सरकार की उदासीनता के कारण मूलभूत सुविधाओँ से भी वंचित है सदर अस्पताल, मधेपुरा, डिप्रेशन में है यहां के डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी

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अमित कुमार
उप संपादक

मधेपुरा/बिहार : जिले के लाखों लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने की जिम्मेदारी संभालने वाला सदर अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के कारण लूट का अड्डा बन गया है।इसके कारण वर्तमान में सदर अस्पताल बिचौलियों का चारागाह बनता जा रहा है। आलम यह है कि सदर अस्पताल में सक्रिय बिचौलिये अस्पताल कर्मी के खासम खास बने हुए हैं। यही वजह है कि इन बिचौलियों के उपर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं हो रही है। अस्पताल में दलाल सहित अन्य कई मामलों को लेकर शनिवार को सदर अनुमंडल पदाधिकारी वृंदा लाल ने सदर अस्पताल का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने अस्पताल के सभी विभागों का गहनता से जांच किया।

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मालूम हो कि बिचौलियों के माध्यम से प्रतिदिन दर्जनों मरीज को बरगला कर निजी क्लीनिक पर ले जाया जाता है। इन बिचौलियों में जहां कुछ कर्मी भी शामिल हैं। सदर अस्पताल में कार्यरत कर्मी को मरीज पहुंचाने के एवज में इन बिचौलियों को कमीशन के तौर पर मोटी रकम अदा की जाती है।अस्पताल कर्मियों के इस खेल में गरीब तथा असहाय मरीजों का जमकर आर्थिक शोषण किया जाता है।
अस्पताल प्रशासन ने भी माना दलालों की सक्रियता को

निरीक्षण के दौरान सदर एसडीएम वृंदा लाल ने अस्पताल में उपस्थित सभी गार्ड को करे निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि अस्पताल में कोई भी बाहरी तत्वों को जिला प्रशासन बर्दाश्त नहीं करेगी, साथ ही दलालों की अस्पताल में सक्रियता को लेकर उन्होंने अस्पताल प्रशासन से भी बातचीत की। बातचीत के दौरान अस्पताल प्रशासन ने भी अस्पताल में दलालों की सक्रियता को माना। अस्पताल प्रशासन की मानें तो अस्पताल में भर्ती मरीजों को बेड पर से भी बहला-फुसलाकर और अस्पताल में भी ढंग से इलाज नहीं होने के नाम पर निजी क्लीनिकों में लेकर चले जाते हैं। उसका खमियाजा दूर दराज से आये मरीजों को उठाना पड़ रहा है। दलालों की चंगुल में फंसे मरीजों को अधिक राशि खर्च करना पड़ रहा है। अस्पताल परिसर में सक्रिय दलाल मरीजों को बेहतर इलाज का प्रलोभन देकर निजी नर्सिंग होम ले जाते है।इसके अलावा बाहर में संचालित हो रहे कुछेक अल्ट्रासाउंड, पैथोलॉजी सेंटर, एक्स-रे सेंटर के दलाल भी मरीजों को बहलाकर उन जगहों पर पहुंचा अपना कमीशन लेकर चलते बनते है।

