दरभंगा/बिहार : मंच पर सिर्फ लंबे लंबे भाषण देने से अगर समाज और देश को सही दिशा मिल जाती तो आज हमारे देश मे समस्या नाम की कोई चीज़ ही नही रहती। जहाँ तक मुझे जानकारी है, समाज और देश को सही दिशा तब मिलती है जब मंच पर नेताओं द्वारा जो बातें भाषण के रूप में लोगो को संबोधित की जाती है उसे वे स्वयं करके भी दिखाए। लेकिन जब सरकार से जुड़े लोग भाषणों में कहे कुछ और हकीकत में करे कुछ तो जनता में इसका क्या प्रभाव जाएगा इसका अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
पिछले 15 नवंबर को जदयू द्वारा आयोजित अल्पसंख्यक सम्मेलन का आयोजन मदरसा हमीदिया किलाघाट के कैंपस में किया गया था। इस सम्मेलन में कार्यकर्ता से लेकर मंत्री तक कि उपस्थिति देखी गई। गौरतलब हो कि मौजूदा एनडीए सरकार का अभियान जिस तरह स्वच्छता की इर्द गिर्द ही घूम रहा है, अभी मदरसा का खुला मैदान स्वच्छता को मुँह चिढ़ा रहा है। चारो तरफ गंदगी ही गंदगी फैली हुई है। सबसे आश्चर्य की बात है कि शिक्षण संस्थान होने की वजह कर छोटे छोटे बच्चे कैंपस में जब खेलने आए तो लोहे की जहाँ तहाँ कील बिखरी पड़ी थी। कई बच्चे खेलते खेलते कील के कारण घायल भी हो गए। अब बड़ा सवाल ये की क्या कार्यक्रम के बाद वहां की सफाई की व्यवस्था की ज़िम्मेदारी किस की थी?
दो दिन हो गए क्या किसी नेता को वहाँ जाकर स्वच्छता अभियान खुद नही चलाना चाहिए था? जो बच्चे फेंके हुए लोहे की कील के कारण घायल हो गए आखिर उसका ज़िम्मेदार कौन होगा? ये सारे सवालों का जवाब कार्यक्रम के आयोजक को देना चाहिए था। अब देखना है कि इस खबर के बाद भी कोई पहल होती है या नही।