मधेपुरा/बिहार : 16 नवंबर को राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर समाहरणालय स्थित सभागार में “डिजिटल युग में पत्रकारिता आचारनीति और चुनौतियां” विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन दीप प्रज्वलित कर जिलाधिकारी नवदीप शुक्ला के द्वारा किया गया।
पत्रकारिता सामाजिक सरोकारों को व्यवस्था की दहलीज तक पहुँचाने और प्रशासन की जनहितकारी नीतियों तथा योजनाआें को समाज के सबसे निचले तबके तक ले जाने के दायित्व का निर्वाह करना ही सही मायनों में पत्रकारिता है।
वही “डिजिटल युग में पत्रकारिता आचारनीति और चुनौतियां” विषय पर चर्चा करते हुए पत्रकार बंधुओ ने अपने अपने विचार रखते हुए कहा कि पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ भी कहा जाता है। पत्रकारिता ने लोकतंत्र में यह महत्त्वपूर्ण स्थान अपने आप नहीं हासिल किया है बल्कि सामाजिक सरोकारों के प्रति पत्रकारिता के दायित्वों के महत्त्व को देखते हुए समाज ने ही दर्जा दिया है। कोई भी लोकतंत्र तभी सशक्त है जब पत्रकारिता सामाजिक सरोकारों के प्रति अपनी सार्थक भूमिका निभाती रहे। सार्थक पत्रकारिता का उद्देश्य ही यह होना चाहिए कि वह प्रशासन और समाज के बीच एक महत्त्वपूर्ण कड़ी की भूमिका अपनाये।
भारत सरकार नें पत्रकारों के लिए अनेक नीतियों को भी निर्धारित किया है, जिसमें वे अपने कार्यों को एक तरफ जारी रखते हैं साथ ही उनपर अनुसन्धान भी करते हैं।और संस्थाओं के द्वारा क्या प्रकाशित किया जाता है इसका परिक्षण भी करते हैं। वहीं पत्रकारों को कुछ विशेषाधिकार भी है जो आम आदमी को नहीं प्राप्त है, वे वरिष्ठ अधिकारियों, नेताओं और अन्य व्यक्तियों से साक्षात्कार कर सकते हैं। इसके अलावा वे पत्रकार जोकि सुरक्षा की दृष्टी से संवेदनशील हैं उन पत्रकारों को सरकार द्वारा विशेष संरक्षण भी प्रदान की जाती है।
कार्यक्रम में जिलादिकारी, एडीएम, उपविकासआयुक्त, जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी सहित दर्जनों पत्रकार मौजूद थे।