भीमपुर, छातापुर/सुपौल/बिहार : सीतामढ़ी के जैनुल आबेदीन अंसारी की निर्मम हत्या कर उस के शरीर को जला देने वाली घटना इतनी दर्दनाक है के पिछले तमाम मॉब लिंचिंग का मामला फीका पर गया है । नीतीश सरकार में सांम्प्रदायिक शक्तियों, दंगाईयों ने क्रुरता की सभी सीमायें तोड़ दी है । यह घटना बिहार नहीं पुरे देश के लिए निंदनीये है । बिहार सरकार दोषियों पर कार्यवाई करने के मामले में बिलकुल चुप्पी साध राखी है ।
उक्त बातें छातापुर में खादिमें मजलिस खलीकुल्लाह अंसारी ने आज एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कही। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार अपनी गीरती शाख को बचाने के लिए महागठबंधन में शामिल होकर धोका से अल्पसंख्यकों का वोट लेकर अब पाला बदल कर पुरी तरह आरएसएस के एजेंडों को लागू कर रहे हैं । यदि नीतीश कुमार में जरा भी नैतिकता बाकी है तो वो कम से कम सीतामढ़ी के जिला अधिकारी व पुलिस अधिक्षक को अविलंब निलम्बित कर पुरे घटना की उच्च स्तरीय जांच कराने की घोषणा करें । खलीकुल्लाह अंसारी ने विषेश तौर पर नवादा, सीवान, बेतिया, गया, छपरा आदि जगहों की कई घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा की यह सभी दंगे नीतीश सरकार की विफलता व अल्पसंख्यक विरोधी चरित्र को उजागर करता है । यदि घटना में संलिप्त दोषियों पर शासन और प्रशासन समय पर उचित कार्यवाई करे तो फिर दंगाईयों के मनोबल नहीं बढ़ेंगे ।
उन्होंने कहा के एआईएमआईएम पार्टी इस घटना की पूरी तरह निंदा करती है । साथ ही नकली सेक्यूलरिज्म का चोला पहन कर सियासत करने वाली पार्टीयों की चुप्पी पर भी अफसोस जाहिर किया । इन पार्टीयों को केवल अल्पसंख्यक वोट चाहिये, इन की पीड़ा और समस्या से उन्हें कोई सरोकार नही है ।