पटना/बिहार : ‘संघर्ष’ जैसी हिट भोजपुरी फिल्मों के निर्माता और कई फिल्मों को संगीत से सजाने वाली म्यूजिक कंपनी ‘वर्ल्ड वाइड रिकॉर्डस’ के मालिक रत्नाकर कुमार अब बिहार की गांवों के विकास के लिए युवाओं को जोड़कर जनांदोलन करेंगे, जिसकी शुरुआत मुजफ्फरपुर जिले से होगी। मुजफ्फरपुर जिले के रामनगर जैसे छोटे गांव से मुंबई तक के फिल्मी गलियारों तक का सफर करने वाले रत्नाकर कहते हैं कि उन्होंने अपना बचपन मुजफ्फरपुर के गांव में गुजारा था।
वर्ष 1990 में उन्होंने मुंबई का रुख किया और काफी संघर्ष के बाद यहां मंजिल मिली। भोजपुरी फिल्म ‘संघर्ष’ फेम निर्माता रत्नाकर कहते हैं कि उनकी आने वाली फिल्मों में ‘वीर’, ‘निरहुआ चलल लंदन’, ‘शेरे हिंदुस्तान’ ‘लल्लू की लैला’ सहित कई फिल्में हैं।
भोजपुरी फिल्मों में अपनी अलग पहचान बनाने वाले रत्नाकर कहते हैं, “मैंने भले ही मुबंई में 28 साल गुजार लिए लेकिन मेरा मन कभी मुंबई में नहीं लगा। मेरी इच्छा है कि मेरी पहचान बिहार के गांवों से बने।”
उन्होंने कहा कि आज बिहार में कई समस्याएं हैं। आज भी यहां के स्कूलों की हालत वही है जब हमलोग पढ़ते थे। लेागों की माली हालत जस की तस बनी हुई है। युवाओं को अब भी रोजगार के लिए अन्य शहरों में पलायन करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि मुंबई के व्यवसायियों से उन्होंने मुजफ्फरपुर में स्कूल खोलने के लिए बात की है। उन्हें बिहार में स्कूल खोलने के लिए प्रेरित किया है।
बकौल रत्नाकर, ” सरकार आती हैं और चली जाती हैं। जनता और गांव की समस्या ज्यों की त्यों रह जाती है। नई पीढ़ी के नवयुवकों को सही मार्गदर्शन मिलना तो दूर, उन्हें अपने पैर पर खड़ा होने के लिए काफी जद्दोजहद का सामना करना पड़ता है। बेबस, लाचार होकर उन्हें बेरोजगारी से जूझना पड़ता है। जब उचित शिक्षा ही नहीं मिल पाती है, तो रोजगार कैसे मिल सकता है।”
गायघाट, औराई, बोचहां, सकरा, कुढनी सहित कई गांवों का दौरा करने के बाद उन्होंने आईएएनएस से कहा कि इन क्षेत्रों में आज तक कोई सुधार नहीं हो पाया। इन गांवों में ‘नए एजुकेशन सिस्टम’ लाना बहुत जरूरी है। वे कहते हैं कि अगर सरकार मुजफ्फरपुर और उसके आस पास के गांवों की समस्याओं पर गौर नहीं करती है तो हम युवक के साथ जनआंदोलन करेंगे। उन्होंने कहा कि हमलोग बाहर के संस्थानों से बिहार आकर निवेश करने का आग्रह करेंगे।