंने बताया कि फ्यूचर क्लासेस में इंजीनियरिंग और मेडिकल की तैयारी एक्सपर्ट टीचर के द्वारा करवाई जाती है । फ्यूचर क्लासेस के द्वारा विगत 27 जनवरी 2019 को मधेपुरा की धरती पर प्रख्यात, गणितज्ञ आनंद कुमार “सुपर 30” ने सभी बच्चे को शिक्षा के प्रति जागृत होने के लिए उन्होंने अपना मूल मंत्र भी दिए। उन्होंने कहा था कि अब मधेपुरा में फ्यूचर क्लासेस, आईआईटी और मेडिकल का रिजल्ट देने के लिए तैयार है ।
श्री कुमार ने बताया कि इससे पूर्व फ्यूचर क्लासेस के अंतर्गत सुपर थर्टी की शुरुआत की गई थी। जिसमें प्रख्यात, गणितज्ञ आनंद कुमार ने कहा कि यहां के टॉपर बच्चे को चयन करके उत्कृष्ट शिक्षा दी जाएगी।
फिल्म पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए फ्यूचर क्लासेस के संस्थापक कुंदन कुमार ने कहा कि ऐसे माहौल में “सुपर 30” जैसी फिल्में एक उम्मीद है। आपकी गरीबी, आपकी आर्थिक तंगी या आपकी पारिवारिक समस्याएं कभी आपके सपनों और मेहनत पर हावी नही हो सकती। गज़ब की फ़िल्म है, हॉलीवुड की न जाने कितनी फिल्में एक साथ याद आ गयी इसे देखते हुए… ब्यूटीफुल माइंड, गिफ्टेड, थ्योरी ऑफ एवरी थिंग, द परस्यूट ऑफ हैप्पीनेस आदि। युवाओं के मन में गणित, विज्ञान, फिजिक्स, भाषा के प्रति जिज्ञासा, सम्मान तथा रुचि पैदा कर पाए! “सुपर 30” एक उम्मीद की किरण है, यदि इसको देखकर 10% युवा भी कुछ सीख पाए तो यह फ़िल्म की बडी कामयाबी होगी। यह ऋतिक रोशन के कैरियर की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म है, अभिनय, स्क्रिप्ट, संवाद सबकुछ एकदम मजबूत – दमदार। यह ऋतिक की पहली फ़िल्म है जिसमें उसने डाँस नहीं किया, लेकिन अपने दमदार अभिनय से कई जगह बेहद प्रभावित किया! पूरी तरह चरित्र में ढले हुए हैं ऋतिक।
फिल्म में यह दर्शाया गया है कि मेहनत करने वाले गरीब – कमजोर इंसान की ईश्वर भी कड़ी परीक्षा लेता है! कैम्ब्रिज से शिक्षा का बुलावा, किन्तु परिवार में आर्थिक तंगी, होनहार आनन्द कुमार अपने कैम्ब्रिज जाने के सपने को छोड़ जब आर्थिक विपन्नता के चलते गली – गली घूमकर पापड़ बेचने निकलता है वह दृश्य आपकी आँखे नम कर देता है। न जाने कितने होनहार किन्तु गरीब व्यक्तियों के जीवन का सच है यह फ़िल्म।
फ़िल्म में कुछ स्थानों पर वर्ग संघर्ष भी उभर के दिखता है, जो हमारे समाज का सच है। अंग्रेजी का भय जिसने न जाने कितने हुनरमंद युवाओं को आगे बढ़ने से रोका है! दूसरों की लग्ज़री लाइफ स्टाइल जो युवाओं के लिए बहुत बड़ा डिस्ट्रैक्शन साबित होता है, जो उनमें कुंठा जगा उन्हें उनके वास्तविक लक्ष्य और वास्तविक स्थिति से भटका देता है। सबकुछ, एक मनोवैज्ञानिक अप्रोच के साथ यह फ़िल्म आपकों दिखाती है। उम्दा फ़िल्म, परिवार के साथ देखिए। मुझे लगता है कि यह फ़िल्म स्कूल – कॉलेज सभी शैक्षणिक संस्थानों में दिखाई जानी चाहिए। भारत की ओर से इस वर्ष ऑस्कर के लिए भी यह फ़िल्म भेजी जानी चाहिए। बहुत लंबे समय बाद एक प्रेरणास्पद और हटकर फ़िल्म आयी है। मुझे बहुत ही अच्छी लगी।