मधेपुरा/बिहार : शुक्रवार को कटिहार एवं पूर्णिया जिले के लगभग 25-30 छात्र-छात्राएं माइग्रेशन प्रमाण-पत्र के लिए विश्वविद्यालय पहुंचे और पंजीयन शाखा में जाकर उन्होंने माइग्रेशन प्रमाण-पत्र से संबंधित प्रपत्र एवं कागजात जमा किये. कागजात जमा करने के लगभग एक घंटे के बाद विभाग के कर्मियों द्वारा कागजात लौटा दिया जाता है और कहा जाता है कि विश्वविद्यालय परिसर स्थित बैंक के अधिकारी एवं कर्मी पंचायत चुनाव के ट्रेनिंग में गये हुये हैं. इसलिए आज माइग्रेशन का कार्य नहीं हो पायेगा. मालूम हो कि विश्वविद्यालय के चालान से संबंधित सभी पैसे विश्वविद्यालय परिसर स्थित बैंक में जमा किये जाते हैं. पंजीयन विभाग द्वारा कागजात लौटाने से नाराज सभी छात्र-छात्राएं प्रति कुलपति के पास पहुंच कर अपनी समस्याओं को रखा. उन्होंने बताया कि वे लोग कटिहार एवं पूर्णिया से ससमय विश्वविद्यालय पहुंचकर अपने कागजात जमा किये, ताकि शाम तक सारे कार्य करवा कर घर वापस चले जायें, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
विश्वविद्यालय के ऑनलाइन सुविधा को दुरुस्त करने की है जरूरत : छात्र-छात्राओं ने बताया कि शुक्रवार को माइग्रेशन प्रमाण-पत्र का कार्य नहीं होगा, इस जानकारी के लिए ना तो कोई सूचना चिपकाया गया था और ना ही कर्मियों द्वारा बताया गया. जिसके कारण छात्र छात्राओं को परेशानियों का सामना करना पड़ा. छात्र-छात्राओं ने बताया कि जब विश्वविद्यालय के चालान से संबंधित सभी पैसे के कार्य बैंक से ही होते हैं तो बैंक में छुट्टी या किसी कार्य के कारण बंद होने की स्थिति में विश्वविद्यालय को विकल्प तलाशने की जरूरत है. इसके लिए विश्वविद्यालय के ऑनलाइन सुविधा को दुरुस्त करना चाहिए, ताकि बैंक बंद होने की स्थिति में छात्र-छात्राएं ऑनलाइन आवेदन कर सके या फिर पैसा जमा कर सकें. उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय से उनके गृह जिले की एक तो दूरी अधिक है, दूसरी सड़कों की हालत बेहद ही खराब है. जिसके कारण वे लोग बार-बार विश्वविद्यालय आने से असमर्थ हो जाते हैं. प्रति कुलपति कार्यालय में उपस्थित प्रति कुलपति प्रो डा आभा सिंह एवं परीक्षा नियंत्रक आर पी राजेश ने सभी छात्र छात्राओं से वार्ता किया लेकिन छात्र-छात्राएं उन लोगों की बातों से संतुष्ट नहीं हुए और मायूस होकर वापस घर चले गये.
विवि का चक्कर काटकर छात्र परेशान, अधिकारियों को नहीं है परवाह : भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय में अधिकारी एवं कर्मियों की लापरवाही के कारण छात्र हित के अनदेखियों का अंबार लगा हुआ है. छात्र विश्वविद्यालय का चक्कर काटते-काटते परेशान हो जाते हैं, लेकिन अधिकारियों एवं कर्मियों को कोई परवाह नहीं होती है. विश्वविद्यालय की समस्या किसी एक-दो दिन या किसी खास दिन की बात नहीं है, बल्कि बीएनएमयू के परिसर में रोजाना कई छात्र कई दिनों, कई महीनों एवं कई वर्षों से चक्कर काटते हुए नजर आ जाते हैं. मालूम हो कि वर्तमान में बीएनएमयू के अधीन मधेपुरा, सहरसा एवं सुपौल जिला आता है. जबकि इससे पूर्व यह विश्वविद्यालय इन तीन जिलों के अलावा कटिहार, पूर्णिया, अररिया एवं किशनगंज में फैला हुआ था. यानी पूर्व में बीएनएमयू के अंतर्गत कोसी एवं पूर्णिया प्रमंडल के सात जिले आते थे. जिसके कारण आज भी दूरदराज के छात्र-छात्राओं को कई कार्यों के लिए विश्वविद्यालय आना पड़ता है.