“छात्र न्याय सत्याग्रह” के सामने झुका बीएनएमयू, दोनों शोधार्थियों का रजिस्ट्रेशन कार्ड किया निर्गत

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मधेपुरा/बिहार : राष्ट्रपति से आत्मदाह की अनुमति मांगने वाले बी एन एम यू दोनों शोधार्थियों को दीक्षांत समारोह से एक दिन पहले आखिरकार आज न्याय मिल गया है और साथ ही दोनों शोधार्थियों का रजिस्ट्रेशन कार्ड निर्गत कर दिया गया है।  

 सनद हो कि बीएन मंडल विश्वविद्यालय में पिछले एक सप्ताह से जारी छात्र आंदोलन के सामने आखिरकार विश्वविद्यालय प्रशासन को झुकना पड़ा, रविवार को कुलपति के द्वारा भेजे गए प्रतिनिधिमंडल, जिसमें पार्वती साइंस कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर अशोक कुमार यादव, मानवीकी संकाय के डीन राजीव मल्लिक, छात्र कल्याण पदाधिकारी डॉ अशोक सिंह और प्रॉक्टर डॉ बिमल सागर के द्वारा छात्र न्याय सत्याग्रह पर बैठे छात्र नेताओं से वार्ता किया गया, जिसमें जिला प्रशासन की विशेष पहल पर सकारात्मक वार्ता हुई और विश्वविद्यालय प्रशासन ने बगैर किसी शर्त छात्र नेताओं का रजिस्ट्रेशन पत्र निर्गत करने, निलंबित वापस करने और गाइड बहाल करने करने की मांग पर सहमति जताई थी और सोमवार को रजिस्ट्रेशन पत्र निर्गत करने की बात कही, लेकिन सोमवार को प्रॉक्टर के द्वारा कुछ शर्त लगाई जा रही थी, जिस पर सभी छात्र संगठन असहमति जताते हुए फिर से विरोध करने लगे और पुनः सत्याग्रह शुरू करने की बात कही, जिसके बाद केमिस्ट्री विभाग के विभाग अध्यक्ष डॉ नरेश कुमार, पार्वती साइंस कॉलेज के प्रचार डॉ अशोक कुमार यादव और टीपी कॉलेज के प्रचार डॉक्टर कैलाश यादव के द्वारा फिर से सोमवार को देर शाम तक विश्वविद्यालय प्रशासन और संयुक्त छात्र संगठन के बीच समन्वय स्थापित करने की पहल की गई और देर संध्या में सहमति बनी, जिसके  आज पीएचडी से निलंबित छात्र अरमान अली और मौसम प्रिया को पीएचडी रजिस्ट्रेशन पत्र, उपकुल सचिव एकेडमिक डॉ दीपक गुप्ता के द्वारा निर्गत किया गया।

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छात्र नेताओं ने कहा कि यह छात्र संगठनों की एकता की जीत है, एनएसयूआई पूर्व राष्ट्रीय संयोजक मनीष कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा अनावश्यक रूप से इस आंदोलन को करने पर मजबूर किया गया, छात्र संगठनों के अस्तित्व को दरकिनार करना विश्वविद्यालय प्रशासन और कुलपति की बड़ी भूल है, छात्र संगठन हमेशा विश्वविद्यालय की कमियां को दिखा कर उसे दूर करने के लिए संवैधानिक तरीके से आवाज उठाने का काम करता आ रहा है और आगे भी करता रहेगा।

 छात्र राजद के विश्वविद्यालय अध्यक्ष सोनु यादव ने कहा कि यह छात्र संगठन की बड़ी जीत है और इस आंदोलन में सभी पदाधिकारियों का सहयोग सकारात्मक रहा, विश्वविद्यालय प्रशासन ने आत्मदाह के लिए विवश होने वाले दोनों छात्र नेताओं की जिंदगी बचाने का काम किया है इसके लिए सभी को साधुवाद है। आइसा के एजाज़ अख्तर ने कहा कि वर्तमान समय में छात्र संगठन की एकता के कारण दोनों छात्र नेताओं को जीत मिली है विश्वविद्यालय प्रशासन से गुरजिश है कि कभी भी छात्र नेताओं के साथ अपराधी वाला व्यवहार ना करें।  छात्र जदयू के विश्वविद्यालय अध्यक्ष निखिल सिंह यादव ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन की हठधर्मिता के कारण दोनों छात्रों को मानसिक तौर पर प्रताड़ित होना पड़ा है ।  युवा शक्ति के सौरव यादव ने कहा कि यह जीत विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ छात्र संगठनों की संघर्ष का परिणाम है, विश्वविद्यालय में पठन-पाठन को दुरुस्त करने के लिए आगे भी आंदोलन जारी रहेगा, आइसा के जिला सचिव पावेल कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन वादा करके सोमवार को मुकर गई थी, इसके बाद छात्र संगठन में अविश्वास पैदा हो रहा था लेकिन कुछ पदाधिकारी ने समय रहते मामले को संभाल लिया नहीं तो आगामी दीक्षांत समारोह में खलल निश्चित था।

मौके पर एआइएसएफ के प्रभात रंजन, भारतीय विद्यार्थी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष राहुल पासवान, छात्र लोजपा के जसवीर पासवान, छात्र राजद के नीतीश कुमार, शैलेन्द्र कुमार, मधुसुदन यादव, छात्र जदयू सनोज यादव, प्रेम कुमार, युवा शक्ति के निरंजन कुमार, रितु रंजन कुमार, सुमित कुमार, भीम आर्मी के कुंदन आजाद, सोनु अंबेडकर, सोन कुमार, आइसा के एजाज़ अख्तर, मोहम्मद सद्दाम, शंकर कुमार,  मनीष कुमार आदि मौजूद थे।


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