मुरलीगंज/मधेपुरा/बिहार : सरकारी कर्मचारी के दर्जा और मानदेय बढ़ोत्तरी को लेकर आंगनबाड़ी सेविकाएं-सहायिकाएं शुक्रवार से हड़ताल पर हैं। सेविका-सहायिका के हड़ताल पर चले जाने के कारण से आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन पूरी तरह से बाधित हो गया है। मुरलीगंज प्रखंड कार्यालय परिसर में सेविका व सहायिका लगातार आंदोलनरत हैं।
मंगलवार को भी सेविका व सहायिका जमकर नारेबाजी और धरना प्रदर्शन कर रहे थे। इनकी मांग है कि सरकारी कर्मचारी के दर्जा और मानदेय में बढ़ोत्तरी किया जाए। बिहार में महागठबंधन ने घोषणा-पत्र में सरकार बनने पर आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका के मानदेय को दुगना करने का वादा किया था। उनलोगों ने कहा कि तेजस्वी यादव ने लगभग अधिकांश चुनावी सभाओं में आश्वासन दिया था। फिर भी हमलोगों की मांग नहीं सुनी जा रही है। आंगनबाड़ी सेविकाएं-सहायिकाएं का कहना है कि मानदेय दुगना करने की बात तो छोड़ दिया जाए, तो अब तक प्रतिनिधिमंडल से मिलने तक का कष्ट नहीं किया गया। जनवरी से मार्च के बीच लगातार तीन महीने तक संयुक्त संघर्ष समिति की ओर से चरणबद्ध आंदोलन के दरम्यान निदेशक आईसीडीएस और प्रधान सचिव समाज कल्याण विभाग ने आश्वासन दिया था। इस पर भरोसा करते हुए संयुक्त संघर्ष समिति ने चरणबद्ध आंदोलन को रोक दिया था।
आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका की मांग : बिहार सरकार की ओर से अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि 10 हजार रुपए सुनिश्चित की जाए। सुप्रीम कोर्ट का आदेश के आलोक में बिहार में भी ग्रेच्युटी भुगतान करना सुनिश्चित किया जाए। केंद्र सरकार की ओर से सरकारी कर्मचारी का दर्जा देते हुए ग्रेड सी और ग्रेड डी में समायोजित किया जाए। जब तक सरकारी कर्मचारी का दर्जा प्राप्त नहीं हो जाता है, तब तक सेविकाओं को 25000 और सहायिकाओं को 18,000 प्रतिमाह मानदेय राशि दी जाए। योग्य सहायिका से सेविका में बहाली हेतु अतिरिक्त 10 बोनस अंक देने के प्रावधान को लागू किया जाए। सेविका से पर्यवेक्षिका और सेविका सहायिका के रिक्त सभी पदों पर अविलंब बहाली सुनिश्चित की जाए। 16 मई 2017 और 20 जुलाई 2022 के समझौते के आलोक में लंबित मांगों को लागू किया जाए।
सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप : सेविका-सहायिका ने कहा कि तीन महीने बाद 26 जुलाई 2023 को संयुक्त संघर्ष समिति के प्रतिनिधिमंडल ने आईसीडीएस के निदेशक से मुलाकात की थी। वादे को पूरा करने की मांग की गई तो मानदेय राशि बढ़ाया जाना तो दूर अन्य जिन 8 मांगों पर सहमति बनी थी, उसे भी टाल दिया गया। ऐसी स्थिति में संयुक्त संघर्ष समिति को विवश होकर हड़ताल में जाने का निर्णय लेना पड़ा। इस दौरान आंदोलनकारियों ने अपनी मांगों को प्रशासन और सरकार के सामने रखा। उन्होंने कहा कि अगर उनकी मांग पूरी नहीं होती है तो वे लोग अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे।
मिथिलेश कुमार की रिपोर्ट