दरभंगा : ज़िला में अब तक चार जगहों पर तटबंध टूटा, बड़े पैमाने पर हुई तबाही

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ज़ाहिद  अनवर (राजु)
उप संपादक

दरभंगा/बिहार : बाढ़ ने अपना विकराल रूल दिखाना शुरू कर दिया। आज दरभंगा जिला में चार जगहों पर बारी-बारी से तटबंध टूट गया। तटबंध के टूटने से तारडीह, गौराबौराम, घनश्यामपुर की बड़ी आबादी बाढ़ से प्रभावित हो गयी है। टूट का सिलसिला बीती रात्रि 11:40 बजे से शुरू हुआ। पहला झंझारपुर प्रखंड के नरूआर में हुआ। यहां पर हुए टूट का सबसे अधिक असर तारडीह प्रखंड के उजान-गंगौली सहित आधा दर्जन से अधिक पंचायतों पर पड़ा है। इसके बाद तारडीह प्रखंड के ही कथवार, ककोढ़ा में भी तटबंध टूट गया।

वहीं घनश्यामपुर प्रखंड के कुमरौली में तटबंध टूटा जिससे जयदेवपट्टी सहित एक दर्जन पंचायतों में बाढ़ का पानी फैल गया। सभी सड़कें पानी से डूबी हुई है। सड़कों पर यातायात ठप पड़ गया है। वहीं दिन के 12 बजे गौराबौराम प्रखंड के बाथ मोहनपुर में पश्चिमी तटबंध में टूट हुआ। शुरू में मामूली रूप से टूट हुई लेकिन देखते ही देखते तटबंध पूरी तरह ध्वस्त हो गया। वहां बिजली का पोल भी बह गया। यहां पर हुए टूट से बाथ, मंसारा, आधारपुर, देथुआ, कसरौर, बौराम, अखतबारा, गौरामानसिंह, कोठराम, चतरारही टोला, रौता, अमाही, नदई आदि गांव बाढ़ की पानी से घिर गया है। सबसे अधिक तबाही बाथ, मंसारा, आधारपुर, उफरौल गांव में मची हुई है। जहां अधिकांश आवासीय घरों में पांच से सात फीट पानी बह रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि हमलोग घर के छतों पर शरण लिये हुए हैं।

वहीं कमला बलान तटबंध पर शरण लिये हुए बाथ गांव के ग्रामीणों ने बताया कि नाव के अभाव में कहीं निकलना मुश्किल है। वहीं सुरक्षा के दृष्टिकोण से प्रभावित गांवों में बिजली आपूर्ति रोक दी गई है। वहीं जिलाधिकारी डॉ त्यागराजन एस.एम. ने सभी अधिकारियों का अवकाश रद्द कर दिया है। प्रभावित क्षेत्रों के स्कूलों में पढ़ाई बंद कर दी गई है लेकिन स्कूल खुले रहेंगे। केवल महिला शिक्षक और बच्चों को अवकाश दिया गया है और पुरूष शिक्षक राहत कार्य में मदद करेंगे। वहीं एनडीआरएफ की एक टीम और एसडीआरएफ की एक टीम को बचाव एवं राहत कार्य में लगाया गया है। एनडीआरएफ की एक और टीम पटना से भेजी गई है। वहीं बाढ़ और बचाव कार्य के लिए आपदा कोषांग का गठन किया गया है। साथ ही हेल्प लाईन नम्बर जारी किये गये हैं। नियंत्रण कक्ष में अनवरत चालू रखने की बात कही गई है।

वहीं जिला प्रशासन की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार जगह-जगह सामुदायिक किचेन खोली जा रही है। ग्रामीणों ने बताया कि हमलोगों के पास न नाव हैं और न ही कोई राहत का सामान। तटबंध पर रहने वाले लोगों का कहना है कि एक भी अभियंता और न ही एक भी चौकीदार तटबंध पर था। जबकि एक दिन पहले ही जानकारी मिल गई थी कि नदी में पानी का दवाब अपेक्षाकृत बहुत ज्यादे है। निर्माण कार्य के बाद पहली बार कमला बलान के जयनगर में बनी सुलिस गेट और सड़क पुल के उपर से पानी बह रहा है। लेकिन फिर भी जल संसाधन विभाग की ओर से कोई व्यवस्था नहीं की गई।


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