मधेपुरा : हिंदी साहित्य पर गाँधी-दर्शन का प्रभाव विषयक व्याख्यान आयोजित

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अमित कुमार
उप संपादक

गांंधी-दर्शन का है व्यापक फलक, गांंधी ही है एकमात्र विकल्प : डा श्रीभगवान सिंह 

मधेपुरा/बिहार : महात्मा गांंधी बहुआयामी प्रतिभा के धनी थे। उनके दर्शन का फलक काफी व्यापक है। जीवन एवं जगत का कोई भी आयाम गांंधी से अछूता नहीं है। यह बात विश्वविद्यालय हिंदी विभाग तिलकामांंझी भागलपुर विश्वविद्यालय भागलपुर के सेवानिवृत्त प्राध्यापक एवं सुप्रसिद्ध गांंधीवादी विचारक डा श्रीभगवान सिंह ने कही।

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 वे शुक्रवार को विश्वविद्यालय हिंदी विभाग में आयोजित एक व्याख्यान में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे। व्याख्यान का विषय हिंदी साहित्य पर गांंधी-दर्शन का प्रभाव था। डा सिंह ने कहा कि गांंधी ने पूरी दुनिया के साहित्य को प्रभावित किया है और हिंदी साहित्य भी इसका अपवाद नहीं है। हिंदी साहित्य की सभी विधाओं, यथा- कहानी, कविता, उपन्यास एवं नाटक आदि पर गाँधी-दर्शन का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है. गांंधी कहीं विचार के रूप में मौजूद हैं, तो कहीं व्यक्ति के रूप में।

भारत ने गांंधी को नहीं समझा
डा सिंह ने कहा कि हिंदी साहित्य में अहिंसा, सत्य एवं सत्याग्रह जैसे गांंधीवादी मूल्य भरे पड़े हैं। साथ ही गांंधीवादी प्रभाव को स्त्री, दलित, किसान एवं मजदूरों के जागरण के रूप में देख सकते हैं. इसके साथ ही यंत्रीकरण का विरोध और अपनी सभ्यता-संस्कृति एवं ग्राम्य-व्यवस्था को बचाने की जद्दोजहद भी गांंधी का ही प्रभाव है। लेकिन दुख की बात है कि
भारत ने गांंधी को नहीं समझा और हिंदी आलोचना ने मार्क्सवाद के प्रभाव में आकर गांंधी को खलनायक बनाने का प्रयास किया। अपनी बातों के समर्थन में डा सिंह ने कई हिंदी साहित्यकारों की महत्वपूर्ण कृतियों का उल्लेख किया। इस क्रम में उन्होंने विशेष रूप से कथा सम्राट प्रेमचंद के उपन्यास रंगभूमि एवं गोदान और जयशंकर प्रसाद के महाकाव्य कामायनी की चर्चा की।

गांंधी ने दुनिया को सत्य एवं अहिंसा का रास्ता दिखाया
कार्यक्रम के उद्घाटनकर्ता कुलपति प्रो डा अवध किशोर राय ने कहा कि गांंधी ने दुनिया को सत्य एवं अहिंसा का रास्ता दिखाया है। इसी रास्ते पर चलकर देश-दुनिया का कल्याण हो सकता है। गांंधी-दर्शन में ही आतंकवाद, पर्यावरण संकट, बेरोजगारी, विषमता आदि समस्याओं का समाधान है। कुलपति ने कहा कि वे बीएनएमयू को गांंधी के आदर्शों के अनुरूप बनाने का प्रयास कर रहे हैं। पिछले दिनों हमने गांंधी जयंती पर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया और गांंधी शहादत दिवस पर साउथ कैम्पस में गांंधी की प्रतिमा लगाई गई है। आगे गांंधी के शिक्षा-दर्शन को केन्द्र में रखकर एक राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया जाएगा।

गांंधी के विचार एवं कर्म में एकरूपता थी
प्रति कुलपति प्रो डा फारूक अली ने कहा कि गांंधी के विचार एवं कर्म में एकरूपता थी। हमें उनके आदर्शों को अपने जीवन में अपनाने का प्रयास करना चाहिए। कार्यक्रम की अध्यक्षता विभागाध्यक्ष डा सीताराम शर्मा और संचालन एसोसिएट प्रोफेसर डा सिद्धेश्वर काश्यप ने की. विषय प्रवेश पीआरओ डा सुधांशु शेखर ने किया।

 इस अवसर पर मानविकी संकायाध्यक्ष डा ज्ञानंजय द्विवेदी, सामाजिक विज्ञान संकायाध्यक्ष डा एचएलएस जौहरी, वरिष्ठ साहित्यकार डा सुभाषचंद्र यादव, डा गणेश प्रसाद, डा कुलदीप यादव, डा मनोरंजन प्रसाद, डा प्रज्ञा प्रसाद, मनोज विद्यासागर, कौशल कुमार, शंकर प्रसाद, हरिओम, जुगनु, राहुल यादव आदि उपस्थित थे।


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