मधेपुरा/बिहार : एक तरफ शहर में गोपाष्टमी महोत्सव की धूम मची हुयी है, वहीं दूसरी तरफ शहर की सड़क पर ये गौ माता बेआसरा हो कर जहां तहां भटकती रहती हैं और इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं। ऐसा नहीं है कि मधेपुरा शहर में गोमाता की रक्षा के लिये आवाज उठाने वाले नहीं हैं, लेकिन इन गोमाता को देखने और रखरखाव की यहां कोई व्यवस्था नहीं की गयी है। शहर में सब्जी बेचने के लिये स्थान चिन्हित नहीं होने के कारण सब्जी की दुकानें मुख्य सड़क पर ही लगा करती हैं। इन्हीं सब्जी दुकानों के आसपास ये गायें मंडराती रहती हैं। सड़ी-गली सब्जी पर ही ये गायें भोजन के लिये निर्भर हैं। दुखद है कि पॉलिथीन भी खाते रहने के कारण इन गायों की मौत बड़ी दर्दनाक होती है। वहीं कभी किसी दुकान पर मौजूद सब्जी में मुंह लगा देने पर सब्जी वाले और ग्राहक इन्हें भगाते रहते हैं। विडंबना है कि इस ओर न गौ रक्षा के पैरोकार का ध्यान गया है न ही प्रशासन का।
पांच दर्जन से अधिक पशु सड़क पर हैं घूम रहे
केवल शहर की सड़कों पर पांच दर्जन से अधिक पशु इधर उधर घूमते रहते हैं। रात में भी इन गायों का ठिकाना सड़क ही होता है। रात होते ही पूरे शहर में जगह-जगह पर एक साथ गोलबंद होकर इन गायों को बैठे अक्सर देखा जा सकता है। दिन निकलते ही भोजन की तलाश इन्हें सब्जी बाजार की ओर खींच लाती है। वहीं कुछ गायें कूड़े – कचरे की ढेर में पॉलिथीन में रखी खाद्य सामग्री को पॉलीथिन सहित खा लेती हैं। सड़क पर जहां तहां बैठने के कारण सड़क पर लोगों को गुजरने में काफी परेशानी होती है। कभी-कभी गाड़ी से गायों को धक्का भी लग जाता है जिसमें ये घायल हो जाती हैं। इन घायल गायों का इलाज भी नहीं होता। ऐसी स्थिति में जब संक्रमण बढ़ जाता है तो इनक मौत भी हो जाती है। कई बार ऐसा भी देखा जाता है कि वाहन की टक्कर से मौत होने के बाद गाय मालिक गाय का हर्जाना लेने पहुंच जाते हैं।
बीते महीनों पहले जिला मुख्यालय के बड़ी दुर्गा मंदिर के समीप ट्रक से एक गाय के दबने से मौत हो गई, जिसके बाद स्थानीय लोगों ने पहले तो ट्रक के ड्राइवर एवं खलासी को पीटा तथा स्थानीय लोगों द्वारा हर्जाना का मांग किया गया। जिसके बाद सदर थाने के पुलिस प्रशासन के द्वारा ड्राइवर और खलासी को वहां से छुड़ाया गया। वहीं अक्सर ये गायें आपस में ही उलझ जाती हैं और इसके कारण लोग जख्मी हो जाते हैं।
हर मौसम झेलती हैं ये गायें
इन दिनों सर्दी ने दस्तक दे दिया है। धीरे-धीरे कड़ाके की ठंड पड़ेगी और हम रजाइयों में दुबक जायेंगे। लेकिन सड़क पर रहने वाली ये गायें हर मौसम का मार झेलती हैं। सर्दी, गरमी हो या बरसात, इन गायों के नसीब में छत नहीं है। किसी खाली दुकान के शेड के नीचे या फिर बरसात में भींगते रहना इनकी नियती है। खास बात यह है कि सड़क पर घूमने वाली ये सभी गायें लावारिस नहीं हैं। कुछ पशुपालक अपनी गायों को जानबूझ कर खुला छोड़ देते हैं। यह गाय मालिक गाय को सड़कों पर छोड़ दिया करते हैं। जब दूध निकालने का समय होता है तो दूध निकाल कर फिर से सड़कों पर छोड़ देते हैं। विगत दिनों पूर्व पुरानी बाजार में एक गाय ने सड़क पर ही बछड़े को जन्म दे कर वहीं बेसुध हो कर पड़ी रही। बाद में कुछ लोगों ने उसे किनारे किया और उसकी देखभाल की। शाम में पशुपालक अपनी गाय ढूंढ़ता हुआ पहुंचा तब वह अपनी गाय ले गया।
गाय के मालिकों को सचेत करे नगर परिषद
वार्ड नंबर 6 निवासी अखिलेश यादव का कहना है कि इन गायों के सड़क पर खड़े हो जाने से दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। नगर परिषद को इन गाय के मालिकों को सचेत करना चाहिए कि वे गायों को खूंटे में बांध कर रखें अन्यथा नगर परिषद के चारागाह में भेज दिया जायेगा। वार्ड नंबर 21 के निवासी अनुराग चौधरी एवं वार्ड नंबर 21 के निवासी इंद्र भूषण चौधरी का कहना है कि सड़क पर गाय की संख्या ज्यादा रहती है, कई बार ऐसा हुआ कि सब्जी खरीदकर सब्जी वाले को पैसा देने के लिए हाथ आगे बढ़ाया पीछे से गाय सब्जी का थैला ले भागी। वार्ड नंबर 19 निवासी गोपाल चौरसिया ने कहा कि गाय मालिकों को आमलोगों की समस्या का ख्याल रखना चाहिए। वार्ड नंबर 14 निवासी अमित कुमार ने बताया कि बाजार में सुबह से शाम तक गायें बनी रहती हैं। वार्ड नंबर 20 निवासी सूरज कुमार का कहना है कि मोटरसाइकिल के सामने गाय आ जाती है और दुर्घटना हो जाती है। वार्ड नंबर 20 निवासी हीरा यादव ने बताया कि बाजारों में गाय की समस्या बहुत बड़ी है।वार्ड नंबर 21 निवासी विजय कुमार ने कहा कि इस दिशा में गाय के मालिक को सोचना चाहिए।