मधेपुरा/बिहार : लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती. उक्त पंक्तियो को चरितार्थ करके जिला मुख्यालय के जगजीवन आश्रम वार्ड नंबर 13 निवासी सेवानिवृत्त विद्युत कार्यपालक अभियंता रतन कुमार एवं अमिता प्रभा की पुत्री नेहा नूपुर ने दिखाया है. इन्होंने बीपीएससी की परीक्षा में बाजी मारी है और 1820 वां रैंक हासिल कर अपने परिवार का नाम रौशन किया है. अब नेहा नूपुर राजस्व अधिकारी बन कर देश की सेवा करेंगी.
नेहा नूपुर के बीपीएससी में सफलता पाने पर मोहल्ले वासी एवं जिले के लोग अपने आपको गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. वहीं नेहा ने बताया कि उनकी हमेशा से इच्छा रही है कि वह अपने क्षेत्र के युवक-युवतियों के लिए प्रेरणा स्रोत बने. समाज एवं देश के विकास के लिए बेहतर कार्य करें. नेहा के पिता रतन कुमार एवं माता अमिता प्रभा अपने पुत्री की सफलता पर गर्व महसूस कर रहे हैं. वहीं नेहा के गुरु डा ज्ञानेश भरद्वाज, भाई तुषार राज एवं राहुल कुमार, नेहा को इस बड़ी सफलता पर बधाई दे रहे है. साथ ही नेहा की सफलता ने जिले की लड़कियों के लिए एक मिशाल कायम की है.
बचपन से ही करना चाहती थी समाज सेवा और बनना चाहती थी उदाहरण : नेहा ने बताया कि उनकी अधिकांश पढ़ाई मधेपुरा के बाहर ही रहकर हुई है. उन्होंने दसवीं की पढ़ाई औरंगाबाद एवं 12वीं की पढ़ाई पटना से की. जिसके बाद उन्होंने डा एपीजे कलाम विश्वविद्यालय से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. उन्होंने कहा कि उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई तो कर ली, लेकिन उनका मन हमेशा देश सेवा में लगा हुआ रहता था. वह बचपन से ही अपने समाज के लिए कुछ करना चाहती थी. साथ ही अपने समाज के लड़की-लड़कियों के लिए उदाहरण बनना चाहती थी. बस इसी उद्देश्य के साथ उन्होंने बीपीएससी की तैयारी शुरू कर दी. उन्होंने कहा कि इससे पूर्व भी बीपीएससी की परीक्षा दी, लेकिन उसमें सफलता हासिल नहीं हुई. फिर भी उन्होंने हार नहीं माना और कड़ी मेहनत की. जिसके बाद उन्हें इस बार सफलता हासिल हुई.
मेहनत करके बेटियां भी कर सकती है सफलता प्राप्त : नेहा ने बताया कि वह लगातार मधेपुरा के बाहर रही हैं, जिसके कारण उन्हें मधेपुरा को लेकर कई बातें सुनने को मिलती थी. उन्होंने कहा कि बिहार के दूसरे जिले के लोग मधेपुरा को नीचे की दृष्टि से देखा करते हैं. बस इसी सोच को बदलने की जरूरत है. दूसरे जिले के लोगों को भी यह मालूम होना चाहिए कि मधेपुरा की बेटियां भी मेहनत करके सफलता प्राप्त कर सकती है. साथ ही समाज में कई ऐसी लड़कियां हैं, जो अपने आप को लड़की होने की बात कह कर किसी भी कार्य से पीछे हट जाती हैं. उन्हें लगता है कि वह कहीं अकेले बाहर नहीं आ-जा सकती है. बाहर जाकर अकेले पढ़ाई नहीं कर सकती है, तो ऐसी बेटियों के लिए यह संदेश होगा कि आज बेटियां किसी से कम नहीं है.
अमित