मधेपुरा : गम्हरिया ने संजीत ने बीपीएससी की परीक्षा मारी बाजी, बधाई देने वालों का लगा तांता

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अमित कुमार
उप संपादक

मधेपुरा/बिहार : लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। उक्त पंक्तियो को चरितार्थ करके दिखाया है जिले के गम्हरिया प्रखंड अंतर्गत चंदनपट्टी निवासी शंभू भगत के पुत्र संजीत कुमार ने। इन्होंने बीपीएससी की परीक्षा में बाजी मारी है और 149 वां रैंक हासिल कर अपने परिवार का नाम रौशन किया है। अब संजीत एसडीएम बन कर देश की सेवा करेंगे।

संजीत के बीपीएससी में सफलता पाने पर गम्हरिया प्रखंड एवं जिले के लोग अपने आपको गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। वहीं संजीत ने बताया कि उनकी हमेशा से ख्वाहिश रही है कि वह अपने क्षेत्र के युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बनू। समाज एवं देश के विकास के लिए बेहतर कार्य करें।

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वहीँ  संजीत के पिता शंभू गुप्ता एवं माता ललिता देवी अपने पुत्र की सफलता पर गर्व महसूस कर रहे है। संजीत की पत्नी अमृता कुमारी, भाई नवीन निराला एवं बहन पिंकी कुमारी संजीत को इस बड़ी सफलता पर बधाई दे रहे है। साथ ही संजीत के एसडीएम बनने पर सिक्किम के राज्यपाल गंगा प्रसाद के द्वारा सम्मानित भी किया गया है।

संजीत के पिता है ऑटो चालक
बीपीएससी के परीक्षा में सफलता प्राप्त करने वाले संजीत कुमार जिले के गम्हरिया प्रखंड अंतर्गत चंदनपट्टी निवासी शंभू भगत एवं ललिता देवी की सबसे बड़े संतान है। संगीत के पिता पेसे से ऑटो चालक है। वही मां गृहणी है। संजीत के माता पिता ने कड़ी मेहनत कर बेटे को इस मुकाम पर पहुंचाया।

 एक वर्ष पूर्व 2018 को संजीत की शादी नम्रता कुमारी से हुई। संजीत के सफलता की सूचना आने के साथ ही एक ओर जहां बधाई देने वालो का तांता लग गया है। वही संजीत की आंखे नम है। क्योंकि उनके पिता ने उनको इस मुकाम पर पहुंचाने के लिए दिन रात एक कर मेहनत किया। पिता के मेहनत और उनके दृढ़ संकल्प की वजह से उन्होंने बीपीएससी में सफलता हासिल हुआ है।

पूर्व में भी कर चुके हैं कई पदों को सुशोभित
संजीत पूर्व से ही मेहनती रहे हैं। उन्होंने पूर्व में भी कई पदों को सुशोभित किया है। वे वर्ष 2012 से वर्ष 2014 तक भारतीय रेलवे में स्टेशन मास्टर के पद पर भी कार्य कर चुके हैं। जिसके बाद वर्ष 2014 से वर्ष 2018 तक बिहार सचिवालय सेवा में सहायक प्रशाखा पदाधिकारी के रूप में भी कार्य कर चुके हैं। संजीत ने इन दो पदों पर कार्य कर के भी अपने आप को स्थिर नहीं होने दिए और उन्होंने लगातार मेहनत किया। वे 56 वीं – 59 वी बिहार शिक्षा सेवा में चयन होने के उपरांत वर्तमान में कार्यक्रम पदाधिकारी सर्व शिक्षा अभियान सहरसा में कार्यरत हैं।


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