माननीय शब्द के दुरुपयोग पर एआईवाईएफ ने राज्यपाल, मुख्यमंत्री, कुलपति से की शिकायत

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मधेपुरा/बिहार : भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय अंतर्गत हरिहर साहा कॉलेज उदाकिशुनगंज में सात फरवरी को कॉलेज परिसर में लगे बहुद्देशीय भवन निर्माण के शिलापट्ट पर वाम युवा संगठन एआईवाईएफ जिला संयोजक हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने राज्यपाल, मुख्यमंत्री और कुलपति को पत्र लिखकर संगठन की ओर से कड़ी नाराजगी जताई है और इसे माननीय शब्द का दुरुपयोग बताया है। लिखे पत्र में राठौर ने कहा कि बीएनएमयू में सेमिनार के नाम पर राष्ट्रीय, अंतराष्ट्रीय शब्दों के दुरुपयोग की पुरानी रीत रही है लेकिन हरिहर साहा कॉलेज उदाकिशुनगंज द्वारा लगाए शिलापट्ट में नई परम्परा शुरू हो गई है जो माननीय शब्द को मजाक बनाने की साजिश प्रतीत होती है।

कुलसचिव का पद क्लर्क की श्रेणी में, माननीय का प्रयोग गलत : लिखे पत्र में राठौर ने कहा कि बीएनएमयू कुलसचिव डॉ विपिन कुमार राय के पद रजिस्टार के साथ माननीय का प्रयोग सर्वथा गलत है क्योंकि यह पद क्लर्क की श्रेणी में आता है। नियमों की माने तो रजिस्टार का ओहदा प्रोफेसर से भी नीचे होता है। दुखद है शिलापट्ट शिलान्यास के समय उपस्थित होने के बाद भी उन्होंने इसपर आपत्ति नहीं जताई मानों मौन सहमति हो। प्रधानाचार्य के साथ लगे माननीय ने तो मानों रही सही कसर ही पूरी कर दी।

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कुलानुशासक को नीचा दिखाने की साजिश शर्मनाक : वहीं लिखे पत्र में राठौर ने कहा कि उसी शिलापट्ट में अध्यक्षता के रूप में जहां विश्वविद्यालय प्रतिनिधि का नाम विचारणीय है क्योंकि जब कार्यक्रम कॉलेज का है तो अध्यक्षता विश्वविद्यालय प्रतिनिधि क्यों करे वहीं रजिस्टार से बड़े पद के कुलानुशासक को नीचे रख और माननीय से वंचित कर जानबुझकर नीचा दिखाने की कोशिश की गई है यद्यपि यह पद माननीय के दायरे में नहीं आता जो प्रशासनिक अपरिपक्वता के साथ साथ कुलानुशासक पद का अपमान है।नियमानुसार कुलानुशासक का पद रजिस्टार से ऊपर होता है।
रजिस्टार के साथ माननीय लगाने पर छ साल पहले बीएनएमयू की हुई थी बड़ी फजीहत : वाम युवा संगठन एआईवाईएफ जिला संयोजक हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने लिखे पत्र में यह भी बताया कि यह घटना दिखाती है कि छह साल पहले ऐसे ही मामले में हुई फजीहत से हरिहर साहा कॉलेज प्रशासन ने सीख नहीं ली जब विश्वविद्यालय प्रशासन ने 20219 में दो फरवरी को विश्वविद्यालय के नए परिसर में विश्वविद्यालय परीक्षा भवन के उद्घाटन के शिलापट्ट में तत्कालीन कुलसचिव कर्नल नीरज कुमार के नाम के साथ माननीय लगा दिया था जिसपर बड़ा विवाद ही नहीं हुआ बल्कि खुद कर्नल नीरज ने इसे अवैध बताते हुए चाटुकारिता करार दिया था तब बाद में माननीय को शिलापट्ट से धूमिल किया गया था।
माननीय शब्द की अपनी अलग मर्यादा है : युवा वाम नेता राठौर ने कहा कि माननीय शब्द की अपनी मर्यादा है इसे इस प्रकार मजाक नहीं बनाया जा सकता। विश्वविद्यालय में मात्र कुलपति, प्रति कुलपति और सीनेट, सिंडिकेट सदस्यों के साथ ही माननीय शब्द का प्रयोग किया जा सकता है । माननीय शब्द का महत्व ऐसा है कि बिहार में राज्यपाल के पहले महामहिम की जगह माननीय शब्द का प्रयोग होता है । इस शब्द का प्रयोग मूलतः जनप्रतिनिधियों के साथ प्रयोग में रहता है। लेकिन विगत कुछ समय से चाटुकारिता और चरणबंदना इस कदर हावी हो गया है कि प्रधानाचार्य और रजिस्टार के साथ भी इसका प्रयोग कर मजाक बनाया जा रहा है।نपत्र में राठौर ने राजभवन, मुख्यमंत्री और कुलपति से पत्र लिख इस पर संज्ञान लेते हुए माननीय शब्द के दुरुपयोग पर रोक लगाने की मांग की है।


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