आसमाँ भी झुकता है श्रवण और नीना की जिंदादिल, जोड़ी के सामने

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अनुप ना. सिंह
स्थानीय संपादक

झुकता है आसमां झुकाने वाला चाहिये।
सफलता एक दिन में नहीं मिलती, मगर ठान लो तो एक दिन ज़रूर मिलती है। कुछ ऐसी ही कहानी है डॉक्टर श्रवण कुमार और समाजसेवी नीना मोटानी की..

पटना में एक समय बच्चों से जुड़ी इलाज के बेहतर तकनीकी सुविधाओं का अभाव था, मुश्किलें बहुत थी, लेकिन इस दम्पति के हौंसले ने वो कर दिखाया जो जिसको नामुमकिन माना जाता था।

 तीन दशकों से बाल चिकित्सा में अपना अमुल्य योगदान दे रहे डॉक्टर श्रवण के लिये राहें कभी आसान नहीं थी। एक समृद्ध परिवारिक पृष्ठभूमी से सम्बंध रखने होने के बावजूद स्वभाव से स्वाभिमानी इस दम्पति की विशेषता को दर्शाता है। परिवार से कोई आर्थिक सहयोग लिये बिना ही लगातार बेहतरीन सुविधायें मरीजों के लिये उपलब्ध करते रहे, जब बिहार में तकनीकी तौर बच्चों के इलाज के लिये उचित सुविधा का गम्भीर अभाव की स्थिति थी तो डॉक्टर श्रवण ने बेहतरीन चिकित्सा सुविधा को लाने का संकल्प लिया। कठिनाइयों का बहुत सामना करना पड़ा जिसमें अक्सर ऐसी परिस्थितिया भी बनी जब बारी बारी दोनों को लगातार कई रातों को बच्चों के इलाज के लिये जागना पड़ा वो समय ऐसा था। जब उनके पास क्लिनिक में पूर्णकालिक कर्मचारी रखने में सक्षम नहीं थे, लेकिन अपने हौंसले को कभी झुकने नहीं दिया। धीरे धीरे ये सफर अब ऐसे मुकाम पर पहुँच चुका है। आज जब भी बेहतरीन नवजात शिशु के इलाज की बात हो तो इनका क्लिनिक लोगों की पहली पसंद होती है। लोगों आश्चर्य तब होता है जब लोग ये जानते की नीना मोटानी पेशे से डॉक्टर नहीं है, उनकी सेवाभाव ने उन्हें समाज प्रतिष्ठित व्यक्तिव बना दिया।
निजी जीवन में भी डॉक्टर श्रवण कुमार और नीना मोटानी की जीवनशैली बहुत पॉपुलर है। खुशदिल मिजाज स्वभाव जिंदगी को हर पल मुस्कुराते हुये जीने की जिद्द ही उन्हें भीड़ से अलग इंसान बनाती है। जिनकी तरह हर कोई बनना चाहता है। अपने डांस करने के शौक को उन्होंने इस तरह अपनाया की लोग उन्हें बिहार की “नच बलिये ” जोड़ी कहते है। किसी सांस्कृतिक कार्यक्रम का सबसे बड़ा आकर्षण इस जोड़ी का पर्फौर्मन्स ही होता है।

 ” जिंदगी तो सबको मिलती है लेकिन जीते यँहा सिर्फ जिंदादिल ही है “


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