बीएनएमयू परिसर स्थित यूजीसी मद से निर्मित महिला छात्रावास सिर्फ भाषण का विषय

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मधेपुरा/बिहार : भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय परिसर स्थित यूजीसी मद से निर्मित महिला छात्रावास 26 जनवरी एवं 15 अगस्त में कुलपति के लिए सिर्फ भाषण का विषय बन कर रह गया है. विश्वविद्यालय प्रशासन के द्वारा महिला छात्रावास को लेकर दिए गए बयान का वास्तविकता से कोई मतलब नहीं है. हर वर्ष 26 जनवरी एवं 15 अगस्त को कुलपति सात दिनों के अंदर महिला छात्रावास शुरू होने की बात तो करते हैं, लेकिन इन वादों की हकीकत विश्वविद्यालय का महिला छात्रावास की स्थिति बयां करती है. हर वर्ष की भांति 15 अगस्त को बीएनएमयू कुलपति प्रो डा राम किशोर प्रसाद रमन के द्वारा सात दिनों के अंदर महिला छात्रावास शुरू होने की बात कही गई थी. कुलपति के द्वारा दिए गए वादा का लगभग 20 दिन गुजरने वाला है, लेकिन अब तक छात्रावास, छात्राओं के रहने के लिए तैयार नहीं हो पाया है.

छात्रावास परिसर के अंदर फैला हुआ है जंगल, बर्बाद होने के कगार पर है सामान : छात्रावास परिसर के अंदर एवं बाहरी भाग में पहले बड़े-बड़े जंगल यह साफ बता रही है कि कुलपति के निर्देशों का पालन नहीं हो रहा है. छात्रावास परिसर के अंदर जंगल को देखकर यह साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि छात्रावास में रहना तो दूर छात्राएं परिसर के अंदर जाना भी पसंद नहीं करेगी. साथ ही छात्रावास के अंदर साफ-सफाई का भी घोर अभाव है. अंदर में गंदगी फैली हुई है. लाइट की सुविधा नहीं है. स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था नहीं की गई है. बेसिन में गंदगी फैली हुई है. सामान यत्र-तत्र बिखरे पड़े हुए हैं. वहीं छात्रावास में छात्राओं के रहने के लिए लाया गया सामान बर्बाद होने के कगार पर है. साथ ही वालों पर पान एवं गुटखा के थूक के निशान कुलपति के निर्देशों के हकीकत को उजागर कर रहा है. छात्रावास के शुरू हो जाने से ग्रामीण क्षेत्रों एवं दूर-दराज से आने वाली छात्राओं को उच्च शिक्षा प्रदान करने में सहायता मिलेगी.

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23 जुलाई 2009 को उद्घाटन हुए छात्रावास का नहीं हो पाया शुरुआत : मालूम हो कि भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय परिसर में यूजीसी प्रदत कोष से नवनिर्मित महिला छात्रावास का उद्घाटन तत्कालीन कुलपति प्रो आरपी श्रीवास्तव के द्वारा 23 जुलाई 2009 को संध्या पांच बजे किया गया था. जिसमें मुख्य अतिथि के तौर पर डा कविता श्रीवास्तव, विशिष्ट अतिथि के तौर पर तत्कालीन छात्र कल्याण अध्यक्ष नजीरउद्दीन एवं तत्कालीन कुलसचिव डा कुमारेश प्रसाद सिंह उपस्थित थे. छात्रावास के उद्घाटन का 12 वर्ष से अधिक हो चुका है, लेकिन छात्रावास का लाभ छात्राओं को नहीं मिल पाया है. बस आज तक छात्रावास का उपयोग विश्वविद्यालय के कई कार्यों के लिए जरूर कर लिया गया है. कई बार विश्वविद्यालय में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों के लिए छात्राओं एवं अतिथियों के लिए छात्रावास का उपयोग किया गया साथ ही कई वर्षों तक इसी छात्रावास में स्नातकोत्तर गृह विज्ञान विभाग को संचालित किया गया.

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विश्वविद्यालय के फाइलों में दबकर रह गया छात्राओं का आवेदन : छात्रावास को शुरू करने के लिए सभी छात्र संगठनों ने भी कई बार मांग किया है या यूं कहें कि सभी छात्र संगठनों के द्वारा कुलपति को जब भी कोई मांग पत्र दिया जाता है तो उसमें छात्रावास को शुरू करने को लेकर एक मांग अवश्य होता है, बावजूद इसके अब तक छात्रावास शुरू नहीं हो पाया है. छात्र संगठनों की मांग पर पूर्व के कुलपति द्वारा छात्रावास के शुरू नहीं होने का कारण, छात्रावास में छात्राओं के नहीं रहने की दिलचस्पी, बताई गई थी और कहा गया था कि छात्राएं आवेदन करें तो छात्रावास शुरू कर दिया जायेगा. जिसके बाद कुछ छात्र संगठनों ने छात्रावास के निर्धारित सीट से भी अधिक छात्राओं का आवेदन विश्वविद्यालय प्रशासन को समर्पित किया था, लेकिन वह आवेदन सिर्फ फाइलों में दबकर रह गई.

अमित कुमार अंशु
उप संपादक

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