सुपौल/बिहार : बिहार सरकार के कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के सौजन्य और जिला प्रशासन के आयोजन में आयोजित लोरिक महोत्सव-2018 के द्वितीय दिन स्थानीय कलाकारों के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया, वहीं लोरिक अखाड़ा में कुस्ती का आयोजन किया गया। इतना ही नहीं कई गणमान अतिथि व बुद्धिजीवी के द्वारा मंच पर विचार व्यक्त किया गया।
मंच संचालन करते हुए लोरिक विचार मंच के प्रदेश संयोजक डॉ. अमन कुमार ने कहा कि अखाड़ा खेल-कूद और अच्छे स्वस्थ्य का मंदिर है। कुस्ती गरीबों का योग विद्या है। वीर लोरिक ने कुस्ती के माध्यम से आम-आवाम को स्वस्थ्य रहने की प्रेरणा दी। वीर लोरिक बहु आयामी व्यक्तित्व के धनी थे। अखंड भारत में वीर लोरिक ने ही क्रांति और समाजवाद का बीज बोए थे। जिसके कारण आज यह क्षेत्र पूर्ण रूपेण समाजवादी गढ़ बनकर देश में रौशनी फैला रही है। वे दुनिया में सामाजिक क्रांति के सबसे बड़े अग्रदूत थे। गैर बराबरी और आर्थिक विषमता के खाई को मिटाने का पुरजोर लड़ाई लड़ी। ज्यों-ज्यों समय बीतता जाएगा लोरिक की प्रासंगिकता ओर बढ़ती जाएगी। यहाँ की मिट्टी में सामंतवाद, पूंजीवाद, कट्टरपंथी के खिलाफ लड़ाई लड़ने की अदभुत शक्ति है।
डॉ. कुमार ने कहा कि समाज के अहित करने वाला लोरिक का सबसे बड़ा दुश्मन था। असामाजिक तत्व, राष्ट्रविरोधी, अन्यायी को छोड़कर लोरिक दुनिया को अपना परिवार मानता था। संघर्ष और दृढ़ निश्चय का दूसरा नाम वीर लोरिक है! लोरिक के आदर्श को अपनाकर सुंदर, शिक्षित और विकशित समाज बनाने की जरुरत है।
पूर्व प्रधानाध्यापक जगदीश प्रसाद यादव ने कहा कि वीर लोरिक समाज के लिए सदैव समर्पित व इरादे के पक्के थे। वे गरीबों के मशीहा, समाज के मार्गदर्शक, युद्ध महारथी, कर्मशील और धर्मात्मा थे। हृदयनारायण मुखिया ने कहा कि वीर लोरिक मानव एकता के पक्षधर और असत्य के सामने न झुकने वाला योद्धा थे। वे पाखंड और ज्योतिषी के घोर विरोधी थे। रविन्द्र सिंह ने कहा कि वीर लोरिक सामाजिक व सांस्कृतिक सुधार एवं जनकल्याण हेतु आजीवन संघर्ष करते रहे। अरुण यादव ने कहा कि 14वी. शताब्दी के पूर्व से ही लोरिक व चंदा की गाथाएं हिंदी साहित्य में दर्ज है। देवेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि विष्णु के समान बलवान और पृथ्वी के समान क्षमावान योद्धा थे। हरदी पश्चिम पंचायत के मुखिया रामचंद्र कामत ने कहा कि स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु ने भी डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया में लोरिकी का उल्लेख किए है। जयप्रकाश यादव ने कहा कि लोरिक महोत्सव के माध्यम से भावी पीढ़ी को यहाँ के महानायक के जीवनगाथा से अवगत कराने का प्रयाश काफी सराहनीय है। भगवानदत यादव ने कहा कि वर्तमान समय में लोरिक के विचारों को जन-जन में पहुँचाने की जरुरत है।
सफल आयोजन में शम्भू यादव, महेंद्र यादव, नरेश कुमार, अर्जुन कुमार यादव, सुधीर मिश्र, ललित यादव, अशोक जी,गोपाल क्रांति, रमेश कुमार तांती, हरिबोल यादव, शशि मंडल, मकसूदन यादव, छोटेलाल कामत, चंदेश्वरी यादव, उमेश यादव, जयशंकर मंडल, हरेराम मंडल, ललित मुखिया, राधेश्याम मंडल, प्रीतम कुमार चौधरी, जीतेन्द्र कुमार झा, रामबिलाश यादव आदि की महत्ती भूमिका रही।