पटना/बिहार : जन अधिकार छात्र परिषद के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष ई. विशाल कुमार ने बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना में राज्य सरकार द्वारा किये गये नये संशोधनों को अव्यवहारिक बताया। विशाल ने राज्य सरकार की तुलना चतुर चालाक बंदर से करते हुये व्यंग्य किया कि बेहतर होता अगर सरकार सिर्फ आई.आई.टी., आई.आई.एम. एवं एन.आई.टी. में दाखिला पाने वाले छात्र-छात्राओं को ही शिक्षा ऋण उपलब्ध कराती।
बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड में अचानक से बदले गये नियमों से छात्र-छात्राओं में खलबली मची हुई है। अब राज्य के बाहर केवल टॉप ग्रेड के संस्थानों में दाखिला पाने वाले छात्र-छात्रायें ही इस योजना के अन्तर्गत शिक्षा ऋण पाने के लिये योग्य होंगे। किन्तु राज्य के भीतर किसी भी ग्रेड के कॉलेज में दाखिला लेने पर शिक्षा ऋण उपलब्ध कराया जायेगा।
राज्य सरकार ने विगत 5 जुलाई को इस योजना के नियमों में संशोधन करते हुये यह तय किया है कि अब राज्य के बाहर पढ़ने वाले सिर्फ वैसे ही छात्र-छात्राओं को बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड से शिक्षा ऋण उपलब्ध कराया जायेगा जिनका दाखिला या तो नैक से ‘ए’ ग्रेड मान्यता प्राप्त संस्थान में हुआ हो या फिर कोर्स एनबीए से मान्यता प्राप्त हो अथवा कॉलेज एनआईआरएफ रैंकिंग में मौजूद हो।
जाप के छात्र नेता ई. विशाल ने कहा कि राज्य की वर्तमान एनडीए सरकार चतुर एवं चालक है। गरीब किसान, मजदूरों, फेरी वाले, नौकर एवं दाइयों के बच्चे भी दनादन एडमिशन लेकर उच्च शिक्षा हासिल करने जाने लगे थे। यह बात सरकार के अमीर अफसरों को नागवार गुजरी और उन सबने मिलकर ऐसा पेंच लगा दिया कि पिछले साल भी जो गरीब बच्चे अन्य राज्यों में दाखिला लेकर उच्च शिक्षा हासिल कर रहे हैं, उन्हें भी अपनी शिक्षा बीच में ही छोड़कर वापस आना पड़ेगा, और फिर मजदूरी करके सरकार का करीब एक लाख रूपये ऋण चुकाना पड़ेगा।
विगत दिनों बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना में 3 करोड़ के घोटाले की खबर पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये विशाल ने कहा कि यह राज्य सरकार के सिस्टम की चूक है। इसके लिये जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिये थी, न कि गरीब छात्र-छात्राओं पर। विशाल ने सवाल किया कि राज्य के मुख्यमंत्री को सामने आकर बताना चाहिये कि 3 करोड़ के घोटाले मामले में अब तक एफआईआर क्यों नहीं हुई ? राज्य ने उस 3 करोड़ की रिकवरी के लिये अब तक क्या-क्या कदम उठाये गये। विशाल ने कहा कि हकीकत यही है कि अब तक कुछ भी नहीं किया गया। राज्य सरकार के बड़े अधिकारी इस योजना के जरिये अपनी ऊपरी आमदनी का रास्ता खोज रहे हैं। इसी उद्देश्य से नियमों में परिवर्तन किया गया है। अब हर सुधार के लिये दलालों के माध्यम से बड़ी राशियों की वसूली की तैयारी की जा रही है।
विशाल ने कहा कि छात्र-छात्राओं का हाल ठगी गई बिल्लियों सा हो गया है। उनके सपने चूर-चूर हो गये। उन्होंने कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री को छात्र-छात्राओं एवं उनके अभिभावकों की भावनाओं से इस प्रकार खिलवाड़ करने का कोई हक नहीं था। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के छात्र-छात्राओं के साथ भी छात्रवृति के नाम पर वर्तमान मुख्यमंत्री के नेतृत्व वाली सरकार ने कुछ ऐसा ही किया था। पहले सबको पूरा पैसा भेजने की बात बोलकर पढ़ने के लिये बाहर भेज दिया। फिर अचानक से कम पैसे भेजने का निर्णय ले लिया। उस समय कई कॉलेज वालों ने बिहार के गरीब छात्र-छात्राओं को रातों-रात हॉस्टल खाली करवाकर वापस लौटा दिया था। फिर इस बार बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड मामले में भी वैसा ही हो रहा है। विशाल ने कहा कि मुख्यमंत्री स्तर के व्यक्ति द्वारा बार-बार गरीबों को सपने दिखाकर तोड़ देने से भविष्य के ईमानदार मुख्यमंत्रियों पर भी गरीब भरोसा करने से घबरायेंगे।