मधेपुरा/बिहार : गुरुवार को राष्ट्रीय मंसूरी महापंचायत ने जिला मुख्यालय के मस्जिद चौक स्थित ख्वाजा गरीब नवाज कैंपस में मंसूरी अधिकार सम्मेलन आयोजित किया. सम्मेलन के मुख्य अतिथि बहुजन पसमांदा चिंतक व राष्ट्रीय मंसूरी महापंचायत के राष्ट्रीय संरक्षक डा फिरोज मंसूरी थे. सम्मेलन की अध्यक्षता नूर आलम मंसूरी व संचालन शहनवाज मंसूरी ने किया. इस सम्मेलन के माध्यम से बिहार के पसमांदा समाज विशेषकर पसमांदा बहुसंख्यक मंसूरी समाज को गोलबंद करने पर विशेष जोड़ दिया गया. मंसूरी अधिकार सम्मेलन में चार महत्वपूर्ण प्रस्ताव पास किये गये. मंसूरी अधिकार सम्मेलन को संबोधित करते हुये पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय संयोजक सह राष्ट्रीय मंसूरी महापंचायत के संरक्षक डा फिरोज मंसूरी ने कहा कि समाजिक न्याय जैसे शब्द मजबूत पिछड़ी जाति को सत्ता में लंबे समय तक बना कर रखने के लिये है, जो बातें मनुवाद की करता है लेकिन हासिये के समाज की वाजिब हिस्सेदारी लूट लेता है.
सत्ता लोभियों ने संकट के समय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को दिया धोखा
डा फिरोज मंसूरी ने कहा की बिहार के मुख्यमंत्री नितिश कुमार ने जननायक कर्पूरी ठाकुर के बाद सबसे अधिक अरजाल पसमांदा मुस्लिमों की चिंता की. अंतिम पायदान के व्यक्ति को मुखिया, सरपंच, जिला परिषद बना कर शक्ति दी. पसमांदा समाज के मजबूत जाति को विभिन्न सदनों में भेज कर पसमांदा के प्रति कमिटमेंट जाहिर किया. बावजूद सत्ता लोभी एक जगह कब टिकते हैं. संकट के समय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को धोखा दिया. आज फिर से पसमांदा समाज को धोखा देने वाले, बिहार की खाक छान रहे हैं. पसमांदा समाज को ऐसे धोखेबाजों से सावधान रहने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा की पसमांदा समाज की बहुसंख्यक जनसंख्या वाली जातियों में धुनिया, मंसूरी शामिल है, लेकिन यह अफसोस की बात है अरजाल धुनिया जाति पर आज तक किसी लोकप्रिय नेता की नजर नहीं गयी. लोकसभा हो या राज्यसभा या विधान परिषद, धुनिया मंसूरी आज भी सदस्यता से वंचित है.
243 विधानसभा में एक विधायक का होना सामाजिक न्याय पर है प्रहार
डा फिरोज मंसूरी ने कहा कि लालू प्रसाद यादव ने पहली बार कांटी विधानसभा से धुनिया मंसूरी को टिकट देकर, विधानसभा भेजा था. समाज इस एहसान को कभी नहीं भूलेगा. बिहार के 243 विधानसभा क्षेत्र में औसत 10 हजार वोट धुनिया की है. ऐसे में मात्र एक विधायक का होना सामाजिक न्याय पर प्रहार है. डा फिरोज मंसूरी ने कहा की माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पसमांदा समाज की पहली बार खबर लेकर, पसमांदा समाज को सत्ता की चाभी का पता दे दिया है. अब यह आंदोलन रुकने वाला नहीं है. प्रधानमंत्री से आग्रह है की पसमांदा समाज की सबसे कमजोर अरजाल धुनिया-मंसूरी, रंगरेज, दर्जी, चीक, डफाली, नट, पमरिया, धोबी, बक्खो, भटियारा, फकीर, चुडिहारा एंव अन्य जातियों के आर्थिक एंव राजनितिक उत्थान के लिए कोई ठोस पहल करें.
सम्मेलन को नूर आलम मंसूरी, खतीब मंसूरी, मुर्तुजा मंसूरी, अब्दुल सत्तार मंसूरी, सुपौल जिलाध्यक्ष अबूनसर मंसूरी, सिमांचल अरिरिया प्रभारी मुस्तकिम मंसूरी, जोबे मंसूरी, एजाज मंसूरी, शहनवाज मंसूरी, मुश्ताक मंसूरी, इब्राहिम मंसूरी, इरशाद मंसूरी, इस्लाम मंसूरी, इसराफील मंसूरी, अब्दुल जलील मंसूरी, शमीम मंसूरी, प्रमुख कुद्दुस मंसूरी, निजाम मंसूरी, नजरुल मंसूरी, अब्दुल सत्तार मंसूरी, मुस्तजीबुर रहमान मंसूरी, मंजूर आलम मंसूरी, मोतीउर रहमान मंसूरी, साजिद मंसूरी काजिम मंसूरी ने भी संबोधित किया.