मुरलीगंज/मधेपुरा/बिहार : सुन्दर व सारभौमिक समाज और राष्ट्र का निर्माण तभी संभव होगा, जब प्रत्येक मनुष्य अपने जीवन स्वभाव में बदलाव लाऐगा। भारतीय सांस्कृति, आध्यात्मिक, धार्मिक, भौतिक संपदा की रक्षा करना हम सभी का कर्तव्य है और यह तभी संभव है जब हम स्वच्छ चरित्र का निर्माण करें।
उक्त उपदेश भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के पांचवें दिन कथा व्यास सुश्री कालिन्दी भारती ने कही। उन्होंने कहा कि भागवत जीवन का दर्पण है। यह जीवन की एक आदर्श संहिता है। इसके केवल श्रवण मात्र से कल्याण नहीं, बल्कि आचरण में लाने पर ही भागवत फलदाई होगा। सर्वश्री आशुतोष महाराज जी के परम शिष्या कालिन्दी भारती ने श्रद्धालुओं को श्री कृष्ण जन्म प्रसंग प्रस्तुत आध्यात्मिक रहस्यों से अवगत कराया। द्वापर में कंस के अत्याचारों को समाप्त करने के लिए प्रभु धरती पर आए और उन्होंने गोकुल वासियों के जीवन को उत्सव बना दिया।
साध्वी जी ने बताया कि जब-जब इस धरा पर धर्म की हानि होती है, अधर्म, अत्याचार, अन्याय, अनैतिकता बढ़ती है तब तब धर्म की स्थापना के लिए करुणानिधान ईश्वर अवतार धारण करते हैं। उन्होंने वर्तमान समाजिक व्यवस्था पर टिप्पणी करते हुए कहा कि आज दहेज प्रथा एक ऐसे दानव का रुप धारण कर लिया है। मानो बेटा का सौदा किया जा रहा है। कालिन्दी भारती ने बताया कि आज के परिवेश में रक्षाबंधन एक फेशन बनकर रह गया है।