दरभंगा/बिहार : हायाघाट प्रखंड या यूं कहें कि पूरे दरभंगा ज़िला के लिए अशोक पेपर मिल एक महत्वपूर्ण धरोहर था जिसे हर सरकार ने अपनी गन्दी राजनीति के कारण समाप्ति के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है। अब एक सवाल लोगो के मन मे उठ रहा है कि सरकारे तो आती जाती है और रहेंगी भी लेकिन क्या अशोक पेपर मिल हमेशा सिर्फ चुनावी मुद्दा ही रहेगा या क्षेत्र के विकास में महत्त्वपूर्ण कड़ी निभाएगा।
आज अशोक पेपर मिल मजदूर पंचायत के अध्यक्ष डॉ शाहनवाज़ अहमद कैफ़ी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने ज़िलाधिकारी से मुलाक़ात कर वस्तुस्थिति से अवगत कराया। श्री कैफ़ी ने ज़िलप्रशासन को बताया कि धरम गोधा ने तो स्क्रैप के नाम पर मिल के मशीन तक को बेच दिया लेकिन अब उनके निधन के बाद उनके सुपुत्रों द्वारा लगभग 450 एकड़ की जमीन को खरीदार को दिखाकर उसे बेचने की असफल कोशिश की जा रही है, जिसे जाँच कर उचित कार्रवाई की जाए। गौरतलब हो कि लम्बे अरसे से हर दल के नेताओ के लिए अशोक पेपर मिल सिर्फ चुनावी मुद्दा बनकर रह गया है। चाहे विधानसभा चुनाव हो या लोकसभा चुनाव हर उम्मीदवार चुनाव के समय ये वादा ज़रूर करते है कि यदि वो जीतते है तो मिल को निश्चित चालू कराएंगे। लेकिन ये महज इत्तेफाक है कि पिछले दो टर्म से एक ही विधायक और सांसद चुनाव जीत भी रहे है।
बहरहाल आने वाला भविष्य ही तय करेगा कि आखिर मिल चालू हो पाता है या नही? आज के प्रतिनिधि मंडल में शुभकानत झा, रामदेव यादवा, राम उदगार यादव शामिल थे। विदित हो कि आवेदन की प्रतिलिपि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, उधोग मंत्री एवं आयुक्त दरभंगा प्रमंडल को सूचना एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित की गई है।