मिलिए शिक्षा क्षेत्र में एक अनूठी मिसाल कायम करने वाले विपिन कुमार सिन्हा

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अनूप ना. सिंह
स्थानीय संपादक

बिहार की राजधानी पटना में विगत 13 वर्षों से 15,000 से ज्यादा छात्रों को अंग्रेजी शिक्षा दे चुके हैं विपिन कुमार सिन्हा। इनके द्वारा पढ़ाए गए 5000 से ज्यादा छात्र छात्रा विभिन्न सरकारी नौकरियों में अंतिम रूप से चयनित हो चुके है।

 शिक्षा का अलख जगा रहे विपिन कुमार सिन्हा की कहानी बाधा पर विजय के सामान है। विषम परिस्थितियों में अपने पथ पर अडिग रहते हुए उन्होंने शिक्षा क्षेत्र में एक अनूठी मिसाल कायम की है। पिता श्री कृष्ण नंदन प्रसाद सिन्हा और माता श्रीमती उषा सिन्हा के ज्येष्ठ पुत्र विपिन कुमार सिन्हा मूल रूप से नवादा जिला के विष्णुपुर गोविंदपुर के रहने वाले है। वर्ष 2005 में इन्होंने अंग्रेजी रीजनिंग मैथ और प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी कराने के लिए पटना के बाजार समिति इलाके के  मुसल्लहपुर हाट  मे श्रेष्ठ कोचिंग की शुरुआत की।  दों छात्रों से प्रारंभ हुआ श्रेष्ठ कोचिंग 13 वर्षों के सफर सफर नामे के बाद आज पटना ही नहीं बिहार का सर्वश्रेष्ठ कोचिंग संस्थान बन चुका है। बाजारवाद को तोड़ते हुए गरीब और मेधावी छात्रों को भाषा का ज्ञान देने के लिए विपिन कुमार सिन्हा पूरी तरह तत्पर है। जहां आज पटना के कोचिंग संस्थानों पर बाजारवाद पूरी तरह हावी है। वहीं इनके संस्थान में नाम मात्र का शुल्क छात्रों से लिया जाता है।  15000 से ज्यादा छात्रों को अंग्रेजी भाषा में पारंगत कर चुके विपिन कुमार सिन्हा के लगभग 5 से ज्यादा छात्र छात्राएं सरकारी नौकरियों में अंतिम रूप से चयनित हो चुके है।

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सजगता को सफलता का विपिन कुमार सिन्हा कहते हैं कि बिहार के छात्र-छात्राओं में प्रतिभा की कमी नहीं उनमें सबसे बड़ी कमी अंग्रेजी भाषा की कमजोरी को लेकर होती है और इसी हीन ग्रंथि से ग्रसित होते मेघावी छात्र भी सफलता प्राप्त नहीं कर पाते।

विपिन कुमार सिन्हा की स्कूली शिक्षा पटना के जे डी  पाटलिपुत्र हाई स्कूल इंटर बीएन कॉलेज व पटना कॉलेज से एम ए तक की पढ़ाई की। पिता कृष्ण नंदन वर्मा सरकारी नौकरी में थे घर में किसी तरह का आभाव नही था। कॉलेज की पढ़ाई खत्म होने के बाद सरकारी सेवा के अपेक्षा इन्होंने शिक्षा सेवा को चुना। बाजार वाद में फंसे पटना की कोचिंग संस्थानों के बीच श्रेष्ठ कोचिंग संस्थान की स्थापना कर नाम मात्र के फीस पर इन्होंने छात्रों को पढ़ाना शुरू किया।

 2005 के यादों को कुरेदते हुए वे कहते हैं कि 2 छात्रों से शुरू हुआ अभियान आज हजारों छात्रों के बीच पहुँचा है।  विपिन कुमार सिन्हा कहते हैं कि पटना के कोचिंग संस्थानों पर इन दिनों बाजारवाद कुछ ज्यादा ही हावी है। प्रचार तंत्र के बल पर छात्रों को बरगलाने की कोशिश की जाती है। ग्रामीण परिवेश से आने वाले और खासकर बिहार के अधिकांश  छात्रों के सामने अंग्रेजी भाषा के ज्ञान का अभाव होता है और उसके बिना तो आप किसी प्रतियोगिता परीक्षा में सफल हो ही नही सकते हैं। भाषा की बुनियाद को मजबूत बनाने के लिए छात्रों को वे हर संभव मदद करते हैं और इसका परिणाम भी सामने आता है। किरण प्रकाशन से इनकी कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रतिदिन यह खुद 2 से 3 घंटे पढ़ते हैं। इनकी धर्मपत्नी बंदना कृष्णा नेशनल पब्लिक स्कूल की डायरेक्टर है। जो बाजार समिति में स्थित है। श्रेष्ठ कोचिंग संस्थान में 6 से 7 माह में छात्रों को अंग्रेजी भाषा मैं पूरी तरह से परागत कर दिया जाता है।  प्रत्येक 15 दिनों पर  टेस्ट का आयोजन होता है। एस एम एस के माध्यम से छात्रों को टेस्ट का परिणाम बताएं जाते है। बेहतर परिणाम लाने वाले छात्र छात्राओं को पारितोषिक देकर उनका मनोबल भी पढ़ाया जाता है।

अपने स्कूल के दिनों को याद करते हुए कहते हैं कि के अंग्रेजी के शिक्षक अवध बाबू का उनके जीवन पर खासा प्रभाव पड़ा।  एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा पूरी तन्मयता के साथ मेहनत करने से ही सफलता  मिलती है। संस्थान के 13 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में उन्होंने कहा कि उन्होंने तो सिर्फ पेड़ लगाया था इसे वट वृक्ष छात्रों की सफलता ने बनाया। उनका अभियान आगे भी जारी रहेगा।

कई राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित यहां अनूठे शिक्षक अपने संस्थान श्रेष्ठ कोचिंग के माध्यम से बिहार के छात्रों को सर्वश्रेष्ठ बनाने का अभियान चला रहे हैं।


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