दलालों के कारण डॉक्टर एवं कर्मी भी रहते हैं भयभीत
डीएस डा सुमन झा ने बताया कि सदर अस्पताल में बिचौलियों को लेकर अस्पताल प्रशासन भी परेशान है। इसको लेकर उन्होंने गार्ड को भी करे निर्देश दिए थे कि कोई भी बाहरी तत्व अस्पताल परिसर के अंदर ना आए, गार्ड के द्वारा भी कराई की जाती है, लेकिन आए दिन दलालों से उनकी मारपीट तक हो जाती है। वही कुछ दलालों के कारण डॉक्टर भी भयभीत रहते हैं। कई बार डॉक्टरों ने भी उन्हें रोकने की कोशिश की, जिसके बाद वे लोग डॉक्टरों से ही बदसलूकी करने लगते हैं। उन्होंने कहा कि अस्पताल गेट से ही दलालों का हस्तक्षेप शुरू हो जाता है। चिकित्सक को दिखाने, आपरेशन, जांच के नाम पर वह जमकर धन उगाही करते हैं। जांच के बाद दवा की पर्चियां भी उन्हें ही पकड़ा दी जाती हैं। वह निर्धारित दुकान से दवा दिलवाकर उसमें भी कमीशन लेते हैं। मजबूरी का फायदा उठाकर गरीब से सौदेबाजी की जाती है। प्रसव, गर्भपात व आपरेशन कराने वाली महिलाओं से मुंहमांगा पैसा वसूला जाता है।
रात में बढ़ती है दलालों की सक्रियता
अस्पताल प्रशासन ने बताया कि दलालों की सक्रियता सबसे अधिक रातों में बढ़ जाती है।सबसे अधिक रातों में ही लोगों के कमी का फायदा उठाकर मरीजों को निजी क्लिनिक में ले जाते हैं। अस्पताल प्रशासन ने भी कहा कि दलालों की सक्रियता में सदर अस्पताल के कुछ कर्मी भी उनका साथ देते हैं। उन्होंने सदर अस्पताल में पुलिस प्रशासन की गश्ती दल बढ़ाने की मांग की। सारी बातों को सुनकर सदर एसडीएम वृंदा लाल ने निर्देश दिया कि कोई भी बाहरी तत्व सदर अस्पताल में प्रवेश ना करें अगर कोई जबरदस्ती करता है या मरीजों को बहलाने का काम करता है तो तुरंत उन्हें संपर्क किया जाए। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन के द्वारा लगातार अस्पताल परिसर एवं आसपास निरीक्षण किया जा रहा है। निरीक्षण के दौरान कोई भी बाहरी व्यक्ति या फिर अस्पताल कर्मी मरीजों एवं उनके परिजनों को गुमराह करते हुए पाए जाते हैं तो उन पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। आउटसोर्सिंग के कर्मियों को दिए निर्देश, कहा लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
निरीक्षण के दौरान सदर एसडीम वृंदा लाल ने सदर अस्पताल की ओपीडी, एक्स-रे, पैथोलॉजी, इमरजेंसी वार्ड, ब्लड बैंक सहित सभी विभागों का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने पाया कि सदर अस्पताल में गंदगी पसरी हुई थी। शौचालय साफ नहीं किया गया था। सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड का बिस्तर नहीं बदला गया था। साथ हीं पैथोलॉजी में भी गंदगी थी। इस बाबत उन्होंने आउटसोर्सिंग के कर्मियों को निर्देश दिया कि सदर अस्पताल में मरीजों के साथ लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अगर कोई भी लापरवाही होती है तो संबंधित विभाग पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही उन्होंने डॉक्टरों एवं कर्मियों की उपस्थिति पंजी कभी जांच किया जिसमेंं डॉक्टर एवंं कर्मी अनुपस्थित पाए गए जिस पर उन्होंने बतायाा कि जिन डॉक्टरोंं एवं कर्मियों नेे अस्पताल मेंं उपस्थित ना होने सूचना नहीं दी है, उन पर भी कार्रवाई की जाएगी।
58 स्वीकृत पद में 23 डॉक्टर ही उपलब्ध
निरीक्षण के दौरान डीएस डा सुमन झा सहित अस्पताल प्रशासन ने भी अस्पताल में होने वाली कमी से सदर एसडीएम को अवगत कराया। उन्होंने बताया कि अस्पताल में डॉक्टर करनी सहित गार्ड की भारी कमी है। जिस कारण कार्य करने में परेशानी होती है, साथ ही उन्होंने बताया कि अस्पताल में अल्ट्रासाउंड मशीन तो है लेकिन ट्रेंड स्टाफ की कमी है। जिसके कारण अल्ट्रासाउंड मशीन संचालित नहीं की जा रही है। मालूम हो कि सदर अस्पताल में डॉक्टर के 58 पद स्वीकृत हैं। जिसमें 23 डॉक्टर ही अस्पताल उपलब्ध हैं। उसमें भी शनिवार को मात्र 20 डॉक्टर ही उपस्थित थे। डीएस ने बताया कि अस्पताल में बेड सहित जगह की कमी है, अगर किसी दिन मरीजों की संख्या बढ़ जाती है तो अस्पताल प्रशासन को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है। उन्होंने बताया कि पोस्टमार्टम करने के लिए ट्रेंड स्टाफ की भी कमी है, उन्होंने सदर एसडीएम से अस्पताल में डॉक्टरों कर्मियों सहित होने वाली कमियों को दूर करने को लेकर जिला प्रशासन तथा बिहार सरकार को अवगत कराने की मांग की।

मौके पर डा फूल कुमार, डा संदेश कुमार, राजकुमार पुरी सहित अस्पताल के अन्य डॉक्टर एवं कर्मी उपस्थित थे।


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