बीएनएमयू में रखे गए टी आर हो चुके हैं पूरी तरह बर्बाद, छात्र-छत्राओं के भविष्य के साथ हो रहा है खिलवाड़

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Photo : भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय
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मधेपुरा/बिहार : भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय हमेशा नये-नये विवादों को लेकर प्रकाश में रहता है. लगभग ढाई माह बाद भी एमएड प्रवेश परीक्षा के मेघा सूची जारी नहीं होने शिकायत अभी समाप्त भी नहीं हुई थी कि विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा टीआर ठीक ढंग से नहीं रखने का मामला सामने आया है. छात्रों के भविष्य को सजाने एवं संवारने का काम करने वाला विश्वविद्यालय प्रशासन अब छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है किसी भी छात्र का भविष्य उसके शैक्षणिक प्रमाण पत्रों एवं कागजातों पर निर्भर करता है. जिसे बीएनएमयू ठीक ढंग से रख पाने में असमर्थ है. जिसका खामियाजा बीएनएमयू के स्थापना काल से लेकर अब तक के छात्र-छात्राओं को भुगतना पड़ेगा. यह समस्या सिर्फ और सिर्फ विश्वविद्यालय प्रशासन की लापरवाही का नतीजा है. जिन्हें छात्र-छात्राओं के भविष्य को बनने या फिर बिगड़ने से कोई मतलब नहीं है.

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फ़ोटो : यूनिवर्सिटी में रखे गए टी आर की हालत

छात्रों को झेलनी पड़ रही है आर्थिक व मानसिक परेशानी : भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के परीक्षा विभाग में कागजातों के रख-रखाव में बदइंतजामी नजर आ रही है. आलम यह है कि महत्वपूर्ण कागजात में से एक टीआर यानी टेबुलेशन रजिस्टर के रखरखाव को लेकर पदाधिकारी संवेदनशील नहीं है. जिसके कारण प्रमाण-पत्र सत्यापन में छात्र-छात्राओं परेशानी हो रही है. टीआर के अपठनीय होने के कारण छात्र-छात्राओं को प्रमाण-पत्र समेत अन्य आवश्यक कागजातों के सत्यापन के लिए पहले विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय का चक्कर लगाना पड़ रहा है. जिसके कारण छात्र-छात्राओं काे आर्थिक एवं मानसिक परेशानियां झेलनी पड़ रही है. इतना ही नहीं परीक्षा विभाग द्वारा टीआर को संरक्षित करने को लेकर कोई प्रयास भी नहीं किया जा रहा है.

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फ़ोटो : यूनिवर्सिटी में रखे गए टी आर की हालत

टीआर के नष्ट हो जाने से छात्रों को होती है अंक सत्यापन में परेशानी : प्रमाण-पत्र सत्यापन के लिए आए पूर्व के कई छात्रों ने बताया कि विश्वविद्यालय में रखे पुराने टीआर के नष्ट हो जाने से उनके अंकों के सत्यापन में परेशानी हो रही है. विश्वविद्यालय आने पर छात्रों को संबंधित महाविद्यालय भेज दिया जाता है. वहां रखे टीआर की छायाप्रति लेकर उसे फिर विश्वविद्यालय आना पड़ता है. इसके बाद वेरिफिकेशन का कार्य पूरा होता है. स्थिति यह कि छात्रों को महाविद्यालय से टीआर की छायाप्रति प्राप्त करने के लिए कई दिनों तक चक्कर लगाना पड़ रहा है. पीड़ित छात्रों ने कहा कि नष्ट टीआर में अंक सत्यापन का बहाना बनाकर कार्यालय में कार्यरत कर्मी बिना नजराना लिए काम नहीं करते हैं. नजराना लेने के बाद फटे-पुराने टीआर की छायाप्रति उपलब्ध करवाई जाती है.

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व्यवस्था सही नहीं होने के कारण कागजात हो चुके हैं खराब : बिहार समेत देश के अन्य विश्वविद्यालयों में जहां डाटा को कंप्यूटराइज्ड किया जा रहा है. वहीं बीएनएमयू में लाखों की लागत से बनाये गये कंप्यूटर सेल के बावजूद अभी भी अधिकांश कार्य मैनुअल तरीके से ही हो रहा है. जिसके कारण इस तरह की परेशानी सामने आ रही है. इधर हाल के वर्षों में डाटा को सॉफ्टकॉपी में रखने की व्यवस्था की गई है, लेकिन पुराने कागजातों को सहेजने की कोई व्यवस्था नहीं है. बताया गया कि वर्ष 1992 से वर्ष 2000 तक सभी टीआर पूरी तरह से नष्ट हो चुका है. परीक्षा विभाग के एडमिट कार्ड शाखा, मूल प्रमाण-पत्र शाखा, अकाउंट शाखा आदि में भी जीर्ण-शीर्ण अवस्था में ही अधिकांश कागजात रखे हुये हैं. ऊपर छत टूट-टूटकर गिरता रहता है. डर के साए में कर्मचारी काम करने काे विवश हैं. रखरखाव की सही व्यवस्था नहीं होने के कारण कई महत्वपूर्ण कागजात खराब हो चुके हैं.
कागजात छात्रों एवं विवि के लिए अमूल्य धरोहर : इस बावत भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो डा राम किशोर प्रसाद रमण ने कहा कि विश्वविद्यालय में रखा हुआ टीआर समेत सभी कागजात छात्रों एवं विश्वविद्यालय प्रशासन के लिए अमूल्य धरोहर है. जिसे संजोकर रखने की जिम्मेदारी विश्वविद्यालय प्रशासन की है. विश्वविद्यालय के स्थापना काल के शुरू के कुछ वर्षों के कागजातों को कंप्यूटराइज कर लिया गया है. साथ ही आगे भी यह कार्य चल रहा है. वहीं कागजातों को कंप्यूटराइज करने तथा संजोकर रखने के लिए कमेटी बनाई जायेगी.

अमित कुमार अंशु
उप संपादक

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