मधेपुरा : सदर अस्पताल से अचानक गायब हो गया चमकी बुखार से पीड़ित बच्चा, भनक लगते ही मचा हड़कंप, औचक निरीक्षण को पहुंचे एसडीएम

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अमित कुमार
उप संपादक

मधेपुरा/बिहार :  रविवार को लगातार दूसरे दिन सदर एसडीएम वृंदालाल ने सदर अस्पताल का औचक निरीक्षण किया। इस क्रम में उन्होंने पाया कि शनिवार की देर रात मुरलीगंज निवासी सुशील यादव का छह महीने का पुत्र सत्यम कुमार चकमी बुखार से पीड़ित था। परिजनों के द्वारा आनन फानन में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मुरलीगंज ले गया, जहां से डॉक्टरों ने प्राथमिक उपचार के बाद उसे सदर अस्पताल रेफर कर दिया। लेकिन अस्पताल से बच्चे के अचानक रातो – रात गायब होने की सूचना से पूरा माहौल गर्म हो गया।

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देर रात किया गया सदर अस्पताल में किया गया भर्ती
शनिवार की देर रात उसे सदर अस्पताल में भर्ती किया गया। जहां डॉक्टरों ने रात्रि में उपचार के बाद स्थिति में सुधार नहीं होते देख उसे हायर सेंटर रेफर कर दिया। लेकिन परिजनों ने रात्रि में टेंपो से अनियत्र कई क्लिनिक गये। लेकिन कोई भर्ती लेने को तैयार नहीं थे। अंत में थक हार कर निजी क्लिनिक पहुंचे। जहां बच्चे का इलाज चल रहा है। वहीं एसडीएम चमकी बुखार से पीड़ित बच्चे की छानबीन करने लगे। इस क्रम में पाया गया कि उस बच्चे का रेफर होने का कहीं भी रजिस्टर्ड मेंनटेन नहीं था। पूछताछ करने पर पता चला कि उक्त बच्चे का उपचार निजी क्लिनिक में चल रहा है और उस क्लिनिक के डॉक्टर सदर अस्पताल में भी कार्यरत है। एसडीएम ने क्लिनिक पर पहुंच कर बच्चे के परिजनों से मुलाकात की और पूछताछ किया।

इस दौरान परिजनों ने बताया कि बच्चे की हालत काफी गंभीर थी। लेकिन सदर अस्पताल में कोई देखने वाला नहीं था। रात्रि में रेफर कर दिया, कहां लेकर जाते कुछ समझ नहीं आ रहा था। कई निजी क्लिनिक में गये लेकिन उपचार करने के लिए कोई तैयार नहीं हुआ। अंत में यहां भर्ती किया। एसडीएम ने कहा कि पूरे मामले की जांच की गयी और जांच जारी है। पीड़ित बच्चे की मां खुद कबूल कर रही है कि हम अपनी मर्जी से इस क्लिनिक में बच्चे को लेकर आयें है।
अपने ड्यूटी का सही करें उपयोग
एसडीएम सदर अस्पताल कर्मियों को निर्देश दिया कि गरीब लोगों को सुविधा मुहैया कराना सदर अस्पताल के कर्मियों का कर्तव्य है। इसे बखूबी पालन करना होगा। जो भी डॉक्टर गलत कार्य को अस्पताल में बढावा दे रहे है चेत जायें। स्वास्थ्य विभाग के नियमों को समझें, लोगों से व्यवहारिकता पूर्वक बात करें। जहां तक सदर अस्पताल में पूरी तरह से उपचार करें। छोटी छोटी बातों पर रेफर लिख देना, बाहरी दवाई लिखना, बाहर अपने निजी क्लिनिक पर उपचार करने आदि से परहेज करें। पुख्ता सबूत मिलने पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जायेगी।


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