मधेपुरा/बिहार :  नैतिकता होती तो मधेपुरा सांसद देते इस्तीफा : पूर्व मंत्री प्रो. चंद्रशेखर

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अमित कुमार
उप संपादक

मधेपुरा/बिहार : मधेपुरा विधानसभा के राजद विधायक सह पूर्व मंत्री प्रो. चंद्रशेखर ने कहा कि मधेपुरा के सांसद ढपोरशंख की तरह हैं वे कभी राजनीति छोड़ने की बात करते हैं लेकिन चिपके रहते हैं। इस्तीफा देने की धमकी देते हैं पर हिम्मत नहीं जुटा पाते। दरअसल कुर्सी का मोह सांसद को कुर्सी कुमार से कम नहीं है । अपने दम पर चुनाव जीतने का दावा करने वाले इतने परेशान क्यों हैं हिम्मत दिखाएं, बगैर किसी गठबंधन के चुनाव लड़कर दिखाएं। सार्वजनिक रूप से बयान देकर डॉक्टर, प्रोफेसर, शिक्षक, वकील, मुखिया, सरपंच, पंसस, सहित सभी जनप्रतिनिधियों को चोर कहने वाले सांसद की महिमा इतनी निराली है की लोकतंत्र में महान मालिक जनता को भी कुकर्मी कहते हैं । अब फिर से सांसद बनने का सपना किस वोट के बल पर देख रहे हैं जब जनता कुकर्मी है तो फिर उस जनता के पास जाने की बात कहां से आ रही है। पूर्व मंत्री प्रो. चंद्रशेखर ने कहा
नैतिकता होती तो बर्खास्तगी के बाद मधेपुरा के बड़बोले नेता देते इस्तीफा।
सामाजिक न्याय के मसीहा लालू यादव द्वारा राजद के टिकट पर दो-दो बार संसद पहुंचने के बाद सांसद अपने नेता को ही गाली देने लगे। जब पार्टी से बर्खास्त हो गए तो इस्तीफा देकर चुनाव लड़ने की घोषणा की लेकिन आज तक यह घोषणा ही रहा। यह इनकी नैतिकता है और तो और 2015 के विधानसभा चुनाव के दौरान बेहद भद्दी टिप्पणी करते हुए सांसद ने कहा अगर लालू यादव के दोनों बेटे चुनाव जीत जाएंगे तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा लेकिन आज तक राजनीति में बने रहने के लिए हाथ पाव मार रहे हैं । वर्षों पहले संकल्प व्यक्त करते हुए दावा किया सहरसा में रेलवे ब्रिज नहीं बना तो राजनीति छोड़ देंगे ,और अब कह रहे हैं पूर्णिया और मधेपुरा से चुनाव नहीं लड़ूंगा तो राजनीति छोड़ दूंगा सांसद को पता होना चाहिए अब उन्हें कोई नोटिस नहीं लेता है नहीं उनके इस तरह के बातों को भरोसेमंद माना जाता है।
वर्ष 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान सांसद ने विघटन कारी सांप्रदायिक ताकते जो बहुजन एवं वंचितों का सदैव विरोध करती रही है उस एनडीए के साथ सांठगांठ कर पूरे बिहार में हर विधानसभा क्षेत्र में उम्मीदवार खड़ा कराया लेकिन जनता ने ऐसा सबक सिखाया की पूरे बिहार की चर्चा तो छोड़े अपने संसदीय क्षेत्र मधेपुरा के विभिन्न विधानसभा क्षेत्र में उनके उम्मीदवार मुंह दिखाने के लायक भी वोट नहीं पा सके।
अजब सांसद की गजब कहानी यह है कि पहले वे एनडीए गठबंधन से चुनाव लड़ने की जुगत में थे जब वहां दाल नहीं गली तो महागठबंधन के जुगाड़ में लग गए लेकिन अफसोस कि यहां भी इन की दाल नहीं गल रही है ऐसे हाल में सांसद अनाप-शनाप बयान देकर फिर से अपनी काठ की हांडी चढ़ाना चाहते हैं लेकिन जनता जागरूक है खुद को गाली देने वाले जनप्रतिनिधि को दोबारा आजमाने के लिए तैयार नहीं है।


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