विभूतिपुर/समस्तीपुर/बिहार : मंहगाई की मार सबसे अधिक किसानों को झेलना पड़ रहा है । खेती घाटे का सौदा हो गया है । किसानों द्वारा खेत से उत्पादित वस्तुओं का मूल्य बाजार मनमाने ढंग से तय करती है । सरकार की किसान विरोधी नीतियों के चलते किसानों का हाल दिनों दिन खराब होता जा रहा है । दुग्ध उत्पादक किसानों को भी लागत खर्च के मुताबिक कुछ भी लाभ नहीं मिल पा रहा है । जिससे किसानों की कमर टूट रही है और वे आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं ।
उक्त बातें बिहार राज्य किसान सभा के राज्य उपाध्यक्ष सह पूर्व विधायक रामदेव वर्मा ने गुरूवार को कही । वे प्रखंड कार्यालय के समक्ष अंचल किसान कौंसिल के बैनर तले 17 सूत्री मांगों को लेकर दुग्ध उत्पादक किसानों द्वारा किये जा रहे एक दिवसीय धरना को संबोधित कर रहे थे । अपने संबोधन के दौरान उन्होंने दुग्ध की कीमत 45 रूपये प्रति लीटर करने की मांग की । उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा वायदे करने के बाद भी स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू नहीं किये जाने को लेकर भाजपा द्वारा किसानों को छलने की बातें कही ।
धरना को संबोधित करते हुए जिलाध्यक्ष गंगाधर झा, जिलामंत्री उपेन्द्र राय, सिया प्रसाद यादव, विश्वनाथ महतो, श्याम किशोर कमल, शशिकांत झा आदि ने कहा कि किसानों की उपजाई गई फसल का लागत मूल्य भी नहीं निकल पा रहा है। जबकि केन्द्र की मोदी सरकार कह रही है कि 2022 तक किसानों की आमदनी दोगनी हो जाएगी ।उन्होंने कहा कि किसान की उपजाई फसल का कोई खरीदार नहीं है । लिहाजा किसान अपनी फसल को औने-पौने कीमत में बेचने को मजबूर है । धरना में सैकड़ों किसानों ने भाग लिया ।